200 कंपनियों का बड़ा फैसला, अब हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन छुट्टी

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Jan 28, 2025 - 18:15
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200 कंपनियों का बड़ा फैसला, अब हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन छुट्टी

200 कंपनियों का बड़ा फैसला: अब हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन छुट्टी

भारत में हाल ही में काम के घंटों और वर्क-लाइफ बैलेंस पर बड़ी बहस छिड़ी थी। कुछ कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट ने कर्मचारियों से दिन में 15-17 घंटे काम करने की बात कही थी, जिसकी जमकर आलोचना हुई। ऐसे में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज हो गई। इसी बीच यूके से एक बेहतरीन खबर आई है। यूके की 200 कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी देने का फैसला लिया है।

यूके की 200 कंपनियों का ऐतिहासिक कदम

यूके की इन कंपनियों ने कर्मचारियों के बेहतरीन जीवन और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन कंपनियों में कुल मिलाकर 5,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। खास बात यह है कि कंपनियां 4 दिन काम के बावजूद कर्मचारियों की सैलरी में कोई कटौती नहीं करेंगी।

इन 200 कंपनियों में चैरिटी, मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी फर्म्स शामिल हैं। द गार्जियन की एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि 4 डे वर्किंग पैटर्न को अपनाने से कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, उनकी मानसिक और पारिवारिक स्थिति बेहतर होगी, और वे अधिक उत्साह और ऊर्जा के साथ काम करेंगे।

पुराने वर्किंग पैटर्न को बदलने की जरूरत

5 दिन काम करने का पैटर्न औद्योगिक युग से चला आ रहा है, जब लोग पास के कारखानों में काम करते थे और वर्कप्लेस तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता था। लेकिन आज के समय में लंबे सफर, वर्कलोड, और बढ़ते तनाव को देखते हुए यह पैटर्न पुराना हो चुका है।

4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी का यह नया मॉडल कई समस्याओं का समाधान देता है। इससे कर्मचारियों को परिवार और व्यक्तिगत जीवन के लिए समय मिलेगा। साथ ही, वे मानसिक रूप से ज्यादा संतुलित और खुश रहेंगे।

कंपनियों को होगा फायदा

यह कदम सिर्फ कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि कंपनियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। अनुसंधानों के अनुसार, जब कर्मचारी तनावमुक्त और खुश रहते हैं, तो उनकी प्रोडक्टिविटी में 20% तक वृद्धि होती है। इसके अलावा, वर्किंग डेज कम होने से कंपनियों के ऑपरेशनल खर्चों में भी कमी आएगी।

दुनिया भर में बढ़ रही मांग

यूके के इस कदम के बाद यह मॉडल अन्य देशों में भी चर्चा का विषय बन गया है। भारत में भी वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर कई मांगें उठाई जा रही हैं। खासकर युवा वर्ग 4 डे वर्किंग पैटर्न को अपनाने का पक्षधर है।

क्या कहता है भविष्य?

यूके का यह निर्णय वर्क-लाइफ बैलेंस की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे अन्य देशों और कंपनियों को प्रेरणा मिलेगी। अगर यह मॉडल सफल रहा, तो जल्द ही दुनिया भर में इसे अपनाने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

यूके की 200 कंपनियों का यह फैसला दिखाता है कि कर्मचारी और कंपनियों के बीच बेहतर संतुलन बनाकर न केवल कर्मचारी खुश रह सकते हैं, बल्कि कंपनियों की ग्रोथ भी सुनिश्चित की जा सकती है। यह मॉडल आधुनिक समय की जरूरत है, और इसे अपनाना आने वाले समय में एक क्रांति साबित हो सकता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,