रायपुर: संघ की पृष्ठभूमि वाले संतोष की मजबूत चेहरे भूपेश से टक्कर

कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार संतोष पांडेय ने कांग्रेस के प्रत्याशी भोलाराम साहू को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया

Apr 25, 2024 - 21:15
Apr 26, 2024 - 09:52
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रायपुर: संघ की पृष्ठभूमि वाले संतोष की मजबूत चेहरे भूपेश से टक्कर

संघ की पृष्ठभूमि वाले संतोष की मजबूत चेहरे भूपेश से टक्कर

1999 से अविभाजित मध्य प्रदेश से ही इस सीट पर जीतती रही है भाजपा
प्रचार के दौरान पूर्व सीएम भूपेश बघेल और भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे का हुआ आमना-सामना। नईदुनिया

रायपुर : छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहे जाने वाले राजनांदगाव लोकसभा सीट का चुनाव इस बार रोचक बना हुआ है। यहां भाजपा की ओर से मौजूदा सांसद संतोष पांडेय चुनावी मैदान में हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि चर्चित सीट के हैं। राजनादगांव उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार संतोष पांडेय ने कांग्रेस के प्रत्याशी भोलाराम साहू को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। इस बार कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े चेहरे भूपेश पर दांव खेला है। इसलिए इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की भी साख दांव पर है, क्योंकि इसी लोकसभा क्षेत्र में रमन का विधानसभा क्षेत्र भी है। हालांकि रमन विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते इस बार प्रत्यक्ष राजनीति में नहीं हैं, परंतु इस सीट पर भाजपा की जीत उनके लिए भी अहम है।

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कांग्रेस की जाति राजनीति में फिट बैठे भूपेश कांग्रेस ने लोकसभा क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की बहुलता को देखते हुए ओबीसी समाज से भूपेश बघेल को मैदान में उतारकर पिछड़ा कार्ड खेला है तो वहीं भाजपा ने जातिगत समीकरण को नजरअंदाज करते हुए सामान्य वर्ग से ही कवर्धा निवासी संतोष पांडेय को दोबारा प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया है। इस लोकसभा क्षेत्र के डोंगरगांव, खुज्जी क्षेत्र में साहू समाज, मानपुर-मोहला क्षेत्र आदिवासी समाज, खैरागढ़ क्षेत्र में लोधी समाज, डोंगरगढ़ सीट में एसटी वर्ग की बाहुलता है। पंडरिया और कवर्धा क्षेत्र में अलग अलग समाज के लोग निवासरत हैं

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कांग्रेस भरवा रही न्याय गारंटी का फार्म, भाजपा राम भरोसे
यहां कांग्रेस के प्रत्याशी और उनके समर्थक महिलाओं को न्याय की गारंटी देते हुए एक लाख देने का वादा कर उनसे फार्म भरवा रहे हैं। वहीं भाजपा के प्रत्याशी व उनके समर्थक अयोध्याधाम में भगवान श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा, मोदी की गांरटी, राष्ट्रहित के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरे है। भाजपा का पूरा फोकस मोदी के चेहरे पर है। नक्सल प्रभावित


राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र की आधी आबादी नक्सल प्रभावित है। यहां अभी भी मोहला मानपुर और महाराष्ट्र- मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में कभी कभार नक्सली वारदात करते रहते हैं। यही वजह है कि गांवों में विकास शहरों के मुकाबले काफी कम ही पहुंच सका है। इस क्षेत्र में पेयजल, पक्की सड़क, बिजली और शिक्षा समेत मूलभूत सुविधाओं को लेकर जनता मतदान करती है। इस बार यह सीट भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

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रमन और बेटे भी यहीं से रहे सांसद : राजनांदगांव वही सीट है जहां से भाजपा नेता व तीन बार मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह और उनके बेटे अभिषेक सिंह भी सांसद रहे हैं। 1999 के चुनाव में डा. रमन सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 में भी भाजपा के प्रदीप गांधी चुनाव जीते थे, मगर 2007 के उप चुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफलता हासिल की थी। उसके बाद से सीट भाजपा के पास ही है।

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