दुनिया की सबसे अद्भुत धार्मिक जगन्नाथ रथ यात्रा

पुरी में आयोजित भगवान जगन्नाथ की दो दिवसीय रथ यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। आज पुरी के साथ-साथ देश और दुनिया भर के कई स्थानों पर भगवान जगन्नाथ की दो दिवसीय रथ यात्रा का आयोजन किया गया है

Jul 7, 2024 - 18:07
Jul 7, 2024 - 18:18
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दुनिया की सबसे अद्भुत धार्मिक जगन्नाथ रथ यात्रा

इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का उत्सव भक्तों के लिए और ख़ास होने वाला है...क्योंकि जल्द ही पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खुलेगा...

जिसका दर्शन भक्तों को मिलेगा....अब ये जान लीजिए कि रत्न भंडार है क्या ?

1. 861 साल पुराने जगन्नाथ पुरी मंदिर का खजाना यानी रत्न भंडार 39 साल से बंद है
2. आखिरी बार इसे 1984 में खोला गया था....
3. 1978 में रत्न भंडार में रखे सोने की जांच के बाद एक लिस्ट तैयार की गई थी....
4. लिस्ट के मुताबिक जगन्नाथ मंदिर के खजाने में 150 किलोग्राम सोना...258 किलोग्राम चांदी है...
5. सोने के आभूषण की और कीमती पत्थरों का वजन 1.50 लाख ग्राम है
6. चांदी के गहने और उसमें लगे कीमती पत्थरों का वजन 2.50 लाख ग्राम है


7 साल बाद 1984 में एक बार फिर से रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोलकर जांचा गया, लेकिन इस बार कोई भी जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं आई। इसके बाद बीते 39 साल से रत्न भंडार के भीतरी कक्ष का दरवाजा नहीं खुला है। रत्न भंडार भगवान जगन्नाथ के चरणों के नीचे बना है. यहां पर न सिर्फ तीनों देवों के गहने बल्कि कीमती बर्तन भी रखे हैं..बताया जाता है कि जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ है, तब से यहीं ये गहने और बर्तन रत्नभंडार में रखे हैं, उस दौर के राजाओं ने अपने आराध्य को भारी मात्रा में गहने चढ़ाए थे...।

ये खजाना मंदिर में बने दो रत्नभंडार में रखा है...

जगन्नाथ रत्न भंडार के तहखानों में रत्नभंडार के दो हिस्से हैं...भीतरी और बाहरी..बाहरी रत्न भंडार वो जगह है, जहां पर तीनों भगवान को नियमित पहनाए जाने वाले जेवर रखे जाते हैं, वहीं भीतरी भंडार में उन गहनों को सहेज कर रखा जाता है...जिनको भगवान को पहनाया नहीं जाता है...जो उनको उपहार में मिले है...रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा तो खुलता है लेकिन भीतरी हिस्सा सालों से बंद है...

पिछले 40 सालों से बंद भुवनेश्वर के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को ओडिशा सरकार दोबारा खोलने की तैयारी में है. भंडार के कीमती खजाने के सामान की लिस्ट की निगरानी के लिए समिति भी गठित की गई है. इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज भी शामिल हैं...दरअसल रत्न भंडार से जुड़ा बड़ा विवाद इसकी चाबियों का है...

इसकी चाबी पिछले 6 साल से गायब है
2018 में रत्न भंडार चाबियां खोने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मामले की जांच के आदेश दिए थे जांच के लिए गठित कमेटी ने करीब दो हफ्तों की जांच के बाद एक लिफाफा मिलने की बात कही थी लिफाफे पर लिखा था ‘भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां’ इस लिफाफे के साथ ही जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को अपनी 324 पन्नों की रिपोर्ट भी राज्य सरकार को सौंप दी थी लेकिन रिपोर्ट में क्या था ये पब्लिक नहीं किया गया।

1. श्री जगन्नाथ मंदिर के रुल बुक के मुताबिक...रत्न भंडार के अंदर के आभूषणों का हर छह महीने में ऑडिट किया जाना चाहिए....
2. प्रथा के मुताबिक आभूषणों को रत्न भंडार के इनर चैंबर में रखा जाता है...जिसे दो तालों से सील कर किया जाता है
3. ये ताले केवल राज्य सरकार की विशेष अनुमति से ही खोले जा सकते हैं और चाबियां मंदिर प्रशासन को सरकारी खजाने में जमा करानी होती हैं...

जगन्नाथ मंदिर के भीतरी रत्न भंडार को आखिरी बार 1985 में खोला गया था..लेकिन तब गहनों को ऑफिशियली ऑडिट नहीं किया गया था..मतलब आखिरी बार रत्न भंडार की लिस्टिंग 1978 यानी 45 साल पहले हुई थी....मंदिर में हर रोज लाखों का चढ़ावा आता है... एक अनुमान के मुताबिक मंदिर की दान पेटी पर रोज करीब 3 से 4 लाख रुपये मिलते हैं। इसके अलावा सोने चांदी के आभूषण चढ़ाए जाते हैं। 45 साल से जो चढ़ावा आया है उसका भी कोई हिसाब किताब नहीं

ओडिशा के विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार की गुम चाबियों का मुद्दा काफी उठा था...पीएम मोदी ने भी इस पर सवाल उठाए थे....ओडिशा में बीजेपी की सरकार आने के बाद अब रत्न भंडार खोलने की तैयारी तेजी से चल रही है....।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।