ओरछा: भगवान राम की धरोहर और सांस्कृतिक सामरिकता का केंद्र

ओरछा के रामराजा मंदिर का निर्माण महारानी कुंवरि गणेश द्वारा कराया गया था, और इसका एक अनूठा और इतिहासपूर्ण संबंध है। राम की प्रतिमा को बहुश्रुति रूप में बालू में दबा कर ओरछा लाई गई थी

Feb 23, 2024 - 11:07
Feb 23, 2024 - 11:10
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ओरछा: भगवान राम की धरोहर और सांस्कृतिक सामरिकता का केंद्र

ओरछा नगर, जो करीब 600 वर्ष पहले की घटनाओं की धरोहर है, अपने विशेष संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां के मंदिर और किले, जिन्हें भगवान राम के अद्वितीय परक्रमों से जोड़ा जाता है, ओरछा को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभूतपूर्व स्थान बनाते हैं।

  1. भगवान राम का निवास: ओरछा नगर का गौरवशाली इतिहास, जहां भगवान राम की प्रतिमा निवास करती है, जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के द्वारा पूजी जाती है।

  2. कुंवरि गणेश और रामराजा का संबंध: 16वीं सदी में कुंवरि गणेश के उद्दीपन से शुरू होकर ओरछा ने भगवान राम के निवास का कायाकल्प किया, जिससे एक अद्वितीय और सांस्कृतिक समृद्धि का केंद्र बना।

  3. राजा रामराजा का अनूठा दरबार: ओरछा के राजा रामराजा के दरबार में गार्ड ऑफ ऑनर देने का अद्वितीय रीति-रिवाज, जो भारतीय समाज में अनूठा है और उन्हें अलग बनाता है।

  4. महारानी कुंवरि गणेश की भक्ति: महारानी कुंवरि गणेश के भक्तिपूर्ण प्रयासों के बारे में, जोने भगवान राम को ओरछा लाने के लिए तीन शर्तें स्वीकार की थीं।

  5. धार्मिक सामरिकता में ओरछा: ओरछा के रामराजा मंदिर के माध्यम से कैसे धार्मिक सामरिकता और एकता की भावना को बनाए रखा जा रहा है, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम समुदायों का सामंजस्य दिखता है।

16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवरि गणेश ने अपने श्रद्धाभक्ति का प्रमाण दिया और अयोध्या से भगवान राम की मूर्ति को ओरछा लाई। इस घटना के बाद, ओरछा में भगवान राम का विराजमान होना एक अद्वितीय स्थल बन गया है। रानी कुंवरि गणेश ने बड़ी भक्ति भाव से बूंदेलखण्ड के राजा मधुकरशाह के साथ रहकर राम की पूजा की और इससे उनकी दृढ़ आस्था का प्रमाण मिलता है।

ओरछा में इस समय भी भगवान राम की विशेष पूजा और भक्ति होती है। यहां के लोग, चाहे हिन्दू हों या मुस्लिम, सभी राम के आराधक हैं। महारानी कुंवरि गणेश ने राम की अद्वितीयता को साबित किया और इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता का उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके बाद, भगवान राम ने तीन शर्तें रखीं जिनमें पहली शर्त थी कि वह जगह जहां बैठेंगे, वही स्थायी होगी, दूसरी शर्त थी कि राजा के रूप में विराजित होने के बाद कोई और सत्ता नहीं रहेगी और तीसरी शर्त थी कि राम बाल रूप में एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु-संतों के साथ जाएंगे। महारानी ने इन शर्तों को सहर्ष स्वीकार किया और इसके बाद ही रामराजा ओरछा आएं।

ओरछा में राम के आराधना का एक और रूप है जो सामाजिक एकता को दर्शाता है। यहां के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव की अभीष्टता नहीं है और सभी एक साथ रहकर राम की पूजा करते हैं।

ओरछा में रामराजा के मंदिर की खासियत यह है कि उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाता है। यह एक शौर्य और समर्थन का प्रतीक है जिससे यह स्पष्ट होता है कि राम ओरछा के लोगों के दिलों में हैं और उन्हें सम्मानित किया जाता है।

ओरछा के रामराजा मंदिर का निर्माण महारानी कुंवरि गणेश द्वारा कराया गया था, और इसका एक अनूठा और इतिहासपूर्ण संबंध है। राम की प्रतिमा को बहुश्रुति रूप में बालू में दबा कर ओरछा लाई गई थी, जिससे यह बयान होता है कि राम ओरछा के लोगों के दिलों में हैं और उनका समर्थन हमेशा है।

इस रूप में, ओरछा नगर भगवान राम की भक्ति और समर्थन का एक सशक्त और विशेष स्थान है, जो धार्मिक सांस्कृतिक एकता और समृद्धि की अद्वितीयता के साथ विकसित हो रहा है।

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