विजय सत्य की ही होती है…

सत्य परेशान किया जा सकता है, पर पराजित नहीं हो सकता। हाल ही में मालेगांव बम ब्लास्ट केस में एनआईए विशेष न्यायालय का निर्णय आया है, उससे एक बार फिर सत्य की जीत हुई है और सत्य को नकारने वाले सभी तत्वों की पराजय हुई है। निर्णय सुनाते हुए विशेष न्यायालय के न्यायमूर्ति ए. के. […] The post विजय सत्य की ही होती है… appeared first on VSK Bharat.

Aug 3, 2025 - 17:19
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विजय सत्य की ही होती है…

सत्य परेशान किया जा सकता है, पर पराजित नहीं हो सकता। हाल ही में मालेगांव बम ब्लास्ट केस में एनआईए विशेष न्यायालय का निर्णय आया है, उससे एक बार फिर सत्य की जीत हुई है और सत्य को नकारने वाले सभी तत्वों की पराजय हुई है।

निर्णय सुनाते हुए विशेष न्यायालय के न्यायमूर्ति ए. के. लाहोटी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह, कर्नल श्रीकांत पुरोहित सहित सभी सात अभियुक्तों को निर्दोष करार दिया है और तत्कालीन कांग्रेस सरकार के सनातन, हिन्दुत्व और आरएसएस को बदनाम करने के षड्यंत्र को विफल कर दिया है। महाराष्ट्र ए.टी.एस. के पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने जो खुलासा किया है, उसने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की बची-खुची लज्जा का भी चीरहरण कर दिया। मुजावर को सच के साथ खड़े रहने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी, पर वह डटकर सच के साथ खड़े रहे।

सितंबर २००८ में मालेगांव में बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें छह लोगों की जान गयी थी। महाराष्ट्र के आतंक विरोधी दस्ते ने साध्वी प्रज्ञा सिंह, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, अजय रहिरकर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी को पकड़ा था। तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी. चिदंबरम ने घटना के लिए ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ जिम्मेदार है, ऐसे शब्दों का प्रयोग किया था और समस्त हिन्दू समाज को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा था।

न्यायालय के निर्णय पर आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने भी कहा कि कुछ लोगों ने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को ही आतंकवादी करार देने का षड्यंत्र रचा था, पर न्यायालय के फैसले से सत्य सबके सामने आ गया है। कुछ लोगों ने इस षड्यंत्र के जरिये अपना व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने का घिनौना और निंदास्पद प्रयास किया था।

अब जब हिन्दू समाज को बदनाम करने का षड्यंत्र नेस्तनाबूत हो चुका है तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सही कहा कि कांग्रेस को समस्त हिन्दू समाज से क्षमा याचना करनी चाहिए। कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने उस समय हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद के नाम पर एक झूठा नेरेटिव सेट करने का प्रयास किया था और उसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के वोट बटोरना ही था।

हिन्दू आतंकवाद के कांग्रेसी अपप्रचार का खुलकर विरोध संसद में भी हुआ था। द्रमुक पार्टी के के.एम. कादर मोहिदीन ने १५ दिसंबर २००८ को लोकसभा में कहा था कि इस केस में कुछ हिन्दू सन्यासियों के पकड़े जाने मात्र से यह हिन्दू आतंकवाद है, ऐसा नहीं कहना चाहिए।

कर्नल पुरोहित पर आरडीएक्स के सन्दर्भ में जो आरोप लगाए गए, वे पूर्णतः झूठे साबित हुए। साध्वी प्रज्ञा सिंह की अवैध कस्टडी के बारे में विधिज्ञ महेश जेठमलानी ने कोर्ट को सारी सत्यता से अवगत कराया था। एटीएस ने कैसे अत्याचार उन पर किये, यह भी कोर्ट के सामने रखा था।

पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर का बयान कांग्रेस के खतरनाक इरादों को उजागर करने वाला है। मुबताया कि आदेश न मानने पर उनको सस्पेंड किया गया। उन्होंने आदेश मानने से इंकार कर दिया तो उसकी कीमत भी उनको चुकानी पड़ी।

यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे भी कह चुके हैं कि हिन्दू आतंकवाद यह मैंने स्वयं नहीं कहा था, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व के दबाव के चलते मुझे ऐसा कहना पड़ा था।

न्यायालय का यह फैसला ऐतिहासिक और सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए सुकून का सन्देश देने वाला है। इस फैसले को आते-आते सत्रह वर्ष लगे। फिर भी भगवन के घर देर है, पर अंधेर नहीं, इसकी अनुभूति तो हुई।

विराग पाचपोर

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