मिथिलांचल में जो पचपनिया को साधेगा, पताका उसी की लहराएगी
40 प्रतिशत से अधिक इन जातियों के मतदाता आम तौर पर चुनाव के दौरान मौन साधकर रहते हैं।
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मिथिलांचल में जो पचपनिया को साधेगा, पताका उसी की लहराएगी
• पचपन पिछड़ी व अत्यंत पिछड़ी जातियों के समूह को कहते हैं पचपनिया
पचपनिया पर दावे मजबूत करने को उनके बिरादरी के नेताओं को मिलती है तरजीह
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र इस क्षेत्र का सामाजिक समीकरण भी ऐसा है जो कोई भी अपनी जीत का पक्का दावा नहीं कर सकता है। यहां मुस्लिम, यादव और सवणों की बड़ी आबादी है। जबकि इस सीट पर वैश्य के साथ-साथ पचपनिया गेम चेंजर साबित होते रहे हैं
पटनाः बिहार के मिथिलांचल में चौथे और पांचवें चरण में मतदान होगा। यहां न कोई मुद्दा है, न कोई दागी और ना ही बागी। मसला है तो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी। इस गारंटी की उम्मीद पर राजग के तमाम उम्मीदवार परखे जा रहे हैं। यह सच है कि मोदी की गारंटी वाले वोट राजग के उम्मीदवारों के हौसले बनाए हुए हैं, लेकिन इसमें पचपनिया को बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।
मिथिलांचल में पचपन पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों के समूह को पचपनिया कहा जाता है।पिछले चुनाव में राजग की जीत में इस समूह की निर्णायक भूमिका रही थी। इस बार भी राजग मिथिलांचल में अपने परंपरागत समर्थकों के साथ पचपनिया को साधने में जुटा है। 40 प्रतिशत से अधिक इन जातियों के मतदाता आम तौर पर चुनाव के दौरान मौन साधकर रहते हैं। दबंग कही जाने वाली कुछ जातियां अलग-अलग नेताओं व दलों के समर्थन में खुलकर सामने आती हैं।
2019 में चार जदयू और तीन सीटें भाजपा ने जीती थीः मिथिलांचल में पचपनिया के बूते जदयू ने चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। सीतामढ़ी सीट पर जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने जीत दर्ज की थी। सुपौल सीट पर जदयू के दिलेश्वर कामत जीते थे। मधेपुरा सीट से जदयू के दिनेश चंद्र यादव विजयी रहे थे। झंझारपुर में जदयू के रामप्रीत मंडल ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा सीट पर जीत दर्ज की थी। मधुबनी सीट पर भाजपा के अशोक कुमार यादव ने जीत दर्ज की थी। उजियारपुर सीट पर भाजपा के नित्यानंद राय जीत दर्ज की थी।
ने दरभंगा लोस क्षेत्रः मिथिलांचल की सबसे महत्वपूर्ण दरभंगा लोस सीट है। यह मिथिला लोक संस्कृति का केंद्र भी है। आम, पान, मखाना की खेती और मछली पालन के लिए प्रसिद्ध दरभंगा लोस क्षेत्र की पहचान इसके गौरवशाली अतीत और समृद्ध बौद्धिक और सांस्कृतिक परंपराओं से रही है। दरभंगा सीट पर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव तो है, पर शांत मिजाज वाले पचपनिया मतदाताओं को बिना साधे कोई भी दल या गठबंधन नहीं जीत सकता।
झंझारपुर लोस क्षेत्रः झंझारपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1972 में बना। यह इलाका भी मैथिली भाषा और संस्कृति का केंद्र है। यहां कांग्रेस, राजद, जदयू और भाजपा के उम्मीदवार जीत चुके हैं। इस सीट पर अंगड़ी जाति के अतिरिक्त पचपनिया मतदाता निर्णायक होते हैं। वैसे झंझारपुर सीट यादव, ब्राह्मण और अतिपिछड़ा बहुल है। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्रः बोपी मंडल की धरती मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में यह कहावत प्रचलित है-रोम पोप का, मधेपुरा गोप का। इससे समझा जा सकता है कि इस सीट पर यादव मतदाता सर्वाधिक हैं। इस सीट का यह इतिहास है कि अब तक यहां से कोई दल या गठबंधन चुनाव लड़ा हो, उनके उम्मीदवार यादव जाति के ही रहे हैं और वही जीतते रहे हैं। इस जीत में पचपनिया निर्णायक होते हैं।
सुपौल लोकसभा क्षेत्रः मिथिलांचल का हिस्सा सुपौल संसदीय क्षेत्र में वैसे तो ब्राह्मण, राजपूत, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है, लेकिन यहां भी पचपनिया मतदाताओं की संख्या 40-45 प्रतिशत है। ये मतदाता चुनाव में जीत-हार में बड़ा फैक्टर साबित होते हैं।
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