एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट' की लॉन्चिंग भारत की बड़ी सफलता

इसरो के द्वारा 1 जनवरी 2024 यानी दिन सोमवार को पहले 'एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट' (X-ray polarimeter satellite)को लॉन्च कर दिया है। यह भारत का पहला पोलारिमीटर मिशन बताया जा रहा है।

Jan 1, 2024 - 15:34
Jan 1, 2024 - 15:42
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एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट' की  लॉन्चिंग भारत की बड़ी सफलता

नए साल 2024 के पहले दिन ही भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इतिहास रच दिया है। इसरो के द्वारा 1 जनवरी 2024 यानी दिन सोमवार को पहले 'एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट' (X-ray polarimeter satellite)को लॉन्च कर दिया है। यह भारत का पहला पोलारिमीटर मिशन बताया जा रहा है। इससे पहले साल 2021 में नासा एजेंसी ने 'इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर' लॉन्च किया था। उस मिशन के बाद यह दुनिया का दूसरा ऐसा मिशन है। जिस पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। यह मिशन इसलिए भी खास माना जा रहा है,क्योंकि इससे एक्सपोसैट एक्स-रे सोर्स (Exposat X-ray Source) के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा।

लॉन्च करने का उद्देश्य:

इसरो के मुताबिक Exposat X-ray Source मिशन को इसरो के भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल PSLV से 1 जनवरी को सुबह 9:10 बजे लॉन्च किया गया। इस मिशन के जरिए सुपरनोवा विस्फोटों जैसे ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी। इसका मुख्य उद्देश्य प्रकाश और ऊर्जा के स्त्रोत को सुलझाने में मदद करेगा। इस सैटेलाइट को पृथ्वी से 650 किमी की निचली कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। अंतरिक्ष में स्थापित होकर यह सैटेलाइट करीब 5 साल कर कार्य करेगी। इसमें लगे 2 पेलोड को बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) और इसरो के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में विकसित किया गया है।

(किसी भी मिसाइल,विमान,रॉकेट या टॉरपीडो में विस्फोटक को ले जाने की क्षमता को पेलोड कहते हैं)

इसरो ने 2023 में रचा था इतिहास

इसरो ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च कर इतिहास रचा था। चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में 42 दिन की यात्रा कर लैंडर मॉड्यूल विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 23 अगस्त को सफलता पूर्वक लैंडिंग कर इतिहास में नाम दर्ज किया था। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया। अंतरिक्ष में इससे पहले यह उपलब्धि केवल अमेरिका,रूस और चीन के पास थी।

इसके बाद भी भारत ने 2 सितंबर को अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च किया। जनवरी माह के पहले सप्ताह में यह अपने लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना है। आदित्य स्पेसक्राफ्ट जिस लैग्रेंज प्वाइंट तक पहुंचने वाला है। उस जगह के आस-पास कोई भी ग्रह नहीं रहने है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि 15 लाख किमी की दूरी होने के बाद भी आदित्य एल-1 पृथ्वी के करीब ही रहने वाला है। आपकों बता दें कि, पृथ्वी और सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। अगर यह मिशन सफलता पूर्वक कामयाब रहा तो यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि साबित होगा।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।