शिलालेखों को पढ़ेंगे तीन भाषा विशेषज्ञ

मुख्तार अहमद अंसारी के पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने दलील दी। उन्होंने कहा कि जहां मस्जिद है

Apr 21, 2024 - 12:21
Apr 21, 2024 - 12:27
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शिलालेखों को पढ़ेंगे तीन भाषा विशेषज्ञ
शिलालेखों

शिलालेखों को पढ़ेंगे तीन भाषा विशेषज्ञ

हाईकोर्ट की इंदौर खखंडपीठ के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी द्वारा ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे शानिवार को 30वें दिन भी जारी रहा। अब सर्वे में तीन भाषा विशेषज्ञ भी जोड़े गए हैं। तीनों विशेषज्ञों ने भोजशाला के भीतरी परिसर में शिलालेख और अन्य हिंदू प्रतीक चिह्नों से प्लास्टिक की फिल्म डटवाई और प्राथमिक जांच की।

सर्वे से पहले एएसआइ की टीम ने शिलालेखों और प्रतीक चिह्नों की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक की फिल्म लगाई थी। रविवार को विशेषज्ञ शिलालेखों पर लिखखे विषय को हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित करेंगे। परिसर में स्थित कमाल मौलाना की दरगाह में भी उर्दू और फारसी भाषा के शिलालेख का भी अध्ययन विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। वहीं, भोजशाला के दक्षिण क्षेत्र में पाषाण का एक प्लेटफार्म मिला। उसकी सफाई की गई, वहाँ से मि‌ट्टी हटाने का काम भी शुरू किया गया।

अशोक के अभिलेख - विकिपीडिया

ज्ञानवापीः जहां कब्र वहां मस्जिद नहीं हो सकती

प्रतिनिधि, वाराणसी : ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की और से 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई शनिवार को सिविल अदालत में मुख्तार अहमद अंसारी के पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने दलील दी। उन्होंने कहा कि जहां मस्जिद है, वहां कद्र नहीं और जहां का वहां मस्जिद नहीं हो सकती है। एक डी स्थान पर दो स्वरूप नहीं डी सकते हैं। हुई

अभिलेख - विकिपीडिया

राम जन्मभूमि मुकदमे के फैसले का डवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उसमे स्पष्ट है कि जहां मंदिर है, वहां मस्जिद नहीं हो सकती और जहां मस्जिद है यहां मंदिर नहीं हो सकता है। रस्तोगी ने कड़ा कि प्रार्थना पत्र में मुख्तार का कहना है कि फातिहा पढ़ने और उर्स में शामिल होने जाते थे। उनका यह कहना बिल्कुल गलत उल्लेख किया गया है कि 1906 या उससे पहले से वहां न कोई फातिहा पढ़ा गया, न ही कोई धार्मिक गतिविधि डोती थी। वह पिता के साथ ज्ञानवापी स्थित कब्र पर है

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