राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में भाजपा पर तीखा प्रहार किया है, जिसमें 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों को पार्टी के ओवरकॉन्फिडेंट कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए रियलिटी चेक बताया गया है। आरएसएस के सदस्य रतन शारदा ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 400 पार के नारे को लक्ष्य मानने के बजाय खुद की दुनिया में मग्न थे और मोदी के व्यक्तित्व की चकाचौंध में डूबे हुए थे, जिससे वे आम जनता की आवाज सुनने में असमर्थ रहे।
चुनाव परिणामों में भाजपा को 240 सीटें मिलीं, जो बहुमत से कम थीं, लेकिन एनडीए ने 293 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया। कांग्रेस को 99 सीटें मिलीं, जबकि इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें प्राप्त हुईं। इस जीत में दो निर्दलीयों ने कांग्रेस को समर्थन दिया, जिससे इंडिया ब्लॉक की संख्या बढ़कर 236 हो गई।
शारदा ने अपने लेख में यह भी कहा कि चुनावी मैदान में मेहनत से लक्ष्यों को हासिल किया जाता है, न कि सोशल मीडिया पर पोस्टर या सेल्फी शेयर करके। उन्होंने बताया कि इस वजह से पार्टी कार्यकर्ता अपनी ही दुनिया में मग्न थे और मोदी की लोकप्रियता के दम पर खुशी मना रहे थे, जिससे आम जनता की आवाज सुनी नहीं जा रही थी।
आरएसएस ने भाजपा की अंडरपरफॉर्मेंस के लिए अनावश्यक राजनीति को एक कारण बताया। विशेष रूप से महाराष्ट्र में अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी के धड़े को भाजपा में शामिल करने को एक बड़ी गलती बताया। जबकि भाजपा और शिवसेना के पास पहले से ही बहुमत था। महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन 2019 के मुकाबले कमजोर रहा, जहां वे सिर्फ नौ सीटें ही जीत सकीं। शिवसेना को सात और एनसीपी को मात्र एक सीट मिली।
शारदा ने यह भी उल्लेख किया कि भाजपा में ऐसे नेताओं को शामिल किया गया जिन्होंने 'भगवा आतंक' और 'आरएसएस को आतंकी संगठन' कहकर संघ समर्थकों को आहत किया था। आरएसएस ने स्पष्ट किया कि भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओवरकॉन्फिडेंस से बाहर आकर जमीनी स्तर पर मेहनत करने की जरूरत है।