सुप्रीम कोर्ट में बड़े बदलाव: न्याय की देवी से पट्टी और तलवार हटी, अब पारदर्शिता पर जोर

पारदर्शिता की ओर बढ़ रहे कदम, न्याय सभी के लिए बराबर और कानून अब अंधा नहीं संदेश लगातार देने की कोशिश, सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगी न्याय की देवी की नई मूर्ति के एक हाथ में तराजू, दूसरे में संविधान जैसी पुस्तक

Oct 17, 2024 - 20:37
Oct 17, 2024 - 20:42
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सुप्रीम कोर्ट में बड़े बदलाव: न्याय की देवी से पट्टी और तलवार हटी, अब पारदर्शिता पर जोर

न्याय की देवी की आंखों से हटी पट्टी, तिलक मार्ग पर लगी जस्टिस क्लाक 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट और न्याय व्यवस्था पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा रही है। लगातार यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि न्याय सभी के लिए है, न्याय के समक्ष सब बराबर हैं और कानून अब अंधा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में बदलाव हुआ है। न्याय की देवी की आंखों की पट्टी हट गई है और इसके अलावा उसके हाथ से तलवार भी हटा दी गई है। अब न्याय की देवी के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में पुस्तक है जो संविधान जैसी दिखती है। इसके अलावा एक और बड़ा बदलाव हुआ है। दशहरे की छुट्टियों में सुप्रीम कोर्ट के सामने तिलक मार्ग पर एक बड़ी वीडियो वाल लग गई है जिसमें हर समय सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लाक चलती है। इससे सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की रियल टाइम जानकारी ली जा सकती है।

खुली आंखों से समानता के साथ न्याय करने का संदेश देने वाला यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट की जजों की लाइब्रेरी में लगी न्याय की देवी की प्रतिमा में हुआ है। इस लाइब्रेरी में न्याय की देवी की एक बड़ी सी नई प्रतिमा लगी है जिसकी आंखों से पट्टी हटा दी गई है। नई मूर्ति के एक हाथ में तराजू और दूसरे में तलवार की जगह पुस्तक है जो कानून की किताब या संविधान जैसी दिखती है, हालांकि उस पर संविधान नहीं लिखा है। नई प्रतिमा से बराबरी के व्यवहार से संतुलित न्याय का संदेश बुलंद होता है। यह संदेश जाता है कि कानून अंधा नहीं है।

वैसे बताते चलें कि न्याय की देवी की यह मूर्ति गत वर्ष जजों की लाइब्रेरी में हुए रेनोवेशन के दौरान लगाई गई थी। न्याय की देवी की जो पुरानी मूर्ति थी, उसकी आंखों पर पट्टी बंधी थी। उस मूर्ति के एक हाथ में तराजू और दूसरे में तलवार थी। इससे यह संदेश जाता था कि कानून किसी की दौलत पद प्रतिष्ठा को नहीं देखता। सूत्र बताते हैं कि प्रधान न्यायाधीश के कहने पर नई मूर्ति लगी है। उसकी  आंखों पर पट्टी नहीं है। चंद्रचूड़ मानते हैं कि कानून अंधा नहीं है बल्कि कानून सभी को समान मानता है।

न्याय की देवी के हाथ से तलवार हटाने का भी संकेत शायद औपनिवेशिक काल की चीजों को छोड़ना है। तिलक मार्ग पर बड़ी वीडियो वाल में लगी जस्टिस क्लाक सुप्रीम कोर्ट के कामकाज का रोजाना का हिसाब प्रतिपल जनता के सामने पेश करती है। वैसे जस्टिस क्लाक को वेबसाइट पर देखा जा सकता था लेकिन आम जनता को सीधे जानकारी पहुंचाने और व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए जस्टिस क्लाक का वीडियो वाल लगाया गया है।

ऐसी ही जस्टिस क्लाक सुप्रीम कोर्ट के दूसरी ओर मथुरा रोड पर भी लगाए जाने का प्रस्ताव है और हो सकता है कि दीपावली की छुट्टियों में वहां भी एक सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लाक लग जाए। जस्टिस क्लाक में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हुए, निपटाए गए और लंबित मुकदमों का वर्षवार, तारीखवार, ब्योरा देखा जा सकता है।

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