महिलाओं ने करवाया था इन ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण

भारत के इतिहास में महिलाओं का कितना अहम योगदान है इसे भुलाया नहीं जा सकता। इनके योगदान को तो कुछ ऐतिहासिक इमारतें चीख-चीखकर बताती हैं।

Mar 4, 2024 - 13:37
Mar 4, 2024 - 13:45
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महिलाओं ने करवाया था इन ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण

महिलाओं ने करवाया था इन ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण,

एक बार जरूर करें इनकी खूबसूरती का दीदार

भारत के इतिहास में महिलाओं का कितना अहम योगदान है इसे भुलाया नहीं जा सकता। इनके योगदान को तो कुछ ऐतिहासिक इमारतें चीख-चीखकर बताती हैं। हम बात कर रहे हैं उन इमारतों के बारे में जिन्हें महिलाओं ने बनवाया है। अगर आप भी नहीं जानते कि किन इमारतों को महिलाओं ने बनवाया है तो जानें भारत के मशहूर ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जिनका निर्माण स्त्रियों ने करवाया है।

Women's Day 2024: भारत की संस्कृति और समृद्धि को देखना है, तो यहां स्थित ऐतिहासिक इमारतों को देखना चाहिए। इनकी खूबसूरती देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। हालांकि, कई लोग ऐसा मान लेते हैं कि कि भारत में जितने भी ऐतिहासिक धरोहर हैं, उनका निर्माण पुरुष शासकों ने किया है। पितृसत्ता यानी पेट्रियारकी की जड़े इतनी गहरी हैं कि लोग अक्सर ही महिलाओं को कम करके आंकते हैं। महिलाओं के साथ हो रहे इसी भेदभाव के मिटाने के लिए और उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए Women’s Day यानी महिला दिवस मनाया जाता है, जो हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।

Indian Monuments

रानी लक्ष्मी बाई और रजिया सुल्तान के देश में महिलाओं का हमारे इतिहास में कितना अहम योगदान हैं, इसका अंदाजा लगाना चाहते हैं, तो उनके द्वारा बनवाई गई ऐतिहासिक इमारतों को देखिए। उन्हीं धरोहरों के बारे में बताने के लिए आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतों के बारे में बताने वाले हैं, जिनका निर्माण महिलाओं ने करवाया है।

गुजरात के पाटन जिले में स्थित यह वाव यानी स्टेप वेल रानी उदयमती ने ग्यारहवी शताब्दी में बनवाया था। उन्होंने इस वाव का निर्माण अपने पति राजा भीमदेव-1 की याद में करवाया था। सात मंजिलों में बना यह वाव, उल्टे मंदिर के आकार में है, यानी इसका सबसे ऊपरी माला सबसे चौड़ा है और सबसे नीचला माला सबसे संकड़ा। सरस्वती नदी के किनारे बनवाई गई यह वाव यूनेसको विश्व धरोहरों में शामिल है।

इस वाव को बनाने के लिए मारू गुजरात वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 800 से ज्यादा मूर्तियां और खंबे हैं। इस वाव की नक्कासी में भगवान विष्णु के कई अवतार और कई देव और अपसराओं की आकृतियां भी देखने को मिल सकती हैं। सरस्वती नदी में आई बाढ़ की वजह से यह वाव एक पूरा धरती में धंस गया था, जिसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खोजकर निकाला। इसके बाद भी आज तक यह वाव काफी अच्छी हालत में हैं। इसकी खूबसूरती देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। हालांकि, सुरक्षा कारणों से अब इस वाव के 4-5 मंजिलों तक जाने की ही अनुमति हैं।

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हुमांयू का मकबरा, दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित यह मकबरा मुगल सल्तनत के बादशाह हुमांयू का मकबरा है। साल 1556 में बादशाह हुमायू की मृत्यु के बाद उनका बेगम हमीदा बानो ने इस मकबरे का निर्माण करवाया, जो साल 1569 में बनकर तैयार हुआ।

इस मकबरे को बनवाने के लिए फारसी वास्तुकला के जानकार मिराक मिर्जा घियास ने इसका डिजाइन बनाया था। इस मकबरे की खूबसूरती की जितनी मिसाल दी जाए, उतनी कम है। साल 1993 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर की श्रेणी में शामिल किया गया।

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विरूपाक्ष मंदिर, कर्नाटक

विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य में हम्पी में स्थित है। यह तुंगभद्रा नदी के किनारे बना है, जिसे एक पवित्र स्थल माना जाता है। इसे 14वीं शताब्दी में रानी लोकमहादेवी ने बनवाया था। इस मंदिर को बनाने के लिए द्रविड़ शैली का इस्तेमाल किया गया है। यह मंदिर इतना खूबसूरत है कि इसकी दीवारों पर हुई नक्कासी की सुंदरता का वर्णन करना संभव नहीं है। इसे यूनेसको वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शामिल किया जा चुका है।

इस मंदिर के साथ कुछ पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हम्पी रामायण की किश्किंधा है। इसके अलावा, रावण द्वारा भगवान शिव को लेकर जाने से जुड़ी कथा को भी इस मंदिर से जोड़कर देखा जाता है। इस कहानी की तस्वीरें भी इस मंदिर की दीवार पर देखने को मिल सकती हैं।

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मिर्जान किला, कर्नाटक

मिर्जान किला कर्नाटक में स्थित है। इस किले का निर्माण, रानी चेन्नाभैरदेवी ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था। इन्हें पेपर क्वीन ऑफ इंडिया (Pepper Queen of India) के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने 54 साल तक शासन किया था, और ये भारत की सबसे अधिक समय तक राज्य करने वाली महिला शासक हैं। इस किले के निर्माण का तरीका बेहद शानदार है। इतिहास में यह किला कई युद्धों का साक्षी रहा है।

इस किले को बनाने के लिए लेटराइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह किला अपनी दोहरी दीवारों और ऊंची-दीवारों और बुर्ज के लिए प्रसिद्ध है। इस किले की दीवारों पर मॉस लगे हुए हैं, जिससे यह पूरा किला हरा नजर आता है। यह देखने में इतना खूबसूरत है कि एक बार आपको भी जरूर यहां जाना चाहिए।

एत्माद-उद-दौला का मकबरा, आगरा

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यह मकबरा बेगम नूर जहां ने आगरा, उत्तर प्रदेश में अपने वालिद, मिर्जा गयास बेग के लिए करवाया था। यह मकबरा 1622 में बनना शुरू हुआ था और 1628 में बनकर तैयार हुआ। इसे शृंगारदान या बच्चा ताज के नाम से भी जाना जाता है। अपनी खूबसूरती के कारण भारत में मौजूद ऐतिहासिक स्थलों में यह काफी खास जगह रखता है।

इस मकबरे को सफेद संगमरमर से बनाया गया है, जिस पर बारीक पत्थरों का काफी बारीक काम है। इसे बनाने के लिए फारसी वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया था, जो इस मकबरे की बनावट में साफ झलकती है।

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