इराक में 9 साल की बच्चियों से शादी की अनुमति देने वाला कानून संशोधन प्रस्तावित

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Nov 12, 2024 - 20:51
Nov 12, 2024 - 20:55
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इराक में 9 साल की बच्चियों से शादी की अनुमति देने वाला कानून संशोधन प्रस्तावित

इराक में 9 साल की बच्चियों से शादी की अनुमति देने वाला कानून संशोधन प्रस्तावित

इराक सरकार ने विवाह कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन करने की तैयारी की है, जिसके तहत लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को घटाकर नौ साल किया जाएगा। यदि यह संशोधन पारित होता है, तो पुरुषों को नौ साल की उम्र तक की लड़कियों से विवाह करने की अनुमति मिल जाएगी। इसके अलावा, प्रस्तावित कानून में महिलाओं के तलाक, बच्चों की कस्टडी और विरासत के अधिकारों को भी समाप्त किया जा सकता है, जिससे देश में सामाजिक और राजनीतिक हलचल मच सकती है।

मुस्लिम दलों का समर्थन, संशोधन का उद्देश्य

इराकी संसद में रूढ़िवादी शिया मुस्लिम दलों के गठबंधन का प्रभुत्व है, और ये दल विवाह कानून में संशोधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या के अनुरूप है, और इसका उद्देश्य युवा लड़कियों को "अनैतिक संबंधों" से बचाना है। इस्लामी धार्मिक प्राधिकारियों का मानना है कि इस बदलाव से पारिवारिक संरचना को सुदृढ़ किया जा सकेगा।

कानून 188 में बदलाव की तैयारी

वर्तमान में इराक का 'व्यक्तिगत स्थिति कानून' (कानून 188) 1959 से लागू है, और यह इराकी परिवारों के मामलों को नियंत्रित करता है, चाहे उनका धार्मिक संप्रदाय कोई भी हो। यह कानून मध्य पूर्व में सबसे प्रगतिशील माना जाता था, लेकिन अब उसमें संशोधन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। प्रस्तावित संशोधन के तहत, विवाह की कानूनी आयु को कम करने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों में भी कटौती की जाएगी, जिनमें तलाक, बच्चे की कस्टडी और विरासत के अधिकार शामिल हैं।

बाल विवाह का बढ़ता मुद्दा

इराक में पहले से ही बाल विवाह की उच्च दर है, जो विशेष रूप से गरीब और अति-रूढ़िवादी शिया समुदायों में व्यापक है। इन समुदायों में इस तरह के विवाह आम होते जा रहे हैं, और यह समाज में गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। इस प्रस्तावित संशोधन के बाद, बाल विवाह की दर में और वृद्धि हो सकती है, जो बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करेगा।

सशक्त शिया दलों का दबाव

इससे पहले, 2014 और 2017 में भी इराकी शिया दलों ने इस कानून में संशोधन करने की कोशिश की थी, लेकिन महिलाओं और समाज के अन्य हिस्सों से मिली तीव्र प्रतिक्रिया के कारण यह प्रयास विफल हो गया था। अब, शिया दलों के पास संसद में एक मजबूत बहुमत है, और वे संशोधन को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयास शिया इस्लामवादी समूहों द्वारा अपनी शक्ति को मजबूत करने और वैधता पुनः प्राप्त करने का एक हिस्सा है।

इस्तेमाल किया जा रहा धार्मिक वैधता का तर्क

विशेषज्ञ डॉ. रेनाड मंसूर का कहना है कि इस संशोधन का उद्देश्य शिया इस्लामवादी समूहों के लिए राजनीतिक वैधता को पुनः प्राप्त करना है, जो पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है। वे धार्मिक पक्ष पर जोर देकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय आलोचना और महिला अधिकारों की चिंता

इराक में प्रस्तावित विवाह कानून के संशोधन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाएं हो सकती हैं, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के संगठन और बाल विवाह विरोधी समूह इसे गंभीर रूप से गलत मान सकते हैं। ऐसे में सरकार के इस कदम का सामाजिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक असर हो सकता है।

यह स्थिति इराक में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के संदर्भ में नए सवाल खड़ा करती है, और आगामी दिनों में इस पर वैश्विक प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है।

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