प्रेम और सेक्स 

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Nov 13, 2024 - 17:26
Nov 13, 2024 - 18:10
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प्रेम और सेक्स 

प्रेम और सेक्स 

जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है ,तब तक वो प्रेम नही दे सकता ।
अगर किसी स्त्री के पास पुरुष जाता भी है और ये कहता है कि मैं तेरे करीब इस कारण हु की मैं प्यार करता हूँ ,तो ये धोखा है ।गलत है ।

सेक्स शरीर की जरूरत है ,तो ये गलत नही है ।पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें।
ईमानदार होकर रहे ।अगर सेक्स करना है तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहे ।और साथी से पहले ,खुद को स्पष्ठ कर ले कि मैं प्यार में हु या वासना में !

ओरत फूल की तरह कोमल होती है ।और फूल को रगड़कर ,नोचकर ,उसके शरीर पर निशान बनाकर या बाहर भीतर घिसकर ,प्यार नही किया जाता । स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें ,बेहद संवेदनशील होती है ।बहुत ज्यादा बारीक होती है ।
आज जो महिलाए ,अपनी डॉक्टर के पास जा रही है ,उसका एक कारण ये भी है कि उनके शारीरिक सम्बन्धो में हिंसा है ।वासना के वेग के चलते ,न तो पुरुष को होश रहता और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती की पुरुष को( न) कह सके ।
और फिर बच्चादानी में हजारो बीमारी लग जाती है ।महावारी में भयानक दर्द ,ocd ,pocd और पता नही क्या क्या ,सहन करना पड़ता है ।
पुरुष एक्टिव है स्वभाव से और स्त्री पैसिव !
इसलिए यहां पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें ।वैसे भी अगर सेक्स को भी धर्य और तरीके से किया जाए ,और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते है ।और सन्तुष्टि भी मिलती है ।
लेकिन जोश में आकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुरुष ,कभी भी सन्तुष्टि को उपलब्ध नही होते ।
जो व्यक्ति विवाहित है ,उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालो तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर सेव इच्छा ज्यों की तँयो है ।
इसका कारण यही है कि उन्हें गहराई ही नही जानी कभी इस चीज की ।
45 मिनेट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नही की वो तुम्हे अपनी बाहों में भरे ,या तुम्हे अनुमति दे कि तुम उसके भीतर प्रवेश करो ।
इसलिए फोरप्ले का इतना महत्व है ।और ठीक उसी तरह आफ्टरप्ले भी अर्थ रखता है कि तुम्हारी वजह से मैं जीवन ऊर्जा का आनंद ले पाया।
केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले ,बलात्कारी है ।अपने ही साथी का बल पूर्वक हरण करना ,बलात्कार ही होता है ।

आज जो 70 फीसदी महिला ऑर्गेज़्म से अनजान है ,उसका कारण सेक्स की अज्ञानता है ।इस बात को अहंकार पर चोट न समझे ,ब्लिक अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें ।अपनी महिला मित्र के पैर छुए ,उससे अनुमति ले ,उसके प्रति श्रद्धा भाव रखे ,और इस बात का ध्यान रखे कि उसे दर्द न दे ।आनंद दे ।

भले तुम दस मिनट ,आधे घण्टे का सेक्स कर लो ,पर ओरत अछूती ही रह जाती है तुम्हारे स्पर्श से ,और तुम भी अधूरे ही लौटकर आते है । बहुत धीरे धीरे शरीर तैयार होता है ,बहुत धीरे धीरे वो द्वार खुलते है ,जब तुम्हे अनुमति मिले।
और ये सब समझने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए ।और बिना मैडिटेशन के ये सम्भव नही ।
बिना मैडिटेशन जीवन उथला ही रहता है ।अगर गहराई चाहिए जीवन मे ,तो ध्यान बहुत जरूरी है ।
होश ,ठहराव ,स्थिरता ,धीरज ,प्रेम ,श्रद्धा 
ये सारे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन मे उतरेंगे ।
किताबे पढ़ने या ज्ञान सुनने से कुछ नही होगा ।
बाकी फिर कभी ।

दोस्तों,,, प्यार और सेक्स दोनो अलग अलग चीजें होती हैं 

दोनो को एक ना समझें , धीरे धीरे कोई चीज तय्यार होती है आदमी सोचता है सब जल्दी हो जाए, मर्द जल्दी तय्यार होता है मगर औरत धीरे धीरे तय्यार होती है 
और ये सब काम जलदी करने की चीज नही है , जब तक दोनो का दिल ???? ना हो नही करना चाहिए, जब तक अनुमति ना मिले, ना करें

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प्रेम और सेक्स दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण और अलग-अलग पहलू हैं। प्रेम एक गहरी भावना है जो किसी के प्रति स्नेह, आदर, और जुड़ाव को दर्शाता है। यह एक ऐसा बंधन है जो भावनात्मक रूप से लोगों को जोड़ता है, चाहे वह पारिवारिक प्रेम हो, मित्रता हो, या रोमांटिक संबंध। प्रेम में समझ, सम्मान, और एक-दूसरे के प्रति ईमानदारी महत्वपूर्ण होती है।

वहीं, सेक्स एक शारीरिक प्रक्रिया है जो आमतौर पर प्यार या रोमांटिक संबंधों का हिस्सा होती है, लेकिन यह प्रेम के बिना भी हो सकता है। सेक्स मानव जीवन का प्राकृतिक और जैविक पहलू है, जो शारीरिक सुख और प्रजनन से जुड़ा है। स्वस्थ यौन संबंधों के लिए सहमति, सम्मान, और यौन स्वास्थ्य का ज्ञान होना आवश्यक है। सेक्स शिक्षा और सही जानकारी से लोग अपनी भावनाओं, शरीर, और संबंधों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।

समाज में इन दोनों पहलुओं को लेकर कई धारणाएँ हैं, लेकिन प्रेम और सेक्स का सही ज्ञान हमें स्वस्थ और संतुलित संबंध बनाने में मदद करता है।

समर्पण का बंधन

नैना और आरव की मुलाकात एक कॉफी शॉप में हुई थी। दोनों ही अजनबी थे, लेकिन बातों-बातों में दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। नैना एक साधारण लड़की थी, जो अपनी पढ़ाई और करियर में व्यस्त रहती थी। दूसरी ओर, आरव खुले विचारों वाला एक आज़ाद ख्यालों का लड़का था। दोनों की सोच भले ही अलग थी, पर उनके बीच का आकर्षण बढ़ता गया।

समय के साथ यह दोस्ती प्यार में बदलने लगी। नैना और आरव एक-दूसरे के साथ खुश रहने लगे। उनके रिश्ते में ईमानदारी, सम्मान, और समझदारी का भाव था। आरव हमेशा नैना की इच्छाओं और भावनाओं का ख्याल रखता, और नैना भी आरव की पसंद-नापसंद को समझने लगी थी। दोनों एक-दूसरे का सहारा बन गए थे।

एक दिन, आरव ने नैना से कहा, "हमारे रिश्ते में प्यार तो है ही, लेकिन क्या तुम आगे बढ़ने के लिए तैयार हो?" आरव का इशारा शारीरिक संबंधों की ओर था। नैना थोड़ी चुप हो गई, क्योंकि उसने इस बारे में पहले कभी नहीं सोचा था। वह खुद से और आरव से ईमानदार रहना चाहती थी।

आरव ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा, "देखो, नैना, मैं तुम पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता। मैं चाहता हूँ कि यह कदम हम दोनों के लिए सही समय पर और समझदारी से हो। अगर तुम तैयार नहीं हो, तो कोई बात नहीं।" आरव की इस बात ने नैना के मन में एक सुकून पैदा किया। उसे महसूस हुआ कि आरव न केवल उसे प्यार करता है, बल्कि उसकी भावनाओं और सीमाओं का भी आदर करता है।

कुछ समय बाद, नैना ने आरव से कहा, "मैं तुम पर भरोसा करती हूँ और मुझे खुशी है कि तुमने मेरे फैसले का सम्मान किया।" नैना और आरव ने मिलकर तय किया कि उनका रिश्ता केवल शारीरिक आकर्षण पर आधारित नहीं है, बल्कि वह एक-दूसरे के साथ मानसिक और भावनात्मक रूप से जुड़े हैं।

उनके रिश्ते में प्रेम का मतलब केवल आकर्षण और निकटता नहीं था, बल्कि एक-दूसरे की भावनाओं, सीमाओं, और इच्छाओं को समझना था। यह समझदारी और आदर ही उनके रिश्ते को गहराई देता था। उन्होंने सीखा कि एक सच्चा रिश्ता केवल शारीरिक समीपता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव का भी उतना ही महत्व होता है।

इस कहानी से हमें यह समझ में आता है कि प्रेम और सेक्स, दोनों का महत्व है, लेकिन एक सच्चे रिश्ते में प्रेम का अर्थ एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना भी होता है।

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