बिच्छू घास से चमका किस्मत का सितारा: उत्तराखंड के अभिषेक घनसाला की अनोखी पहल क्या है बिच्छू घास कंडाली

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Mar 15, 2025 - 08:19
Mar 16, 2025 - 08:20
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बिच्छू घास से चमका किस्मत का सितारा: उत्तराखंड के अभिषेक घनसाला की अनोखी पहल ‘कसेरा’

जहाँ लोग पहाड़ छोड़ रहे हैं, वहीं एक युवा पहाड़ों को फिर से बसा रहा है।”
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियाँ, जहाँ हर पेड़-पौधे में प्राकृतिक औषधियों का खजाना छिपा है, वहाँ से एक ऐसी घास को पहचान मिली है, जिसे लोग अब तक सिर्फ ‘काटने वाली’ घास समझते थे – बिच्छू घास, जिसे स्थानीय लोग कंडाली के नाम से जानते हैं।

लेकिन कहते हैं ना, नज़रिया बदलते ही चीज़ें बदल जाती हैं। पौड़ी गढ़वाल के अभिषेक घनसाला ने इसी कंडाली घास से एक लाखों का बिजनेस खड़ा कर दिखाया है। आइए जानते हैं, कैसे एक साधारण सी दिखने वाली बिच्छू घास ने पहाड़ के लोगों के जीवन में नई रोशनी ला दी।


क्या है बिच्छू घास (कंडाली)?

बिच्छू घास, वैज्ञानिक भाषा में Urtica Dioica, उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इसमें बारीक नुकीले रेशे होते हैं, जो छूने पर त्वचा को चुभते हैं, इसलिए इसे बिच्छू घास कहा जाता है।
लेकिन यह घास औषधीय गुणों से भरपूर है:

  • आयरन, कैल्शियम और विटामिन ए, सी और के से भरपूर
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाले) गुण
  • बालों और त्वचा के लिए बेहद लाभकारी
  • रक्त की कमी (एनीमिया) में उपयोगी
  • डायबिटीज कंट्रोल में मददगार

पहाड़ों में इसे पारंपरिक तौर पर सब्जी (कंडाली का साग) के रूप में खाया जाता है।


अभिषेक घनसाला की 'कसेरा' पहल: परंपरा और आधुनिकता का संगम

अभिषेक ने अपने भाई-बहन के साथ मिलकर कसेरा’ नाम की संस्था की नींव रखी। 'कसेरा' का लक्ष्य सिर्फ एक ब्रांड बनाना नहीं है, बल्कि पहाड़ के प्राकृतिक खजाने को दुनिया तक पहुँचाना और गांव के लोगों को रोज़गार देना है।

बिच्छू घास से बना नेचुरल शैम्पू

कसेरा’ ने बिच्छू घास से तैयार किया है 100% नेचुरल, केमिकल-फ्री शैम्पू, जो:

  • बालों को मजबूत और घना बनाता है
  • स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है
  • डैंड्रफ और बालों के झड़ने की समस्या को दूर करता है
    कीमत: सिर्फ ₹250 प्रति 100ml – जिससे हर कोई इसे खरीद सके।

अन्य अनोखे उत्पाद:

  1. पहाड़ी लूण (नमक)देसी मसाले और औषधीय जड़ी-बूटियों से भरपूर, स्वाद और सेहत दोनों में बेहतरीन।
  2. अरसे मिठाईदो वेरिएंट:
    • पारंपरिक चावल के अरसे
    • मंडुआ (कोदा) से बने अरसे, खासतौर पर डायबिटीज़ मरीजों के लिए।

गांव में रोजगार, महिलाओं को आत्मनिर्भरता

कसेरा’ संस्था का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्थानीय महिलाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। गाँव की महिलाएँ बिच्छू घास की सफाई, प्रसंस्करण और पैकेजिंग में अहम भूमिका निभा रही हैं।

जहाँ बाकी लोग रोजगार के लिए शहरों की ओर भाग रहे हैं, अभिषेक और उनकी टीम गाँव में रहकर न सिर्फ अपनी पहचान बना रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोज़गार के रास्ते खोल रहे हैं।


आगे की योजना: बिच्छू घास से इंटरनेशनल ब्रांड तक

अभिषेक की टीम का सपना है कि इन पहाड़ी उत्पादों को इंटरनेशनल मार्केट तक पहुँचाया जाए, ताकि पूरी दुनिया उत्तराखंड की विरासत और प्राकृतिक औषधियों से परिचित हो सके।


कहाँ से खरीदें?

अगर आप भी बिच्छू घास से बने इस अनोखे शैम्पू या अन्य हेल्दी पहाड़ी उत्पाद खरीदना चाहते हैं तो सीधे कसेरा’ के इंस्टाग्राम पेज @kasera.official पर विजिट करें और अपने घर बैठे ऑर्डर करें।


जहाँ एक ओर लोग पहाड़ छोड़ रहे हैं, वहीं अभिषेक घनसाला जैसे युवा यह साबित कर रहे हैं कि अगर नजरिया सही हो, तो पहाड़ों में ही खजाना छिपा है। बिच्छू घास जैसी आम समझी जाने वाली घास से उन्होंने न केवल लाखों का बिजनेस खड़ा किया, बल्कि गांव, परंपरा और आत्मनिर्भरता को भी नया जीवन दिया।

क्या आपने कभी सोचा था कि बिच्छू घास भी आपकी किस्मत बदल सकती है?

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