उपराष्ट्रपति का संबोधन: बदलते भारत में शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्र की भूमिका

उपराष्ट्रपति, भारत, शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्र, संबोधन, विकास, समावेशी शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ग्रामीण विकास, उप्र शिक्षा, डिजिटल शिक्षा, सामाजिक समावेशन,

Nov 20, 2024 - 20:14
Nov 20, 2024 - 20:16
 0
उपराष्ट्रपति का संबोधन: बदलते भारत में शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्र की भूमिका

उपराष्ट्रपति जी द्वारा जवाहर नवोदय विद्यालय, काजरा, झुंझुनू में दिया गया था, जो भारतीय शिक्षा नीति, ग्रामीण विकास और राष्ट्रीय एकता पर आधारित था। उन्होंने यह संबोधन छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में हो रहे परिवर्तनों का उल्लेख किया और भारतीय ग्रामीण समाज की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की, जिसे उन्होंने "गेम चेंजर" बताया और यह शिक्षा को केवल डिग्रियों और किताबों के बोझ से मुक्त करके, व्यावहारिक कौशलों से सशक्त बनाने का उद्देश्य बताया। इसके माध्यम से देश को 2047 तक "विकसित भारत" बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उन्हें यह भी याद आया कि उनका जीवन सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद बदल गया, और उन्होंने छात्रों को बताया कि उन्हें मिलने वाला शिक्षा का अवसर कितना भाग्यशाली है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के बच्चों को विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ मिल रहा है, जबकि उनके समय में गांवों में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी थी।

उन्होंने बच्चों को यह सिखाया कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य उन्हें केवल नौकरी पाने के लिए नहीं, बल्कि एक बेहतर नागरिक बनने के लिए तैयार करना है। उन्होंने राष्ट्रीयता और समाज में समानता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और बच्चों को इस दिशा में प्रेरित किया।

साथ ही, उपराष्ट्रपति ने शिक्षा में शिक्षक की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना और कहा कि एक सख्त शिक्षक वही होता है, जो छात्रों को जीवन में सख्त और मजबूत बनाता है। उन्होंने यह भी साझा किया कि आज की राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को बहु-आयामी विकास के लिए प्रेरित करती है, जिसमें केवल अकादमिक शिक्षा नहीं बल्कि खेल, कला और अन्य कौशल भी शामिल हैं।

उपराष्ट्रपति ने अपनी बातों में यह भी कहा कि भारत को दुनिया में एक प्रमुख ताकत बनने के लिए अपने ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों को समर्पित रहना होगा, क्योंकि "भारत की आत्मा ग्रामीण क्षेत्रों में है"। उन्होंने छात्रों को यह सिखाया कि असफलता से डरने के बजाय उसे एक कदम आगे बढ़ने का अवसर समझना चाहिए, जैसे कि चंद्रयान-2 की असफलता के बावजूद चंद्रयान-3 ने सफलता हासिल की।

अंत में, उन्होंने यह स्वीकार किया कि आज का भारत एक तेजी से विकसित हो रहा राष्ट्र है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत का परिचय दे रहा है, और छात्रों को अपनी शिक्षा के माध्यम से देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार