गुजरात : वासुकि नाग के अस्तित्व पर लगी विज्ञान की भी मुहर

गुजरात में कच्छ के एक खदान में मिले विशालकाय सर्प वासुकि नाग की रीढ़ की हड्डी के 4.7 करोड़ वर्ष पुराने अवशेष। वासुकी विलुप्त नाग है, जिसका पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है।

Apr 19, 2024 - 06:14
Apr 19, 2024 - 06:21
 0  85
गुजरात : वासुकि नाग के अस्तित्व पर लगी विज्ञान की भी मुहर
गुजरात में कच्छ के एक खदान में मिले विशालकाय सर्प वासुकि नाग की रीढ़ की हड्डी के 4.7 करोड़ वर्ष पुराने अवशेष। वासुकी विलुप्त नाग है, जिसका पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है।

वासुकि नाग के अस्तित्व पर लगी विज्ञान की भी मुहर

गुजरात के कच्छ में एक खदान में मिले विशालकाय सर्प की रीढ़ की हड्डी के 27 अवशेष, आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों ने किया अहम शोध, 4.7 करोड़ वर्ष पुराने हैं अवशेष 

गुजरात में समुद्र मंथन की पौराणिक गाथाओं में मंदराचल पर्वत पर लपेटे गए वासुकि नाग के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए जरूरी वैज्ञानिक आधार मिल गया है। आइआइटी रुड़की को एक अहम शोध में गुजरात के कच्छ स्थित खदान में एक विशालकाय सर्प की रीढ़ की हड्डी के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष 4.7 करोड़ वर्ष पुराने हैं। जिस सर्प की हड्डी के अवशेष मिले हैं, विज्ञानियों ने उसे वासुकि इंडिकस नाम दिया है। विज्ञानियों का कहना है कि यह अवशेष धरती पर अस्तित्व में रहे विशालतम सर्प के हो सकते  कच्छ स्थित पर्नध्रो लिग्नाइट खदान में विज्ञानियों ने 27 अवशेष खोजे हैं जो कि सर्प की रीढ़ की हड्डी (वर्टिब्रा) के हिस्से हैं। इनमें से कुछ उसी स्थिति में हैं जैसे जीवित अवस्था में सर्प के विचरण के समय रहे होंगे।

विज्ञानियों के अनुसार अगर वासुकि का अभी अस्तित्व होता तो वह आज के बड़े अजगर की तरह दिखता और जहरीला नहीं होता। खदान कच्छ के पनंध्रो क्षेत्र में स्थित है और यहां से कोयले की निम्ननम गुणवत्ता वाला कोयला (लिग्नाइट) निकाला जाता है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में यह शोध प्रकाशित हुआ है।

शोध के मुख्य लेखक और आइआइटी रुड़की के शोधार्थी देबाजीत दत्ता ने बताया कि वासुकि एक धीमी गति से विचरण करने वाला सर्प रहा होगा, जो एनाकोंडा और अजगर की तरह अपने शिकार को जकड़ कर उसकी जान ले लेता था। जब धरती का तापमान काफी अधिक था तब यह सर्प तटीय क्षेत्र में दलदली भूमि में रहता था। यह सर्प 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व डायनासोर का अस्तित्व खत्म होने के बाद आरंभ हुए सेनोजोइक युग में रहता था। मैडसोइड सर्प वंश का सदस्य था 


वासुकि नाग की रीढ़ की हड्डी का सबसे बड़ा हिस्सा साढे चार इंच का पाया गया है और विज्ञानियों के अनुसार विशाल सर्प की बेलनाकार शारीरिक संरचना की गोलाई करीब 17 इंच रही होगी। इस खोज में सर्प का सिर नहीं मिला है। दत्ता का कहना है कि वासुकि एक विशाल जीव रहा होगा जो अपने सिर को किसी ऊंचे स्थान पर टिकाने के बाद शेष शरीर को चारों ओर लपेट लेता रहा होगा। फिर यह दलदली भूमि में किसी अंतहीन ट्रेन की तरह विचरण करता रहा होगा। यह मुझे जंगलबुकन के विशालकाय सर्प 'का' की याद दिलाता है।

विज्ञानी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वासुकि का भोजन क्या था लेकिन इसके आकार को देखते हुए माना जा रहा है कि यह मगरमच्छ और कछुए के अलावा व्हेल की दो आदिम प्रजातियों को खाता रहा होगा। वासुकि करीब नौ करोड़ वर्ष पहले पाए जाने वाले मैडसोइड सर्प वंश का सदस्य था जो करीब 12,000 वर्ष पहले विलुप्त हो गया। सर्प की यह प्रजाति भारत से निकल कर दक्षिणी यूरेशिया और उत्तरी अफ्रीका तक फैल गई।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

Manas kandpal हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें।