सुरक्षा परिषद में चीन के अड़ंगे पर भारत की खरी-खरी
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने कहा, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर इस समय गंभीर खतरा है। यह खतरा जटिल, अप्रत्याशित है।
सुरक्षा परिषद में चीन के अड़ंगे पर भारत की खरी-खरी
जताई आपत्ति
पाकिस्तान और तुर्किये के साथ मिल स्थायी सदस्य न बढ़ाने की संस्तुति की, रिपोर्ट में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया को किया गया अनदेखा
संयुक्त राष्ट्र,: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के सिलसिले में यूनाइटिंग फार कंसेंसस (यूएफसी) ग्रुप की संस्तुतियों पर कड़ी आपत्ति जताई है। इन संस्तुतियों में स्थायी सदस्यों की संख्या न बढ़ाने के लिए कहा गया है। इस ग्रुप में भारत विरोधी सोच रखने वाले चीन, पाकिस्तान और तुर्किये भी शामिल हैं। भारत ने कहा है कि ये संस्तुतियां संयुक्त राष्ट्र के अधिसंख्य सदस्य देशों की भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं। अधिसंख्य सदस्य देश सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी चाहते हैं।
यूएफसी में इन तीन देशों के अतिरिक्त अर्जेंटीना, कनाडा, कोलंबिया, कोस्टारिका, इटली, माल्टा, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया, सैन मारीनो और स्पेन भी हैं। इस ग्रुप में इंडोनेशिया पर्यवेक्षक के रूप में शामिल है। लेकिन इनमें चीन सुरक्षा परिषद का अकेला स्थायी सदस्य देश है। यूएफसी ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाए जाने का विरोध किया है। ग्रुप ने सुरक्षा परिषद की सदस्यता को बढ़ाकर 26 किए जाने की संस्तुति की है। लेकिन ये सभी अस्थायी सदस्य होंगे। इनमें से नौ सदस्य लंबे समय के लिए चुने जाएंगे। संस्तुतियों का यह मसौदा इटली के प्रतिनिधि ने प्रस्तुत किया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने कहा, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर इस समय गंभीर खतरा है। यह खतरा जटिल, अप्रत्याशित है। इसलिए 21 वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र 2.0 की जरूरत है। यह विस्तार संयुक्त राष्ट्र के अधिसंख्य सदस्यों की आकांक्षा और आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए। यूएफसी की संस्तुतियां अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया की भावनाओं को अभिव्यक्त नहींकरती हैं।
अफ्रीका महाद्वीप के 54 सदस्य देश सुरक्षा परिषद के दोनों (स्थायी और अस्थायी) स्वरूपों में विस्तार चाहते हैं लेकिन यूएफसी में उनकी तरफ से विपरीत भावना की संस्तुति कर दी गई। काम्बोज ने सवाल उठाया क्या अफ्रीकी देश संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अपनी आवाज मजबूत नहीं करना चाहते हैं? उन्होंने कहा, भारत ग्लोबल साउथ (दक्षिण के विकासशील देशों का समूह) की आवाज को मजबूत करना चाहता है। बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में बदलाव होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पिछले कई दशकों से भारत सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए मजबूत दावेदार बना हुआ है। मौजूदा स्थायी सदस्य रूस, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन समय- समय पर भारत की दावेदारी का समर्थन भी करते रहे हैं। लेकिन चीन ने कभी भी भारत की दावेदारी का समर्थन नहीं किया है। उल्टे, वह राह में बाधा खड़ी करता रहा है। यूएफसी की संस्तुतियों से भी यही ध्वनित हो रहा है।
What's Your Reaction?