India Vs Pak: अंतरिक्ष की दुनिया में भी भारत ने पाकिस्तान को कैसे पीछे छोड़ा?

Independence Day 2025: पाकिस्तान ने भारत से पहले अपने स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत की थी. अपनी स्पेस एजेंसी सुपारको और अमेरिकी एजेंसी NASA की मदद से रेहबर-1 रॉकेट लॉन्च किया. फिर 1990 में चीन की मदद से अपना पहला उपग्रह बदर-1 लॉन्च किया. इसके बाद पाकिस्तान का स्पेस प्राेग्राम पिछड़ता गया और भारत इतिहास रचता गया. जानिए कैसे.

Aug 13, 2025 - 19:52
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India Vs Pak: अंतरिक्ष की दुनिया में भी भारत ने पाकिस्तान को कैसे पीछे छोड़ा?
India Vs Pak: अंतरिक्ष की दुनिया में भी भारत ने पाकिस्तान को कैसे पीछे छोड़ा?

अंग्रेजों की गुलामी से भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए थे. पाकिस्तान जहां 14 अगस्त को अपनी आजादी की सालगिरह मनाता है, वहीं भारत हर साल भव्य तरीके से 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस का जश्न आयोजित करता है. साल 1947 में स्वाधीनता मिलने के बाद भारत ने हर दिशा में कामयाबी हासिल की है. फर्श से अर्श तक का सफर तय करते हुए अंतरिक्ष तक में भारत का परचम लहरा रहा है. वहीं, पाकिस्तान अपनी तरक्की के बजाय भारत विरोध की राजनीति करता चला आ रहा है, इसके कारण वह हर क्षेत्र में पिछड़ता चला गया.

आइए जान लेते हैं कि आजादी के बाद दोनों देशों में कैसे शुरू हुआ स्पेस प्रोग्राम, भारत ने कैसे अंतरिक्ष में इतिहास रचा और पाकिस्तान क्यों पिछड़ा?

कैसे शुरू हुआ भारत का स्पेस प्रोग्राम?

भारत को जब आजादी मिली तो हालात अच्छे नहीं थे. स्थिति इतनी दयनीय थी कि देशवासियों के खाने के लिए पर्याप्त अनाज भी देश के पास नहीं था. इसके बावजूद चुनौतियों का सामना करते हुए भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता गया और अंततः अंतरिक्ष यात्रा करनी शुरू कर दी. यह साल 1962 की बात है. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रेरणा से देश में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की गई. इसके साथ ही भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत हुई और साल 1963 में पहली बार भारत ने थुंबा से पहले साउंडिंग रॉकेट को लॉन्च कर औपचारिक रूप से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की.

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और सफलता हासिल करने के लिए पांच अगस्त 1969 को (INCOSPAR) के स्थान पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन स्थापित किया गया. इसको और मजबूती प्रदान करने के लिए साल 1972 में अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग का गठन कर इसरो को अंतरिक्ष विभाग के अधीन कर दिया गया. तब से भारत अंतरिक्ष में सफलता के नित नए कीर्तिमान गढ़ रहा है.

Aryabhata First India Satellite

19 अप्रैल 1975 को इसरो ने पहला स्वदेशी उपग्रह आर्यभट्ट रूस से लॉन्च किया था.

आर्यभट्ट से हुई शुरुआत

इसरो ने 19 अप्रैल 1975 को पहला स्वदेशी उपग्रह आर्यभट्ट रूस से लॉन्च किया था. वैसे तो यह केवल एक प्रायोगिक उपग्रह था पर इसने भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की मजबूत नींव रख दी. 360 किलो के इस उपग्रह को बनाने में संसाधन विहीन भारत को तीन साल लग गए और इस पर तीन करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया था. हालांकि, इसके बाद भारत ने मुड़कर नहीं देखा और साल 1980 में एसएलवी-3 रॉकेट का परीक्षण सफलतापूर्वक करने के साथ ही उन देशों की सूची में अपना नाम लिखा लिया जो उपग्रह लॉन्च करने में सक्षम थे.

एसएलवी-3 से सबसे पहले रोहिणी सैटेलाइट आरएस-1 को लॉन्च किया गया था. साल 1983 में इनसैट-1बी को लॉन्च कर भारत ने कम्युनिकेशन, टेलीकास्ट और मौसम के पूर्वानुमान की दुनिया में क्रांति ला दी. फिर साल 1994 में पीएसएलवी का प्रक्षेपण सफल रहा तो भारत की उपग्रह लॉन्च करने की क्षमता में और भी बढ़ोतरी हो गई. अब तो यह 50 से भी ज्यादा मिशन को अंजाम दे चुका है.

चंद्रमा पर उतारा अपना उपग्रह, मंगल तक भी पहुंचा

22 अक्तूबर 2008 को भारत ने अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचते हुए चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया जो 14 नवंबर 2008 को चांद पर पहुंच गया. इसके साथ ही चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया. चंद्रयान-1 के जरिए ही चांद पर पानी की खोज की गई थी. फिर साल 2014 में भारत ने केवल 450 करोड़ रुपये खर्च कर मंगल पर कदम रख दिया. मंगलयान को मंगल तक पहुंचा कर भारत पहला ऐसा देश बन गया, जिसने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की थी.

Chandrayaan 1

भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया.

भारत बनाता चला गया रिकॉर्ड

इसरो ने 15 फरवरी 2017 को पीएसएलवी-सी 37 से एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च करने का रिकॉर्ड बनाया. इसी साल (2017) के जून में भारत ने अपना सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी एमके 3 लॉन्च किया, जो 3136 किलो का सैटेलाइट जीसैट-19 सफलतापूर्वक लेकर गया. अप्रैल 2018 में भारत ने नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च कर अमेरिका के जीपीएस की बराबर कर ली. साल 2019 के मार्च में भारत ने एंटी सैटेलाइट मिशन लॉन्च किया और स्पेस में सैटेलाइट को नष्ट करने वाला चौथा देश बन गया.

चांद पर एक और कदम रखने की कोशिश के तहत जुलाई 2019 में भारत ने चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया. बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क-3 से लॉन्च किया गया यह मिशन वैसे तो असफल रहा पर इसे भी देश की उपलब्धि ही माना जाता है.

दुनिया का सबसे महंगा सैटेलाइट लॉन्च किया

भारत ने किसी समय अमेरिका से एक छोटा रॉकेट उधार लिया था. अब वही भारत दुनिया भर में जानी जाने वाली अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के उपग्रह लॉन्च कर रहा है. अभी बीती 30 जुलाई (30 जुलाई 2025) को भारत ने इसरो व नासा के संयुक्त उपक्रम वाले दुनिया भर में सबसे महंगे सैटेलाइट को लॉन्च किया है.

नासा-इसरो सिंथेटिक अपरेचर रडार (NISAR) को जीएसएलवी-एफ-16 रॉकेट से लॉन्च किया गया है. इसका कुल वजन 2600 किलो है. नासा और इसरो के इस सैटेलाइट पर 12505 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. जल्द ही इसरो अमेरिका के 6500 किलो वजनी संचार उपग्रह (कम्युनिकेशन सैटेलाइट) को लॉन्च करने वाला है.

Pakistan First Rocket Rehbar I

पाकिस्तान का पहला रॉकेट रेहबर-1, जिसे 1962 में लॉन्च किया गया था.

भारत से पहले पाकिस्तान ने की शुरुआत, फिर फिसड्डी क्यों?

पाकिस्तान ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत भारत से पहले की थी. पाकिस्तान ने अपनी स्पेस एजेंसी सुपारको का गठन साल 1961 में किया था. वहीं, इसरो की स्थापना साल 1969 में हुई थी. साल 1962 में सुपारको ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की मदद से रेहबर-1 नाम का रॉकेट लॉन्च कर पाकिस्तान को ऐसा करने वाला दुनिया का 10वां देश बनना दिया था. साल 1990 में पाकिस्तान ने अपना पहला उपग्रह बदर-1 चीन की सहायता से लॉन्च किया. इसके बाद पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम पिछड़ता चला गया.

दरअसल, 1970 के दशक में पाकिस्तान ने अंतरिक्ष कार्यक्रम से ध्यान हटाकर परमाणु हथियार पर केंद्रित कर दिया. इसके कारण वैसे ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान ने सुपारको की निधि और संसाधनों में कटौती करनी शुरू कर दी. इसके अलावा शिक्षा की कमी के कारण सुपारको के लिए इसरो जैसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक भी पाकिस्तान तैयार नहीं कर पाया. सुपारको अपने लॉन्च व्हीकल तक नहीं तैयार कर पाया.

सबसे बड़ी पाकिस्तान की कमजोरी तो यह है कि स्पेस एजेंसी का जिम्मा पाकिस्तान ने वैज्ञानिकों की जगह सैन्य अधिकारियों को सौंप रखा है. फिर हर क्षेत्र की तरह पाकिस्तान अंतरिक्ष में भी चीन के भरोसे बैठा है. उसी की मदद से हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने तीन उपग्रह लॉन्च किए हैं और अब चीन की ही मदद से साल 2026 में अपना पहला अंतरिक्ष यात्री भेजने के सपने देख रहा है. सुपारको की कुल उपलब्धियों की बात करें तो इसने अब तक सिर्फ छह उपग्रह लॉन्च किए हैं. इनमें से ज्यादातर में चीन ने पाकिस्तान की मदद की. वहीं, भारत स्वतंत्र रूप से अपने उपग्रह तो लॉन्च कर ही रहा है, अमेरिका जैसे देश के उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेज रहा है.

दो अंतरिक्ष यात्री भेज चुका भारत

भारत अब तक अपने दो अंतरिक्ष यात्री भेज चुका है. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री थे राकेश शर्मा, जिनको इसरो ने सोवियत संघ की मदद से 3 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में भेजा था. फाइटर पायलट राकेश शर्मा ने सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष की यात्रा की थी और सात दिन 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में रहे थे. उनके बाद भारत ने एक और फाइटर पायलट विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजा. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले शुभांशु पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अभी 18 जुलाई (18 जुलाई 2025) को लौटे हैं. वह कुल 18 दिन वहां रहे और कई तरह के शोध किए.

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