सनातन धर्म मामले में उदयनिधि स्टालिन की याचिका अस्वीकार
न्यायालय ने इस याचिका को विधिक कारणों से अस्वीकार कर दिया
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सनातन धर्म मामले में उदयनिधि स्टालिन की याचिका अस्वीकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुनवाई शुरू होने पर मामले को स्थानांतरित नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन से पूछा है कि उन्होंने किस मंशा से सनातन धर्म पर भड़काऊ बयान मामले में दर्ज हुईं एफआइआर को एक स्थान पर लाने की याचिका दायर की है? वैसे शीर्ष न्यायालय ने इस याचिका को विधिक कारणों से अस्वीकार कर दिया है। उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में अपने भाषण में सनातन धर्म को जड़ से मिटाने का आह्वान किया था। वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं।
शीर्ष न्यायालय में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने तमिलनाडु के मंत्री के आपराधिक मामलों के मुकदमों के स्थानांतरण के लिए कानूनी प्रविधान के उपयोग पर सवाल उठाया। कहा, कुछ मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है और उनमें समन जारी हो चुके हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कैसे उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है। जस्टिस दत्ता ने कहा, किसी मामले की सुनवाई शुरू होने पर केवल कुछ खास कारणों से शीर्ष न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है, सामान्य स्थितियों में सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं करता है। पीठ ने पत्रकारों के मामलों के स्थानांतरण से उदयनिधि के मामले की तुलना को उचित नहीं बताया।
पीठ ने उदयनिधि को अपनी याचिका में संशोधन करने के लिए कहा और छह मई के बाद उसे सूचीबद्ध कराने का निर्देश दिया है। तमिलनाडु के मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, उदयनिधि ने यह बयान किसी राजनीतिक स्वार्थ के चलते नहीं दिया था बल्कि सामान्य तौर पर 30-40 लोगों के समूह के समक्ष दिया था, इसलिए उसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
उदयनिधि ने सनातन धर्म संबंधी यह बयान सितंबर 2023 में हुए एक सम्मेलन में दिया था। इस बयान में कहा गया था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के अधिकार के विरुद्ध है, इसलिए इसे उखाड़ फेंकना चाहिए। सनातन धर्म वैसा ही है जैसा कि कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू होता है, इसलिए उसे नष्ट कर देना चाहिए। तमिलनाडु के मंत्री के बयान का देश में भारी विरोध हुआ और कई स्थानों पर उनके खिलाफ भड़काऊ बयान देने के मामले दर्ज कराए गए थे।
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