राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के नेतृत्व में 'क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत' संगोष्ठी का उद्घाटन

जनजातियों के विकास में सामाजिक और आर्थिक समावेश की आवश्यकता है, और उन्होंने इसे 'पीएम-जनमन' की शुरुआत के साथ जोड़ा।

Feb 29, 2024 - 21:41
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के नेतृत्व में 'क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत' संगोष्ठी का उद्घाटन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (29 फरवरी, 2024) को ओडिशा के क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत' पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अद्भुत समारोह के माध्यम से, राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों के सांस्कृतिक धरोहर, जनसमूह और उनके विकास को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने उद्घाटन के दौरान कहा कि क्योंझर एक समृद्ध और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा जनजातीय जिला है जो अनेक जनजातियों के आदिवासी समृद्धि का केंद्र है। इसे मुंडा, कोल्ह, भुइयां, जुआंग, सांती, बथुडी, गोंड, संथाल, ओरंग, और कोंध जनजातियों का निवास स्थान माना जाता है। उन्होंने जनजातीय समुदायों के सौंदर्य, सांस्कृतिक समृद्धि, और विरासत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बात की और उनके संरक्षण के लिए सरकारी पहलूओं की स्थापना की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जनजातियों के विकास में सामाजिक और आर्थिक समावेश की आवश्यकता है, और उन्होंने इसे 'पीएम-जनमन' की शुरुआत के साथ जोड़ा। यह पहल आजीविका, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, नल का जल, स्वच्छता एवं पोषण के क्षेत्र में सरकारी योजनाओं को समर्थन प्रदान करेगी।

राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों के लोगों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं का समर्थन किया और उन्हें अधिक से अधिक सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जनजातियों के सांस्कृतिक एवं शैलीलों को संरक्षित रखने की भी बात की और इसे समृद्धि की ओर एक कदम बढ़ाने का समर्थन किया।

राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण को भी महत्वपूर्ण माना और जनजातीय समाजों में स्त्री-पुरुष के बीच समानता की बात की। उन्होंने कहा कि इस समानता में ही महिला सशक्तिकरण का असली मूल है, और उन्होंने सभी जनजातियों को इस मुहिम में साथी बनने के लिए प्रेरित किया।

शिक्षा के महत्व को बताते हुए, राष्ट्रपति ने शिक्षकों से गाँवों में जाकर ग्रामीणों की स्थिति का निरीक्षण करने का आग्रह किया और उन्हें पारंपरिक ज्ञान के महत्व को समझने और उसका संरक्षण करने की कला को शिक्षित करने का सुझाव दिया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षा के साथ-साथ शोध पर भी ध्यान केंद्रित करने की महत्वपूर्णता पर बात की और शिक्षकों से जनजातीय गाँवों में जाकर शोध करने का आग्रह किया। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे छात्रों को नई तकनीकों के साथ जोड़ें और उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करें।

राष्ट्रपति ने छात्रों से उनकी शिक्षा और कौशल के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी और उन्हें नई तकनीकों के साथ जुड़े रहने का प्रेरणा दिया। उन्होंने छात्रों को यह सिखाने के लिए प्रेरित किया कि वे नए और नवीनतम विज्ञान, तकनीक, और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी ऊर्जा को लगाएं और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाएं।

इस संगोष्ठी के माध्यम से, राष्ट्रपति ने जनजातियों के सांस्कृतिक धरोहर और विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्थन और संबल प्रदान किया है, जिससे इस समृद्धि और समाज में समावेश की दिशा में एक नई ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है। यह समारोह जनजातीय समुदायों के साथ समानता, सांस्कृतिक समृद्धि, और एक सशक्त भविष्य की ऊर्जा को समर्थन करता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार