134 बेटियों का होगा उपनयन संस्कार, संघ प्रमुख देंगे आशीर्वाद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत उन्हें आशीर्वाद देंगे। साथ ही 10 सूत्रीय वाक्यों के साथ उन्हें सफल जीवन पथ के लिए मार्गदर्शन करेंगे।

Jul 27, 2024 - 06:12
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134 बेटियों का होगा उपनयन संस्कार, संघ प्रमुख देंगे आशीर्वाद

134 बेटियों का होगा उपनयन संस्कार, संघ प्रमुख देंगे आशीर्वाद

  • अमरोहा के कन्या गुरुकुल में 30 जुलाई को छात्राओं का होगा उपनयन संस्कार
  • भागवत और संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति 'संस्कृत नीडम' भवन का उद्घाटन भी करेंगे

नाम रोशन कर रहीं बेटियां
आचार्य सुमेधा ने गुरुकुल कांगड़ी में पढ़ाई करने के बाद 1988 में बेटियों की दशा व दिशा सुधारने के संकल्प के साथ अपने गांव चोटीपुरा में दो कमरों से गुरुकुल की शुरुआत की थी। इसके लिए उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने का संकल्प भी लिया। अब गुरुकुल में करीब एक हजार बेटियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की पौत्री भी यहां पढ़ रही है। दो बेटियां आइआइटी मुंबई में शोध कर रही हैं। वर्ल्ड गेम्स में भी यहां की बेटियां शामिल रही हैं। इशिता ने तीरंदाजी में गोल्ड मेडल झटका था। 

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में गायत्री मंत्रों की गूंज के बीच कन्या गुरुकुल की 134 छात्राओं को एक साथ 30 जुलाई को उपनयन संस्कार कराया जाएगा। जनेऊ धारण करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत उन्हें आशीर्वाद देंगे। साथ ही 10 सूत्रीय वाक्यों के साथ उन्हें सफल जीवन पथ के लिए मार्गदर्शन करेंगे। इस अवसर पर संघ प्रमुख और संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास बरखेड़ी नए भवन 'संस्कृत नीडम' का उद्घाटन भी करेंगे। आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।


अमरोहा के चोटीपुरा स्थित श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में प्रतिवर्ष बेटियों का उपनयन संस्कार होता है। गुरुकुल की आचार्य सुमेधा बताती हैं कि कई धार्मिक ग्रंथों में बेटों के अलावा बेटियों के उपनयन संस्कार का भी वर्णन है। उपनयन का अर्थ गुरु के समीप जाना होता है। विद्या की देवी मां सरस्वती और माता सीता के भी जनेऊ धारण करने के प्रसंग देखे जा सकते हैं। 

आचार्य सुमेधा के अनुसार गुरुकुल में उपनयन संस्कार के लिए 12 वर्ष की उम्र को सही माना गया है। इससे कम उम्र की छात्राएं यज्ञोपवीत की पवित्रता का ध्यान कम रख पाती हैं।

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