भाषा अब बाधा नहीं सभी कोर्स अब हिन्दी व मातृभाषा में पढ़े, युवाओं के सपने सच होंगे

मेडिकल में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा  नीट-यूजी हो या इंजीनियरिंग में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा जेईई मेन। हिंदी के साथ ही दूसरी भारतीय भाषाओं में शिक्षित छात्रों की बढ़ती भागीदारी इसके साफ संकेत दे रही है।

Jul 28, 2024 - 21:55
Jul 29, 2024 - 06:40
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भाषा अब बाधा नहीं सभी कोर्स अब हिन्दी व मातृभाषा में पढ़े,  युवाओं के  सपने  सच होंगे

युवाओं के सपनों को पूरा करने में भाषा अब बाधा नहीं

क्षेत्रीय भाषाओं की धमक नीट सहित दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी सहित क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ रही धमक, अकेले नीट-यूजी में ही पिछले पांच वर्षों में इनकी संख्या करीब दोगुनी बढ़ी 

यदि आप डाक्टर, इंजीनियर बनने का सपना देख रहे हैं तो अब आप उसे निश्चित ही साकार कर सकते हैं, भले ही आपने पढ़ाई हिंदी माध्यम या फिर असमी, बंग्ला, गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में क्यों न की हो। भाषा अब आपकी राह की बाधक नहीं बनेगी।

मेडिकल में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा  नीट-यूजी हो या इंजीनियरिंग में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा जेईई मेन। हिंदी के साथ ही दूसरी भारतीय भाषाओं में शिक्षित छात्रों की बढ़ती भागीदारी इसके साफ संकेत दे रही है। अकेले नीट-यूजी में शामिल होने वाले छात्रों में हिंदी सहित दूसरी भारतीय भाषाओं के छात्रों की संख्या पिछले करीब पांच वर्षों में दोगुनी हुई है। हिंदी सहित दूसरी भारतीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों में डाक्टर, इंजीनियर बनने की यह ललक सरकार के उन प्रयासों से जगी है, जिसमें नीट-यूजी और जेईई मेन जैसी परीक्षाओं को अंग्रेजी और हिंदी के साथ 11 अन्य भारतीय भाषाओं में भी आयोजित करने की शुरुआत की गई। इसके साथ ही इन छात्रों की आगे की भी पढ़ाई अपनी भाषाओं में ही मुहैया कराने के प्रयास किए गए हैं।


अब तक करीब दस राज्यों ने अपने यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी सहित दूसरी भारतीय भाषाओं में देना शुरू कर दिया है। हालांकि, ऐसे संस्थानों की संख्या अभी इन राज्यों में एक-दो ही है, लेकिन जिस तरह से इन भारतीय भाषाओं में पढ़कर आ रहे छात्रों का रुझान इन परीक्षाओं की ओर बढ़ रहा है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में देश में ऐसे शिक्षण संस्थान बड़ी संख्या में देखने को मिलेंगे।

इन 11 भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने का मिल रहा मौका नीट-यूजी और जेईई मेन जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों को अंग्रेजी और हिंदी के साथ जिन भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने का मौका दिया जा रहा है, उनमें असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड, मराठी, मलयालम, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं।

इन राज्यों ने की स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने की पहल
मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी सहित दूसरी स्थानीय भाषाओं में कराने की पहल जिन राज्यों ने की है, उनमें राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं। इन्होंने हिंदी में इस कोर्सों की शुरुआत की है। वहीं, महाराष्ट्र ने मराठी में, असम ने असमी भाषा में इन्हें पढ़ाने की पहल की है।

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