भारत-पाक रिश्तों में पिछले नौ वर्षों के सबसे सकारात्मक 24 घंटे

The atmosphere in Islamabad was completely different from the same SCO meeting in Goa last year. Then Pakistan's Foreign Minister Bilawal Bhutto had come to Goa to participate in the SCO meeting. The tension in relations was such that the two foreign ministers did not even formally shake hands with each other. इस्लामाबाद का माहौल पिछले वर्ष गोवा में एससीओ की इसी बैठक से बिल्कुल अलग रहा। तब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो एससीओ बैठक में हिस्सा लेने गोवा आए थे। रिश्तों में तल्खी का आलम यह था कि दोनों विदेश मंत्रियों ने औपचारिक तौर पर एक दूसरे से हाथ भी नहीं मिलाया था।

Oct 17, 2024 - 20:45
Oct 17, 2024 - 20:57
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भारत-पाक रिश्तों में पिछले नौ वर्षों के सबसे सकारात्मक 24 घंटे

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस्लामाबाद में एससीओ की बैठक में हिस्सा लेकर बुधवार देर शाम नई दिल्ली लौट आए। जयशंकर तकरीबन 24 घंटे पाकिस्तान की राजधानी में रहे, इस दौरान उन्होंने दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से हाथ मिलाया, प्रधानमंत्री शरीफ की तरफ से आयोजित रात्रिभोज में हिस्सा लिया और दोपहर के भोज में जयशंकर की शरीफ के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई। हालांकि इसे दोनों देशों के बीच संबंधों में बड़े सुधार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बहरहाल, इस्लामाबाद से लौटने के बाद जयशंकर ने प्रधानमंत्री शरीफ, विदेश मंत्री इशाक दार और पाकिस्तान सरकार को उनकी तरफ से की गई आवभगत के लिए धन्यवाद भी दिया। 'एक्स' पर जयशंकर के धन्यवाद का जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी धन्यवाद से दिया।

ऐसा मौहाल 25 दिसंबर, 2015 को तब देखने को मिला  था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अचानक  ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लाहौर स्थित घर पर आयोजित एक शादी में हिस्सा लेने पहुंच गए थे। इस्लामाबाद का माहौल पिछले वर्ष गोवा में एससीओ की इसी बैठक से बिल्कुल अलग रहा। तब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो एससीओ बैठक में हिस्सा लेने गोवा आए थे। रिश्तों में तल्खी का आलम यह था कि दोनों विदेश मंत्रियों ने औपचारिक तौर पर एक दूसरे से हाथ भी नहीं मिलाया था। बैठक के अंतिम दिन भुट्टो ने भारत के कुछ मीडिया को साक्षात्कार देकर कश्मीर का मुद्दा उठा दिया था। इसके बाद एससीओ बैठक की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री आतंकवाद उद्योग के प्रवर्तक, पोषक व प्रवक्ता हैं। साथ ही कहा था कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ सिर्फ एक बात होनी है और वह पकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने को लेकर होनी है। भुट्टो के भारत आने पर द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार को जो संभावनाएं थीं, वे उलटी साबित हुई थीं। इस लिहाज से इस्लामाबाद का माहौल पूरी तरह से अलग रहा।


सूत्रों के मुताबिक, जयशंकर व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बीच अनौपचरिक बातचीत को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। भोजन के दौरान हर नेता एक दूसरे से अनौपचारिक बात कर रहे थे। इस्लामाबाद जाने से पहले ही जयशंकर ने कहा था कि वह एक सभ्य व्यक्ति हैं और वहां पर वह वैसा ही व्यवहार करेंगे। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि यह यात्रा एससीओ के संदर्भ में हो रही है, इसे द्विपक्षीय संबंधों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सनद रहे कि प्रधानमंत्री मोदी की दिसंबर, 2015 की यात्रा के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की गुंजाइश बनी थी। जनवरी, 2016 में दोनों देशों के विदेश सचिवों की अगुआई में समग्र वातों नए सिरे से शुरू होने वाली  थी। लेकिन पाक पोषित आतंकियों की  तरफ से पठानकोट हमले से द्विपक्षीय  रिश्तों में सुधार की सारी संभावनाएं  ध्वस्त हो गई थीं।

वैश्विक संस्थाओं को बदलावों के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत

कहा कि वैश्विक संस्थाओं को बदलावों के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में व्यापक सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया, ताकि वैश्विक निकाय को अधिक प्रतिनिधित्व वाला, समावेशी, पारदर्शी और कुशल बनाया जा सके। उन्होंने कहा, "एससीओ को ऐसे बदलावों की वकालत करने में अग्रणी होना चाहिए, न कि पैसे महत्वपूर्ण मामले पर पीछे हटना चाहिए।" 

जयशंकर ने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "हम वैश्विक मामलों में एक कठिन समय पर मिल रहे हैं। दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने वैश्विक परिणाम हैं। कोविड महामारी ने विकासशील दुनिया में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है।" उन्होंने कहा, "विभिन्न प्रकार के व्यवधान जलवायु से वित्तीय जुड़ी बड़ी घटनाओं से लेकर आपूर्ति श्रृंखला की अनिश्चितताओं और

अस्थिरता तक वृद्धि और विकास को प्रभावित कर रहे हैं।" साथ ही कहा, "प्रौद्योगिकी में बहुत संभावनाएं हैं, साथ ही वह कई नई चिंताओं को भी जन्म दे रही है।" इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट में जयशंकर ने सम्मेलन में भारतीय दृष्टिकोण से आठ चीजें हासिल करने की बात की। इनमें एससीओ ढांचे में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को शामिल करना और 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के विचार पर संवाद विकसित करने का निर्णय शामिल है। अन्य प्रमुख बातों में अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निष्पक्ष एवं संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना और डब्ल्यूटीओ को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, खुली, निष्पक्ष, समावेशी और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणालियों पर फिर से जोर देना शामिल है।

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