Independence Day: 15 अगस्त नहीं, गोवा 19 दिसम्बर को क्यों मनाता है आजादी का जश्न?

Independence Day 2025: 15 अगस्त को पूरा देश आजादी का जश्न मनाता है, गोवा में भी यह दिन उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन गोवा के लिए आजादी के जश्न की तारीख सही मायने में 19 दिसम्बर है. इसे गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत को आजादी मिलने के 14 साल बाद गोवा आजाद हुआ था. जानिए, ऐसा क्यों.

Aug 13, 2025 - 19:52
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Independence Day: 15 अगस्त नहीं, गोवा 19 दिसम्बर को क्यों मनाता है आजादी का जश्न?
Independence Day: 15 अगस्त नहीं, गोवा 19 दिसम्बर को क्यों मनाता है आजादी का जश्न?

Independence Day 2025: हर साल 15 अगस्त को देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. देशवासी आजादी के जश्न में डूबे हुए नजर आते हैं. गोवा के लिए भी यह उत्साह का दिन है, लेकिन इस राज्य को आजादी इस दिन नहीं मिली थी. इसकी ऐतिहासिक वजह है. भारतीय अंग्रेजों के देश छोड़ने और आजादी मिलने के जश्न को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन गोवा में 1510 से पुर्तगाली उपनिवेश था. अंग्रेजों के भारत में पैर रखने और देश को छोड़ने के बाद भी यहां पुर्तगालियों को शासन था. भारत को आजादी मिलने के बाद भी पुर्तगालियों ने सत्ता सौंपने से इंकार कर दिया था.

यही वजह थी कि 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को, गोवा को छोड़कर हिन्दुस्तान के सभी हिस्सों को अंग्रेजों से आजादी मिल गई थी. अब जान लेते हैं कि गोवा को आजादी कब और कैसे मिली.

गोवा को आजादी मिलने में 14 साल क्यों लगे?

19 दिसंबर 1961 तक गोवा औपनिवेशिक शासन के अधीन रहा. यानी भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के 14 साल बाद यह आजाद हुआ. गोवा 1510 से ही पुर्तगाली उपनिवेश था. 1600 में अंग्रेजों के भारत में कदम रखने से बहुत पहले. अंग्रेजों के चले जाने और भारत के एक संप्रभु राष्ट्र बन जाने के काफी समय बाद भी पुर्तगालियों ने इसकी सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया.

19वीं शताब्दी में विद्रोह और बगावत की आवाज ऊंची होती जा रही थी. लेकिन गोवा मुक्ति आंदोलन राज्य से यूरोपीय शक्तियों को बाहर निकालने के लिए उस तरह से एकजुट नहीं हो पा रहा था, जैसा की पूरे देश में आंदोलन छिड़ा हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कई असफल वार्ताओं के बाद भारत ने निर्णय लिया कि गोवा को देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ने और यहां दशकों से चले आ रहे पुर्तगाली शासन को खत्म किया जाए.

यह तय किया गया कि यहां पुर्तगाली शासन को खत्म करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप बहुत जरूरी है. 18 दिसंबर1961 को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर सशस्त्र कार्रवाई की. इसे ‘ऑपरेशन विजय’ कहा गया.

पूरे ऑपरेशन के दौरान गोवा में केवल 3,300 पुर्तगाली सैनिक थे. पुर्तगालियों को भारत के सामने झुकना पड़ा और अपदस्थ गवर्नर जनरल मैनुअल एंटोनियो वासालो-ए सिल्वा ने आत्मसमर्पण किया. 18 दिसंबर की शाम 6 बजे सचिवालय के सामने लगे पुर्तगाली झंडे हटाकर आत्मसमर्पण का संकेत देने के लिए एक सफेद झंडा फहराया गया.

कब फहराया गया भारतीय तिरंगा?

19 दिसंबर की सुबह, मेजर जनरल कैंडेथ ने सचिवालय के सामने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. इस ऑपरेशन में भारत के सात युवा वीर नौसैनिक और अन्य कार्मिक शहीद हो गए थे. इस दिन को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया है.

भारतीय नौसेना की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, “भारतीय नौसेना के जहाज गोमांतक पर युद्ध स्मारक का निर्माण सात युवा बहादुर नाविकों और अन्य कर्मियों की याद में किया गया है, जिन्होंने 19 दिसंबर 1961 को भारतीय नौसेना के “ऑपरेशन विजय” में अपने प्राणों की आहुति दी थी.” 19 दिसम्बर या गोवा मुक्ति दिवस का गोवा राज्य में बहुत महत्व है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.

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