Delhi: आरएमएल में किडनी की पथरी की लेजर सर्जरी जल्द
सर्जरी के लिए उपकरण खरीदने की चल रही है प्रक्रिया, 20 मरीज पहुंचते हैं प्रतिदिन यूरोलाजी विभाग की हर ओपीडी में किडनी की पथरी की समस्या लेकर
आरएमएल में किडनी की पथरी की लेजर सर्जरी जल्द
सर्जरी के लिए उपकरण खरीदने की चल रही है प्रक्रिया, 20 मरीज पहुंचते हैं प्रतिदिन यूरोलाजी विभाग की हर ओपीडी में किडनी की पथरी की समस्या लेकर
आरएमएल अस्पताल में जल्द ही यूरोलाजी की कई बीमारियों की लेजर सर्जरी हो सकेगी। दरअसल अस्पताल में यूरोलाजी की बीमारियों की लेजर सर्जरी के लिए उपकरण खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। अगले माह तक उपकरण उपलब्ध हो जाएंगे। इससे किडनी में पथरी की बीमारी से पीड़ित मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर ने बताया कि वैसे तो लेजर तकनीक से यूरोलाजी की कई बीमारियों की सर्जरी हो सकती है, लेकिन किडनी की पथरी की बीमारी से पीड़ित मरीजों की सर्जरी के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल अधिक होता है। निजी अस्पतालों में किडनी की पथरी की सर्जरी के लिए ज्यादातर लेजर तकनीक का ही इस्तेमाल होता है, क्योंकि मरीज को बिना कोई चीरा लगाए लेजर से पथरी की सर्जरी हो जाती है।
निजी अस्पतालों में किडनी की पथरी की लेजर सर्जरी के लिए एक लाख से डेढ़ लाख रुपये शुल्क लिया जाता है। इस वजह से आर्थिक रूप ये कमजोर परिवारों के मरीज निजी अस्पतालों में यह सर्जरी नहीं करा पाते। आयुष्मान भारत योजना में भी इस सर्जरी का शुल्क 25 हजार निर्धारित है। इसलिए निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत लेजर सर्जरी करने से मना कर देते हैं। सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा का अभाव है।
20 मरीज अस्पताल में रोजाना पहुंचते हैं किडनी रा पथरी की समस्या लेकर
दो वर्ष तक की वेटिंग
आरएमएल अस्पताल के यूरोलाजी विभाग के हर ओपीडी में प्रतिदिन किडनी की पथरी की समस्या लेकर 20 मरीज पहुंचते हैं। इस वजह से किडनी की पथरी की सर्जरी के लिए अभी दो वर्ष तक की वेटिंग है। अस्पताल के यूरोलाजी विभाग के लिए इस माह के अंत तक लेजर मशीन आ जाएगी। इस मशीन के साथ इस्तेमाल होने वाला अन्य उपकरण अगले माह के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद है। तब लेजर सर्जरी शुरू हो जाएगी।
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