समान नागरिक संहिता मार्ग में पेच और लागू होने पर संभावित बदलाव

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Jan 27, 2025 - 18:22
Jan 27, 2025 - 18:23
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समान नागरिक संहिता मार्ग में पेच और लागू होने पर संभावित बदलाव

समान नागरिक संहिता (UCC) का विचार भारत के संविधान में निहित है और इसे संविधान के अनुच्छेद 44 में "नीति निदेशक तत्व" के रूप में शामिल किया गया है। UCC का उद्देश्य भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान और समान कानून व्यवस्था स्थापित करना है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग या समुदाय से संबंधित हों। अगर यह कानून लागू होता है तो देशभर में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के अधिकार, और अन्य व्यक्तिगत मामलों में सभी नागरिकों के लिए समान नियम होंगे।

UCC का मतलब और महत्ता

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि भारत के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा। इसका उद्देश्य समाज में समानता लाना और संविधान द्वारा दिए गए समान अधिकारों की रक्षा करना है। अगर UCC लागू होता है तो इस कानून के तहत विभिन्न धर्मों, जातियों और लिंगों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार और बच्चों की कस्टडी जैसी बातें समान रूप से तय की जाएंगी।

UCC का संविधान में स्थान

समान नागरिक संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में निहित है। इसे संविधान के नीति निदेशक तत्वों में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य सरकार को प्रेरित करना है कि वह सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करे। अनुच्छेद 44 के तहत भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह ऐसे कानून बनाए जो समाज के विभिन्न तबकों के बीच समानता स्थापित करें, खासकर पर्सनल लॉ के मामलों में जैसे विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार आदि।

UCC पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में UCC को लागू करने की आवश्यकता जताई है। विशेष रूप से, 1985 में शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी कि समान नागरिक संहिता संसद द्वारा बनाई जानी चाहिए, क्योंकि यह नागरिकों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित करने का एक प्रभावी उपाय हो सकता है। इसके अलावा, 2015 और 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता की आवश्यकता और इसे लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे।

बीजेपी और UCC

भा‍जपा (BJP) ने UCC को अपने चुनावी घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया है। पार्टी का मानना है कि UCC से देश में एकता और समानता बढ़ेगी। भाजपा का तर्क है कि देश में यदि एक समान नागरिक संहिता लागू हो, तो किसी भी धर्म, जाति, या लिंग के आधार पर भेदभाव की स्थिति खत्म हो जाएगी। भाजपा के अनुसार, यदि अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों की व्यवस्था रहेगी तो इससे समाज में असमानताएं बनी रहेंगी।

UCC की राह में आने वाली चुनौतियाँ

UCC को लागू करने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जिसमें संविधान ने हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी है। इसे संविधान के अनुच्छेद 25 में सुनिश्चित किया गया है। ऐसे में, समान नागरिक संहिता लागू करने के विरोध में यह तर्क दिया जाता है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है।

साथ ही, कई धार्मिक और आदिवासी समुदायों का मानना है कि UCC उनके पारंपरिक कानूनों और धार्मिक प्रथाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के तौर पर, आदिवासी समुदायों का कहना है कि UCC के लागू होने से उनके पारंपरिक भूमि कानून और अन्य प्रथाएं प्रभावित हो सकती हैं। आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने इस आशंका का इज़हार किया है कि छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट जैसे कानून कमजोर पड़ सकते हैं, जो आदिवासी भूमि की रक्षा करते हैं।

UCC के तहत संभावित बदलाव

यदि समान नागरिक संहिता लागू होती है तो विभिन्न धर्मों के लिए वर्तमान में मौजूद व्यक्तिगत कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म, मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में एक समान कानून लागू होगा। इस प्रकार, UCC लागू होने पर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और कर्तव्य होंगे, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से हों।

  1. विवाह: वर्तमान में विभिन्न धर्मों के लिए विवाह के नियम अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में विवाह का एक परंपरागत तरीका है, जबकि मुस्लिम धर्म में शरिया के अनुसार विवाह होता है। UCC लागू होने पर विवाह का तरीका सभी के लिए समान होगा, और यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि विवाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति हो और किसी प्रकार का बल या दबाव न हो।

  2. तलाक: तलाक के मामले में भी विभिन्न धर्मों के अलग-अलग नियम हैं। हिंदू धर्म में तलाक की प्रक्रिया काफी जटिल हो सकती है, जबकि मुस्लिम धर्म में तीन तलाक की प्रणाली को लेकर विवाद हुआ है। UCC लागू होने से तलाक का तरीका सभी के लिए समान होगा और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

  3. बच्चा गोद लेना: बच्चा गोद लेने के नियम भी विभिन्न धर्मों में भिन्न होते हैं। UCC लागू होने से सभी नागरिकों के लिए बच्चा गोद लेने के समान नियम होंगे, जिससे यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण होगी।

  4. संपत्ति का अधिकार: वर्तमान में संपत्ति के अधिकार में भी विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में महिलाओं को उत्तराधिकार का अधिकार 2005 में संशोधित किया गया था, जबकि अन्य धर्मों में यह अधिकार अलग-अलग तरीके से निर्धारित किया जाता है। UCC के लागू होने पर संपत्ति के अधिकारों में समानता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे सभी नागरिकों को समान अवसर मिलेंगे।

समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य भारत में एक समान और समान कानून व्यवस्था स्थापित करना है। हालांकि, इसके लागू होने पर कई तरह की चुनौतियाँ और विवाद हो सकते हैं, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के संदर्भ में। फिर भी, यदि UCC लागू होता है, तो यह समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। इसके लागू होने से विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समानता आएगी, जो भारतीय समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देगा।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,