18वीं लोकसभा के प्रथम सत्र के आरंभ पर प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता में 18 अध्याय हैं जो कर्म, कर्तव्य और करुणा का संदेश देते हैं। उन्होंने बताया कि पुराणों और उपपुराणों की संख्या 18 है, 18 का मूल अंक 9 है जो पूर्णता का प्रतीक है
18वीं लोकसभा के प्रथम सत्र के आरंभ पर प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 18वीं लोकसभा के प्रथम सत्र के आरंभ होने से पहले मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर को संसदीय लोकतंत्र के लिए एक गौरवशाली दिन बताया और कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार शपथ ग्रहण समारोह नई संसद में हो रहा है। उन्होंने सभी नवनिर्वाचित सांसदों का हार्दिक स्वागत किया और उन्हें बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संसद भारत के आम आदमी के संकल्पों को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने इसे नए उत्साह के साथ नई गति और ऊंचाई हासिल करने का अवसर बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को साकार करने के लिए 18वीं लोकसभा शुरू हो रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्व के सबसे बड़े चुनाव का भव्य आयोजन 140 करोड़ नागरिकों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि चुनावी प्रक्रिया में 65 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तीसरी बार सरकार चुनने के लिए नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह सरकार की नीयत, नीतियों और लोगों के प्रति समर्पण पर मुहर लगाता है। उन्होंने बल देकर कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने एक परंपरा स्थापित करने का प्रयास किया है, जिसमें सरकार चलाने के लिए बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वसम्मति अत्यधिक आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि 140 करोड़ नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सर्वसम्मति हासिल की जाए और सभी को साथ लेकर मां भारती की सेवा की जाए।
प्रधानमंत्री ने 18वीं लोकसभा में शपथ लेने वाले युवा सांसदों की संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त की। भारतीय परंपराओं के अनुसार 18 की संख्या के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता में 18 अध्याय हैं जो कर्म, कर्तव्य और करुणा का संदेश देते हैं। उन्होंने बताया कि पुराणों और उपपुराणों की संख्या 18 है, 18 का मूल अंक 9 है जो पूर्णता का प्रतीक है और भारत में मतदान की कानूनी आयु 18 वर्ष है। श्री मोदी ने कहा कि 18वीं लोकसभा भारत का अमृत काल है और इसका गठन एक शुभ संकेत है।
प्रधानमंत्री ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है। उन्होंने नागरिकों से भारतीय लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा का संकल्प लेने का आह्वान किया ताकि ऐसी घटना फिर कभी न हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे और भारत के संविधान के अनुसार आम नागरिकों के सपनों को पूरा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी तीन गुना बढ़ गई है क्योंकि लोगों ने तीसरी बार सरकार चुनी है। उन्होंने नागरिकों को विश्वास दिलाया कि सरकार पहले से तीन गुना अधिक श्रम करेगी और तीन गुना बेहतर परिणाम भी लाएगी।
प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से जन कल्याण और जन सेवा के लिए इस अवसर का उपयोग करने का आग्रह किया। विपक्ष की भूमिका की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता उनसे लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखते हुए अपनी भूमिका पूरी तरह निभाने की अपेक्षा करती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सांसद आम नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 करोड़ नागरिकों का निर्धनता से बाहर आना एक नया विश्वास पैदा करता है कि भारत सफल हो सकता है और अतिशीघ्र निर्धनता से मुक्ति पा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के 140 करोड़ नागरिक कड़ी मेहनत करने में पीछे नहीं हटते और हमें उन्हें अधिकतम अवसर प्रदान करने चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस सदन को संकल्पों का सदन बनाने और 18वीं लोकसभा को आम नागरिकों के सपनों को साकार करने का आवाह्न किया। अपने वक्तव्य का समापन करते हुए उन्होंने सभी सांसदों से अपनी नई जिम्मेदारी को पूरी लगन से निभाने का आग्रह किया।
What's Your Reaction?