ध्वज का सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है
ध्वज के लिए आग, पानी, बर्फ, गोला, बारूद, से लड़े गये थे, भारत में आजादी से पहले झंडा लेकर नहीं निकल सकते हें अंग्रेजों के गुलाम थे तब भारत के लोगों भारत के झंडे को लेकर निकलते थे
इसका ध्वज का सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है
बड़ी पीड़ा होती है जब 15 अगस्त और 26 जनवरी के बाद रोड चौक चौराहे और कूड़े के ढेर में अपने देश के आन बान शान को किसी गंदे कुढ़े में देख कर लाजा आती है उन लोगों पर जो देश भक्ति दिखने के लिए तिरंगा खरीद लेते हें
पर उसको अपने गोरव के साथ अपने साथ यह पने घर ऑफिस में नहीं रख पाते हें पर उनसे पूछो जिन्हों हें इसको जीता है अपनी जान देकर अपने खून का आखिरी कतरा देश और इस ध्वज के लिए आग, पानी, बर्फ, गोला, बारूद, से लड़े गये थे, भारत में आजादी से पहले झंडा लेकर नहीं निकल सकते हें अंग्रेजों के गुलाम थे तब भारत के लोगों भारत के झंडे को लेकर निकलते थे
उस समय तिरंगा देश की पहचान थी देश की आन बान शान अपने देश का गौरव मानते थे उस समय के लोग और आज के लोगों दिखा करते हें देश की आजादी के लिए जिन्होंने अपने प्राण उन 10 वीरों के नाम भी नहीं याद होंगे, पर 15 अगस्त के दिन #IndependenceDay तिरंगे के साथ सेल्फी जरुर डालेंगे, क्या सच में यह आजादी के महानयको को याद करने का सही तरीका है
हमारे पूर्वजों ने 200 साल अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी तो जा कर यह आजादी मिली है खुल के देश तिरंगा फहरा सकते हैं, पर आजादी गंदगी फैलाने की नहीं मिली है ध्वज को संभाल कर रखे, इस देश शान देश की पहचान तिरंगा को अपने देश की पहचान है यह सोच के आप के हाथ में अपने घर में रखे, विश्व का सबसे शक्तिशाली ध्वज है उसको संभालने की जिम्मेदारी आपको लेनी पड़ेगी पर देख कर दिल दुखता है
लाखों लोगों ने इस 15 अगस्त को ध्वज इसके लिए अपने प्राण दिए हें हम सबको इस के लिए जागरूकता करने की जरूरत है इस ध्वज का सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति का उत्साह पूरे भारत में देखने को मिलता है। हर तरफ तिरंगे की शान लहराते हुए नजर आती है। लोग अपनी गाड़ियों, घरों, और दुकानों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाते हैं। लेकिन यह देखकर पीड़ा होती है कि कुछ दिन बाद ये तिरंगे सड़कों और कूड़े के ढेर में पड़े मिलते हैं। यह दृश्य न केवल हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है, बल्कि उन लाखों शहीदों के बलिदान को भी भुला देता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
तिरंगे की ऐतिहासिक आजादी से पहले, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, तिरंगा राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारतीय जनता तिरंगे को लेकर सड़कों पर निकलती थी, यह दर्शाने के लिए कि वे अंग्रेजों के गुलाम नहीं हैं। यह ध्वज उनके संघर्ष और साहस का प्रतीक था। तिरंगे को लेकर चलते हुए अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उनके लिए तिरंगा केवल एक झंडा नहीं था, बल्कि उनकी पहचान और स्वाभिमान था।
आजादी के महानायक हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने योगदान दिया, जिनमें से बहुत से लोगों के नाम आज भी लोग नहीं जानते। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव जैसे महानायक अपने जीवन के अंतिम क्षण तक देश की आजादी के लिए लड़ते रहे। 15 अगस्त और 26 जनवरी को जब हम तिरंगे के साथ सेल्फी लेते हैं, तब हमें यह जरूर सोचना चाहिए कि क्या यह उन महानायकों के बलिदान का सम्मान है?
तिरंगे का सम्मान और हमारी जिम्मेदारी हमारे पूर्वजों ने 200 साल अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और हमें यह आजादी दिलाई। आज हम स्वतंत्र रूप से तिरंगा फहरा सकते हैं, लेकिन यह आजादी गंदगी फैलाने की नहीं है। हमें यह समझना होगा कि तिरंगे का सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं है, यह हमारे देश की पहचान है। इसे संभालकर रखना, उसकी गरिमा को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
जागरूकता की आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है कि हम लोगों के बीच तिरंगे के प्रति जागरूकता बढ़ाएं। तिरंगा हमारे देश की शान है, इसे संभालकर रखना हमारा कर्तव्य है। ध्वज का उचित सम्मान करना हमें सिखाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे कहीं भी बिखरा हुआ न छोड़ें।
इस स्वतंत्रता दिवस, आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि तिरंगे का हमेशा सम्मान करेंगे। हम अपने बच्चों और अगली पीढ़ी को भी इसके महत्व को समझाएंगे, ताकि वे भी इसे उसी सम्मान के साथ देखें, जैसे हमारे पूर्वजों ने देखा था। तिरंगा हमारे देश की आन, बान, और शान है और इसका सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है।
तिरंगा केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है; यह हमारे देश की आत्मा का प्रतीक है। यह हमें हमारे पूर्वजों के संघर्ष की याद दिलाता है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस ध्वज की गरिमा को बनाए रखें। हमें तिरंगे के प्रति अपने सम्मान को अपने कार्यों में भी दिखाना होगा, ताकि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना रहे।
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