विश्व में भारत का बढ़ता वर्चस्व
हजारों वर्षों के इतिहास में लंबे समय 2 तक भारत और चीन राजनीतिक एवं आर्थिक महाशक्ति के रूप में काबिज रहे हैं। विश्व के शक्तिशाली देशों की अर्थव्यवस्था का जो पतन होता दिख रहा है
विश्व में भारत का बढ़ता वर्चस्व
भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। ऐसे अनेक तथ्य हैं जो इस विचार को प्रमाणित कर रहे हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि भारत का वैश्विक वर्चस्व निरंतर बढ़ता जा रहा है
हजारों वर्षों के इतिहास में लंबे समय 2 तक भारत और चीन राजनीतिक एवं आर्थिक महाशक्ति के रूप में काबिज रहे हैं। विश्व के शक्तिशाली देशों की अर्थव्यवस्था का जो पतन होता दिख रहा है, उसका स्थान फिर से भारत और चीन ने ले लिया है। भारत के बढ़ते वैश्विक कद को दुनिया के मानचित्र पर एक नया रूप दिया गया है और यही कारण है कि भारत के बाजार की शक्ति को तमाम देश गंभीरता से ले रहे हैं। जब रूस-यूक्रेन के युद्ध की वजह से पूरे यूरोप में गैस एवं तेल कीमतें असमान छूने लगीं, तब भारत ने कई यूरोपीय देशों की मदद की। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे साबित होता है कि भारत को विश्व में एक नया स्थान मिल गया है और आगामी दशकों में भारत ही वह देश होगा जिससे विश्व को सर्वाधिक उम्मीद होगी। इसके कई कारण हैं।
अमेरिका व चीन के बीच टकराव इस कारण ने अमेरिका को भारत के निकट कर दिया है। अमेरिका के पास चीन के बढ़ते आर्थिक एवं सैन्य ताकत को रोकने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है। चीन की नौसेना अमेरिकी नौसेना से भी अधिक आधुनिक हो गई है। चीन की योजना पहले हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करके दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों पर कब्जा करने की है। अमेरिका अपने घरेलू राजनीतिक मामलों से तो जूझ ही रहा था, रूस और यूक्रेन युद्ध के साथ साथ इजरायल एवं हमास की लड़ाई ने उसका ध्यान चीन की समस्या से हटाकर अन्य मामलों में कर दिया है। यही कारण है कि अमेरिका भारत को खुश करने के लिए भारत से रिश्ते बेहतर करने की पेशकश कर रहा है। भारत को भी अमेरिका के पूंजी निवेश की बहुत जरूरत है, लेकिन भारत अपने दम पर इसे प्राप्त करना चाहता है, न कि अमेरिका के दबाव में। यही कारण है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती एवं अमेरिका व चीन की गहरी होती खाई ने भारत को एक ऐसे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है कि भारत अब किसी से भी अपनी शर्त पर बात कर सकता है और वह उसे मनवा भी सकता है।
अर्थव्यवस्था अमेरिका के अपवाद को यदि छोड़ दें ती भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और अनुमान है कि अगले दो-तीन दशक तक यह सात प्रतिशत के अंतर से बढ़ती रहेगी। अर्थव्यवस्था के बढ़ने से देश में अनेक प्रकार के विकास को बढ़ाने में मदद मिलती है जिसमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य के साथ साथ अन्य दैनिक कठिनाइयों के निवारण को खत्म करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही भारत में राजनीतिक स्थिरता और मजबूत नेतृत्व ने भारत को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है कि यदि कोई भी भारतीय किसी भी देश में किसी कारणवश फंस गया हो तो उसे निकाल कर लाया जा सकता है। इसका उदाहरण है कोविड के बीच में लाखों भारतीयों को विदेश से लाना और रूस व यूक्रेन द्वारा भारतीयों को उनके घर सुरक्षित भेजना।
नेतृत्व की शक्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व दुनिया के अनेक राजनेताओं की तुलना में कहीं अधिक परिपक्व है। उनके पास 50 साल का राजनीतिक अनुभव और सही समय पर सही निर्णय लेने का माद्दा भी है। वैश्विक महामारी के समय पूरी दुनिया को दवा एवं मास्क को भिजवाना, सतत विकास को लेकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का निर्माण करके मानव जाति को साफ-सुथरा पर्यावरण देना और इन सब विषयों पर दुनिया के हर देश के नेताओं की हामी भरवा लेना ही उनके नेतृत्व की ताकत रही है। नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व भारत की अपनी समस्याओं से तो निपटने में माहिर है ही, विश्व के गंभीर विषयों पर भी उनकी बातें तत्परता से सुनी जाती हैं और इसका सबसे सफल उदाहरण था नई दिल्ली में आयोजित जी-20 का सफल आयोजन जिसमें हर विषयों पर सहमति बनी थी। भारतीय समाज किसी भी देश में जब तक उस देश के आम नागरिक अपने देश पर आत्मविश्वास नहीं रखते, तब तक दूसरे देश भी उसे गंभीरता से नहीं लेते। पिछले दस वर्षों में देश के नागरिकों ने स्वयं को आत्मविश्वास से भरा महसूस किया है, जब बात आती है भारत को दुनिया के स्तर पर इज्जत देने और गंभीरता से लेने की। भारत की सांस्कृतिक विरासत का ज्ञान अब दुनिया धीरे धीरे कर रही है और यही कारण है कि समूचे विश्व का रुझान भारत की ओर बढ़ रहा है। जैसे जैसे भारतीय समाज आत्मविश्वास से भरता जाएगा पूरी दुनिया भारत को सम्मान की नजर सबसे सफल उदाहरण था नई दिल्ली में आयोजित जी-20 का सफल आयोजन जिसमें हर विषयों पर सहमति बनी थी। भारतीय समाज किसी भी देश में जब तक उस देश के आम नागरिक अपने देश पर आत्मविश्वास नहीं रखते, तब तक दूसरे देश भी उसे गंभीरता से नहीं लेते। पिछले दस वर्षों में देश के नागरिकों ने स्वयं को आत्मविश्वास से भरा महसूस किया है, जब बात आती है भारत को दुनिया के स्तर पर इज्जत देने और गंभीरता से लेने की। भारत की सांस्कृतिक विरासत का ज्ञान अब दुनिया धीरे धीरे कर रही है और यही कारण है कि समूचे विश्व का रुझान भारत की ओर बढ़ रहा है। जैसे जैसे भारतीय समाज आत्मविश्वास से भरता जाएगा से देखेगी। अंत में भारत के अंदर अनेक समस्याएं जैसे गरीबी, ऊंच-नीच, शहरों एवं गांवों के बीच की निरंतर बढ़ती खाई आदि ने अभी तक देश के आर्थिक विकास, नेतृत्व की कुशलता, आम जन में देश के प्रति आत्मसम्मान एवं अभिमान की कमी होने का नुकसान पूरे देश को होता था, लेकिन जैसे जैसे विकास की गाड़ी आगे बढ़ी, लोगों में सम्मान की भावना आनी शुरू हुई। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती राजनीतिक एवं सामरिक समस्याओं ने भारत को एक अलग स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से भारत अब आगे ही बढ़ता जाएगा।
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