Delhi : विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रहार हुए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रहार हुए
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विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रहार हुए
Delhi : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में दो दिवसीय (13, 14 अप्रैल) आठवीं युवा इतिहासकार राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन इग्नू, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना एवं माधव संस्कृति न्यास ने संयुक्त रूप से किया. संगोष्ठी का मुख्य विषय रहा – “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) में भारतीय ज्ञान-प्रणाली एवं इतिहास लेखन तथा इतिहास दर्शन”
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रहार हुए. उन्होंने मूल ऐतिहासिक स्रोतों के अध्ययन पर जोर दिया, जिससे भारत का वास्तविक इतिहास सामने आ सके.
युवा इतिहासकारों को प्रेरित करते हुए उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व एवं मौलिक चिंतन का आह्वान किया
सत्र के अध्यक्ष इग्नू के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने भी मौलिक शोध एवं मौलिक चिंतन द्वारा भारत के इतिहास अध्ययन पर बल दिया. साथ ही कहा कि छात्रों के विशाल समुदाय तक पहुँच रखने वाले विश्वविद्यालय के रूप में इग्नू इस कार्य के लिए प्रतिबद्ध है.
उद्घाटन सत्र को प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना; डॉ. चमू कृष्ण शास्त्री, अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति; एवं डॉ. सारंगदेवोत, कुलपति, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ ने भी संबोधित किया. इग्नू के कुलसचिव प्रो. आलोक चौबे ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
संगोष्ठी के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र के अलावा चार शोध पत्र प्रस्तुति सत्रों का भी आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य विषय के विभिन्न आयामों पर आधारित लगभग 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए एवं उन पर विचार-विमर्श हुआ. एक विशेष सत्र का भी आयोजन हुआ, जिसे प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा; प्रफुल्ल केतकर, संपादक ऑर्गनाइजर; संजय मिश्र, सह-संगठन सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना; एवं डॉ. सुरेश पाण्डेय ने संबोधित किया.
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