मेरठः रामराज' के संकल्प पथ पर प्रतिदिन 14 घंटे तक चल रहे छोटे पर्दे के 'श्रीराम

रामायण धारावाहिक के श्रीराम का दर्शन पाकर जनता भावुक प्रतीत हो रही है, वहीं गोविल भी बुजुर्ग का आशीर्वाद ग्रामीणों का हुजूम उस झलक को कैमरे में कैद करके प्रसन्न है।

Apr 13, 2024 - 22:37
Apr 13, 2024 - 22:39
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मेरठः रामराज' के संकल्प पथ पर प्रतिदिन 14 घंटे तक चल रहे छोटे पर्दे के 'श्रीराम

रामराज' के संकल्प पथ पर प्रतिदिन 14 घंटे तक चल रहे छोटे पर्दे के 'श्रीराम

मेरठः सुबह लगभग 10 बजे का समय है, गढ़-मेरठ हाईवे किनारे हसनपुर गांव में बुजुर्ग महिला व्हील चेवर पर बैठकर छोटे पर्दे के श्रीराम की प्रतीक्षा कर रही है। उनके प्रकट होते ही महिला जय श्रीराम का उद्घोष करती है। डगर में खड़ी भीड़ देखकर अरुण गोविल चिरपरिचित अंदाज में मुस्कराते हुए उनकी तरफ पुष्प उछालते हैं और फिर कार से उत्तरकर उनसे मिलने पहुंच जाते हैं। यहां जैसे धर्म, श्रद्धा और भावनाओं की त्रिवेणी बह रही है।

रामायण धारावाहिक के श्रीराम का दर्शन पाकर जनता भावुक प्रतीत हो रही है, वहीं गोविल भी बुजुर्ग का आशीर्वाद ग्रामीणों का हुजूम उस झलक को कैमरे में कैद करके प्रसन्न है। इस गांव से रोड शो दूसरे गांव की तरफ बढ़ता है। गांवों के बीच में दूरी होने के कारण वह खड़े होने के बजाय बैठ जाते हैं तभी मुंबई से गायक-संगीतकार अनु मलिक का फोन आता है। पूछते हैं-गोविल जी, आप मुंबई से बाहर हैं? बाहर से चुनाव लड़ रहे हैं?

पाकर  गोविल जवाब देते हैं, मैं अपने घर मेरठ में हूं। बाहर से नहीं, जन्मभूमि मेरठ से चुनाव लह रहा हूं। दोनों की बात होती है और इसी बीच काफिला रछौती गांव पहुंच जाता है। 'रामराज' के संकल्प पथ पर वह प्रतिदिन 14 घंटे तक चल रहे हैं। रहीती गांव में इन्वर्टर की दुकान चलाने वाले नीटू तेजी से आकर एक नेता के गले लग जाते हैं।

बोलते हैं-दिल खुश हो गया, जो श्रीराम गांव की गलियों तक चले आए। बिजली समस्या का समाधान हम करते हैं, लेकिन सबके चेहरे पर चमक इनके आने से आई है। नंगली किठौर गांव में युवाओं ने राम दरबार की तस्वीर भेंट की। आग्रह किया कि अपने चरण घरों तक भी पहुंचाएं। गोविल मुस्कराकर बोले-अब तो मेरठ ही रहना है। चुनाव के बाद सभी से मिलेंगे, सबके बीच पहुंचेंगे। काफिला आगे बढ़ा। इस गांव में एक नया बदलाव दिखा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग गोविल को देखने निकले थे। स्वागत कर रहे थे। इस गांव में 2010 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने से रोक दिया गया था। 

आखिर रोड शो ही क्यों? इसका जवाब प्रचार देखकर मिला। जिस भी तरफ से रोड शो निकलता है राम का चरित्र आंखों में बसाए लोग फोटो खींचने को दौड़ रहे हैं। बच्चे, महिलाएं भाव विह्वल होकर पुष्प वर्षा कर रही हैं। कार की छत से गोविल बाहर निकलकर खड़े होते हैं और हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन करते हुए आगे बढ़ते हैं। अरुण सभी की तरफ पुष्प फेंकते हैं। वह कहते हैं-मैं इसे फूल फेंकना नहीं बोलता। यह भाव का समर्पण है। समय कम है और हर जगह पहुंचना है, इसीलिए रोड शो चुना गया। अब घर-घर जनसंपर्क भी करूंगा।

अब दोपहर के तीन बजे हैं। काफिले के साथ निकले लोग अलग-अलग समय पर गाड़ी में ही पैकेट वाला भोजन कर रहे हैं, पर गोविल उसी तरह से मुस्कराते हुए कार में खड़े हैं। उनसे जब सवाल किया तो बोले-मैं सुबह एक कप दूध व पोहा खाकर निकलता हूँ। पूरे दिन पानी, नारियल का पानी व अन्य पेय से ही काम चलता है। लोग इतना प्यार दे रहे हैं, जिससे पेट भर जाता है। देर रात घर पहुंचता हूं और हल्का-फुल्का कुछ खाकर सो चलकर सेवा करूंगा।


सुबह जल्दी उठकर प्रचार से संबंधित तैयारी में लग जाता है। वैसे तो प्रतिदिन टहलता हूं और योग करता हूं, लेकिन इस समय व्यस्तता के कारण यह सब नहीं हो पा रहा है। रामायण के श्रीराम की छवि को देखते भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। ऐसे में मीडिया की भी इसी सीट पर नजर है। कैंट स्थित उनके व घर के बाहर सुबह से ही मीडिया की चहल-कदमों शुरू हो जाती है।

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