सुप्रीम कोर्ट के मामलों का व्हाट्सएप पर भी मिलेगा अपडेट
सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक वाट्सएप नंबर 8767687676 है। इस नंबर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एकतरफा सूचनाएं मिलेंगी।
सुप्रीम कोर्ट के मामलों का वाट्सएप पर भी मिलेगा अपडेट
नई सुविधा-
Updates of Supreme Court cases will also be available on WhatsApp
वकीलों, पक्षकारों को अग्रिम सूचना देने को वाट्सएप मैसेजिंग,
वाद सूची, केस दाखिल और सुनवाई सूचीबद्ध होने की देंगे सूचना
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाया है। अब वकीलों और पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपने मुकदमों का अपडेट वाट्सएप पर भी मिलेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट वाट्सएप मैसेज के जरिये वकीलों को वाद सूची, केस दाखिल करने और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की जानकारी देगा। उन्होंने कहा कि 75वें वर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने वाट्सएप मैसेजिंग सेवाओं को आइटी सर्विस के साथ एकीकृत करके न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की नई पहल शुरू की है। इसका बड़ा प्रभाव होगा और इससे कागज की बचत के साथ धरती को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह घोषणा गुरुवार को सुबह तब की, जब नौ न्या याधीशों की संविधान पीठ संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या पर विचार के लिए बैठी थी। इसमें कोर्ट के समक्ष विचार का मुद्दा है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है। जस्टिस चंद्रचूड़ इस पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वकीलों को केस दाखिल होने के बारे में आटोमेटेड मैसेज मिलेगा। इसके अलावा वकीलों को वाद सूची भी मोबाइल पर उपलब्ध होगी।
वाद सूची का मतलब है कि कोर्ट में सुनवाई के लिए उस दिन लगे मुकदमों की क्रमवार जानकारी। सीजेआइ की घोषणा पर अदालत में मौजूद सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक क्रांतिकारी कदम है। सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक वाट्सएप नंबर 8767687676 है। इस नंबर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एकतरफा सूचनाएं मिलेंगी। इस नंबर पर कोई काल नहीं भेजा जा की जा सकती, ना ही कोई संदेश सकेगा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सुविधा हमारे रोजाना के कामकाज और आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी और इससे कागज बचाने में काफी मदद मिलेगी। इससे और अधिक वकीलों की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच बढ़ेगी। साथ ही दूरदराज रहने वाले लोगों को भी कोर्ट की कार्यवाही की सूचना मिल सकेगी। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के विचारों को साझा करते हुए कहा कि सरकार डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है ताकि लोगों की न्याय तक पहुंच सुलभ हो। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने ई-कोर्ट परियोजना के लिए 7000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
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