समान नागरिक संहिता: लागू होने पर बदलाव और चुनौतियां

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Jan 27, 2025 - 18:16
Jan 27, 2025 - 18:24
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समान नागरिक संहिता: लागू होने पर बदलाव और चुनौतियां

समान नागरिक संहिता: लागू होने पर बदलाव और चुनौतियां

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code या UCC) का तात्पर्य भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून से है। इसका उद्देश्य विवाह, तलाक, गोद लेने, और संपत्ति बंटवारे जैसे मामलों में सभी धर्मों और जातियों के लिए समान नियम लागू करना है। हालांकि, इसे लागू करने की राह में कई पेच और विवाद सामने आते हैं।

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 का हिस्सा है। यह नीति निदेशक तत्वों में शामिल है और इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून सुनिश्चित करना है। संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य का कर्तव्य है कि वह इसे लागू करे।

सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। 1985 में शाहबानो मामले में कोर्ट ने कहा था कि संसद को UCC की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। 2015 और 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक समानता और व्यक्तिगत कानूनों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।

बीजेपी का पक्ष और पहल

समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता। उत्तराखंड जैसे राज्य पहले ही UCC का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि संविधान के तहत UCC लागू करना सरकार का दायित्व है।

चुनौतियां और विरोध

  1. धार्मिक विविधता का विरोध
    UCC का विरोध करने वाले इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा मानते हैं। उनका कहना है कि यह विभिन्न धर्मों की परंपराओं और रीति-रिवाजों को समाप्त कर देगा।

  2. आदिवासी कानूनों पर असर
    आदिवासी संगठनों ने आशंका जताई है कि इससे उनके विशेष कानून, जैसे छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, कमजोर हो सकते हैं। ये कानून आदिवासी भूमि की रक्षा करते हैं।

  3. संवैधानिक अधिकारों का टकराव
    आलोचकों का मानना है कि UCC लागू होने से संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के बीच संतुलन बिगड़ सकता है।

  4. संस्कृति और क्षेत्रीय विविधता
    विधि आयोग ने अपनी 2018 की रिपोर्ट में कहा था कि UCC लागू करते समय देश की सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करना जरूरी होगा।

लागू होने पर संभावित बदलाव

  1. वर्तमान कानून निरस्त होंगे
    सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति बंटवारे जैसे मामलों में एक समान नियम लागू होंगे।

  2. महिलाओं को समान अधिकार
    UCC के जरिए लैंगिक समानता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे महिलाओं को संपत्ति और अन्य अधिकारों में बराबरी मिलेगी।

  3. कानूनी जटिलताएं कम होंगी
    वर्तमान में अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून होने के कारण कई विवाद उत्पन्न होते हैं। UCC के जरिए यह समस्या दूर होगी।

समान नागरिक संहिता देश में एकरूपता और समानता लाने का प्रयास है, लेकिन इसे लागू करना कई धार्मिक, सांस्कृतिक, और संवैधानिक मुद्दों से जुड़ा है। इसके सफल कार्यान्वयन के लिए व्यापक राजनीतिक सहमति, धार्मिक संगठनों का समर्थन, और सामाजिक जागरूकता आवश्यक है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,