Tag: दुखों का संबल हूँ और प्रेम स्पर्श हूँ।

श्री राम की विनती

तुम्हारा दर्शन हूँ, तुम्हाराआदर्श  हूँ , दुखों का संबल हूँ और प्रेम स्पर्श हूँ।

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