नारद जयंती के अवसर पर 'वर्तमान परिदृश्य में लोकमत परिष्कार' विषयक गोष्ठी आयोजित
विश्व संवाद केंद्र गोरखपुर द्वारा 'वर्तमान परिदृश्य में लोकमत परिष्कार' विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि वैचारिक स्खलन के कारण कुछ लोग भारत को राज्य का समूह मानते हैं
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विश्व संवाद केंद्र गोरखपुर द्वारा 'वर्तमान परिदृश्य में लोकमत परिष्कार' विषयक गोष्ठी का आयोजन
नारद जयंती के अवसर पर सरस्वती विद्या मंदिर सभागार में विश्व संवाद केंद्र गोरखपुर द्वारा 'वर्तमान परिदृश्य में लोकमत परिष्कार' विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि वैचारिक स्खलन के कारण कुछ लोग भारत को राज्य का समूह मानते हैं, लेकिन भारत एक राष्ट्र है और उन्हें अपने विचारों को बदलना होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र की अवधारणा अथर्ववेद से आई है और समाज को यह समझाना आवश्यक है। जैसे देवर्षि नारद तीनों लोकों में घूमकर लोगों का दृष्टिकोण और जानकारी प्राप्त करते थे, वैसे ही आज की मीडिया को भी समाज का दृष्टिकोण बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती ने आगे कहा कि भारत ने कोरोना काल में 60 देशों को वैक्सीन की मदद देकर विश्व का भरण-पोषण किया है और अपनी सामर्थ्य के बल पर विश्व में अलग पहचान बनाई है। भारत को और सामर्थ्यवान बनाने के लिए मजबूत सरकार की आवश्यकता है, इसलिए अधिक से अधिक मतदान करना आवश्यक है और इसके लिए लोकमत परिष्कार की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि आईएमए अध्यक्ष डॉ. स्मिता जायसवाल ने कहा कि देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर हमें राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर लोकतंत्र को सशक्त बनाने हेतु शत-प्रतिशत मतदान के लिए प्रयास करना होगा। स्वस्थ लोकतंत्र में पत्रकारिता का बहुत महत्व है, इसलिए मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह अधिक से अधिक मतदान के लिए प्रयास करे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व पुष्पार्चन कर मुख्य अतिथि स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, विशिष्ट अतिथि डॉ. स्मिता जायसवाल, अध्यक्ष हर्षवर्धन शाही और प्रांत संघचालक डॉ. महेंद्र अग्रवाल ने किया। प्रस्तावना डॉ. उमेश सिंह ने रखी और संचालन आशुतोष त्रिपाठी ने किया। अतिथि परिचय अभिषेक चटर्जी ने करवाया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. स्मृति मल्ल ने किया। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम के साथ किया गया।
इस अवसर पर विभाग प्रचारक अंबेश जी, सह व्यवस्था प्रमुख हरे कृष्ण, शैलेश जी, वरुणेश राज, मनीष श्रीवास्तव, अनुपम वर्मा, आशीष श्रीवास्तव, पुनीत पांडेय आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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