गुरु गोविंद सिंह जी

धर्म, जाति और देश की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों को अन्यायी, अत्याचारी व धोखेबाज़ औरंगजेब और उसकी सेना के हाथों खो देने के बाद भी उन्होंने सारे भारतीय समाज को अपने पुत्रों की संज्ञा प्रदान की

Jan 17, 2024 - 23:59
Jan 18, 2024 - 08:21
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गुरु गोविंद सिंह जी

********************गुरु गोबिंद सिंह*********************

भारत के इस महान सपूत का जन्म 1666 ई. को पटना में हुआ था. वहीं बचपन के 5,6 वर्ष बिताकर वे बनारस, प्रयाग, अयोध्या, मथुरा, वृन्दावन आदि धार्मिक-स्थलों के दर्शन करते हुए आनन्दपुर साहिब आए थे. जब गुरु गोविन्द राय नौ वर्ष के थे तब उन्होंने पिता गुरु तेगबहादुर को धर्म की रक्षार्थ बलिदान देने के लिए प्रेरित किया था.

धर्म, जाति और देश की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों को अन्यायी, अत्याचारी व धोखेबाज़ औरंगजेब और उसकी सेना के हाथों खो देने के बाद भी उन्होंने सारे भारतीय समाज को अपने पुत्रों की संज्ञा प्रदान की. इसीलिए तो परवर्ती समाज ने उन्हें *दशमेश पिता* की संज्ञा दी.

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उनकी व्यापकता, उदारता और समता की दृष्टि का इससे बड़ा प्रमाण हो भी क्या सकता है. गुरु गोविन्द सिंह जी ने *दशम ग्रन्थ* का सृजन किया और *आदि ग्रन्थ* को *श्री गुरु ग्रन्थ साहिब* बनाकर सिक्ख पंथ का शाश्वत गुरु भी बना दिया.

सरहिंद के नवाब द्वारा भेजे गए दो पठानों द्वारा तलवार के आक्रमण से घायल होने के बाद नांदेड़ में 42 वर्ष की छोटी आयु में ही देश, धर्म और जाति का यह महान् सपूत सदा के लिए विदा हो गया. धन्य है ऐसा गुरु और उसकी जननी-भारत माता.

दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी सैनिकों में उत्साह भरने के लिए जो भाषण देते थे, उनका संग्रह *चण्डी दी वार* कहलाता है. उस में लिखे कुछ दोहे इस प्रकार हैं:-

 देही शिवा बर मोहे

 शुभ करमन ते कभुं न टरुं । 

  न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं

  निश्चय कर अपनी जीत करौं।।

अर्थात् :- हे परमशक्ति माँ (शिवा) ऐसा वरदान दो कि मैं अपने शुभ कर्म पथ से कभी विचलित न हो पाऊं. शत्रु से लड़ने में कभी न डरूं और जब लड़ूं तब उन्हें परास्त कर अपनी जीत सुनिश्चित करूं.

 मिटे बांग सलमान सुन्नत कुराना।

 जगे धर्म हिन्दुन अठारह पुराना।।

  यहि देह अँगिया तुरक गहि खपाऊँ।

  गऊ घात का दोख जग सिऊ मिटाऊँ।।

अर्थात् :-हिन्दुस्तान की धरती से बाँग (अजान) , सुन्नत (इस्लाम) और क़ुरान मिट जाये, हिन्दू धर्म का जागरण हो कर अट्ठारह पुराण आदर को प्राप्त हों. इस देह के अंगों से ऐसा काम हो कि सारे तुर्कों को मारकर खत्म कर दूं और गो-वध का दुष्कृत्य संसार से नष्ट कर दूँ.

 गुरु का स्वप्न है

 सकल जगत में खालसा पंथ गाजै।

 जगै धर्म हिन्दू तुरक भंड भाजै।

अर्थात् :-दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी कहते हैं-कि सम्पूर्ण सृष्टि में खालसा पंथ की गर्जना हो. हिन्दू धर्म का पुनर्जागरण सारे संसार में हो और पृथ्वी पर से सारे पाप, अव्यवस्था और असत्य के प्रतीक इस्लाम का नाश हो.

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।