तभी तो सब मोदी को चुनते...' चंद शब्दों में मोदी की कहानी और संदेश
लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू हुआ था, तभी कुछ माह पहले भाजपा की ओर से 'सपने नहीं हकीकत बुनते, तभी तो सब मोदी को चुनते
तभी तो सब मोदी को चुनते...' चंद शब्दों में मोदी की कहानी और संदेश
'सपने नहीं हकीकत बुनते, तभी तो सब मोदी को चुनते' चुनाव प्रचार अभियान के लिए बनाए गए इस गीत में भाजपा के कुशाग्र बुद्धि रणनीतिकारों ने शब्द इस तरह चुने हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली का बखान करते हुए उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करते प्रतीत होते हैं। इसके साथ ही इस गीत के शब्द देश के कोने-कोने के बाशिंदों के पीएम मोदी से भावनात्मक रिश्तों की डोर बांधते हुए विपक्ष के लिए 'जाल' भी बुनते हैं।
विपक्ष के कुछ नेताओं के बयान के बाद चुनावी मैदान की चर्चा में आए राष्ट्रीय एकता के विमर्श के बीच भाजपा ने 12 भाषाओं में इस गीत को लांच कर राष्ट्रीय एकता का संदेश देने की भी कोशिश की है।
लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू हुआ था, तभी कुछ माह पहले भाजपा की ओर से 'सपने नहीं हकीकत बुनते, तभी तो सब मोदी को चुनते..' चुनावी गीत लांच किया गया था। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने इंटरनेट मीडिया पर खुद पोस्ट कर इस गीत को प्रचारित-प्रसारित भी किया।
अब जब पहले चरण का मतदान नजदीक है और विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार को लेकर की गई कार्रवाई सहित विपक्षी नेताओं द्वारा उत्तर-दक्षिण और जम्मू-कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 के संबंध में दिए गए बयानों ने इस गीत को फिर प्रासंगिक बना दिया है, जिसे देखते हुए भाजपा ने राष्ट्रीय एकता के भाव के साथ इसे विभिन्न 12 भाषाओं में फिर से लांच किया है।
उल्लेखनीय है कि गीत की शुरुआत 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी द्वारा देश की कमान संभालने की याद दिलाते हुए होती है। बोल हैं- 'सालों से देश का हाल बेहाल, प्रगति की धीमी पड़ी थी चाल, फिर देश नमो को चुनकर लाया, नमो ने भी अपना वादा निभाया..।' अगली पंक्तियों में यह बताया गया है कि पीएम मोदी किन उद्देश्यों के साथ काम कर रहे हैं और जनता का भरोसा जीतने के कारण ही 2014 में उन्हें दोबारा चुना ।
गया गीत के बोल हैं- 'उन्नत देश जो था बस सपना, बस यही था सपना उसका अपना, चुनता रहा वो राह सही, जो जनहित में वो चुना वही, सपने नहीं हकीकत बुनते, तभी तो सब मोदी को चुनते..।' इस गीत के शब्दों से भाजपा के रणनीतिकारों ने परिवार को लेकर मोदी पर की गई टिप्पणी, धर्म के नाम पर राजनीति के आरोप, नारी शक्ति को लेकर पीएम की प्राथमिकता सहित भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई का भी संदेश इन शब्दों के साथ दिया है- 'भारत को ही माने अपनी माता, देश की जनता है उसका विधाता, राम से पहले वो काम को चुनता, तभी तो उसकी हर कोई सुनता।
भारतीय नारी विश्व पर भारी और थर-थर कांपे भ्रष्टाचारी। उन्नत भारत का लोहा मनाया, रहा जमीं पे चर्चा आसमान तक छाया।' और फिर एक-एक कर 12 भाषाओं में अलग- अलग राज्यों के लोग 'तभी तो सब मोदी को चुनते' का नारा बुलंद करते सुनाई पड़ते हैं और आखिर मैं हजारों लोगों का एक कोलाज बनता है, जो सूक्ष्म होकर पीएम मोदी के चेहरे की आकृति में बदल जाता है।
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