भारतीय राजनीति के अजातशत्रु: अटल बिहारी वाजपेयी
भारतवर्ष के विकास एवं लोगों के लिए अटल वाजपेयी जी का अतुलनीय योगदान हमेशा याद किया जाएगा और देश के लिए उनकी दूरदृष्टि आनेवाली पीढ़ियों को सदा प्रेरित करती रहेगी।
![भारतीय राजनीति के अजातशत्रु: अटल बिहारी वाजपेयी](https://bharatiya.news/uploads/images/202312/image_870x_65898dbff36e5.jpg)
आरंभिक जीवन:
देश की आज़ादी का प्रमुख सिपाही, एक दिग्गज पत्रकार, श्रेष्ठ कवि ये सब विशेषताएं किसी एक व्यक्तित्व में शामिल हो। तो जो तस्वीर उभर कर सामने आती है। वो है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिवस 25 दिसंबर, सन 1924 को मध्य प्रदेश क्षेत्र के ग्वालियर में हुआ था। अटल जी ने वर्ष 1942 के "भारत छोड़ो आंदोलन" के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया। जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत कर दिया।
क्रांतिकारी पत्रकार की भूमिका:
वाजपेयी जी ने वर्ष 1947 में दीन दयाल उपाध्याय जी के समाचार पत्रों के लिये एक पत्रकार के रूप में राष्ट्रधर्म (मासिक), पांचजन्य (साप्ताहिक) और दैनिक समाचार पत्रों-स्वदेश और वीर अर्जुन में काम करना शुरू किया। इस कालानुक्रम के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी का में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से संपर्क हुआ। जिनसे प्रभावित होकर वाजपेयी जी ने वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भी रह चुके थे और वर्ष 1996 से 1999 में दो बार इस पद के लिये चुने गए।
अटल जी का राजनीति में प्रवेश विपरीत परिस्थितियों में हुआ था, जब कांग्रेस का वर्चस्व था और उनके लिए राजनीति में कदम रखना कठिन था। लेकिन उन्होंने अपनी अद्वितीयता और नेतृत्व कौशल से जनसंघ को महत्वपूर्ण बना दिया और भारतीय राजनीति को नई दिशा दिखाई।
सर्वेश्रेष्ठ सांसद का सम्मान:
अटल जी को एक सांसद के रूप में वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। जो उन्हें "सभी सांसदों के लिये एक रोल मॉडल” के रूप में परिभाषित करता है। वर्ष 2015 में अटल जी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया और इससे पहले भी वर्ष 1994 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
देश के लिए अतुलनीय योगदान:
भारतवर्ष के विकास एवं लोगों के लिए अटल वाजपेयी जी का अतुलनीय योगदान हमेशा याद किया जाएगा और देश के लिए उनकी दूरदृष्टि आनेवाली पीढ़ियों को सदा प्रेरित करती रहेगी। विपक्ष और सत्ता धर्म दोनों का पक्ष उन्होंने बखूबी निर्वाह किया। वर्तमान में केंद्र और प्रदेशों की भाजपा सरकारें सुशासन के मार्ग का अनुसरण कर रहीं हैं। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का देश बन गया है। तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रगति पर है। यह सब अटल जी की देन मानी जाती है। वह महान वक्ता, राजनेता, अजातशत्रु, उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के वाहक, राष्ट्रवादी कवि, कुशल प्रशासक थे।
राजनीति शास्त्र में निपुणता:
राजनीति और राजनीति शास्त्र दोनों अलग क्षेत्र हैं। राजनीति में सक्रियता या आचरण का बोध होता है, राजनीति शास्त्र में ज्ञान की जिज्ञासा होती है। अटल बिहारी वाजपेयी ने इन दोनों क्षेत्रों में समान रूप से आदर्श का पालन किया। अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय नेता थे जिनका सात दशकों तक राजनीतिक सफर बेदाग रहा। उन्होंने सत्ता में रहते हुए भी सदैव सहजता बनाए रखी और सत्ता का उपयोग उद्देश्यों के लिए किया। उनकी नेतृत्व भूमिका ने सात्तावस्ता को संरक्षित रखा और उनका समर्पण राष्ट्र के लिए बना रहा। प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने उन्हें जिनेवा भेजा था, जहां उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई।
चुनौतीपूर्ण राजनीतिक यात्रा:
लखनऊ ने अटल जी के राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्होंने राष्ट्रधर्म का सम्पादन किया और राष्ट्र की सेवा में अपना समर्पण दिखाया। उनका राजनीतिक सफर लखनऊ से शुरू होकर वहीं समाप्त नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने वहां से ही अपना अद्वितीय पथ चुना। उनकी चुनौतीपूर्ण राजनीतिक यात्रा में वह चुनौतियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल रहे।
कर्मयोगी अटल बिहारी वाजपेयी:
अटल जी की पूर्ण क्षमता, निष्ठा, ईमानदारी, और मर्यादा से भरा हुआ दायित्व उन्हें कर्मयोगी बनाता था। उनके राजनीतिक कौशल ने उन्हें सिर्फ पदों का हाथी नहीं, बल्कि देशवासियों के दिलों में बसने वाले नेता बनाया। उनका उदार चिंतन और विश्वभर में उनकी मानवीयता के कारण वे एक समर्थ नेता बन गए, जिनका आदर और सम्मान विभिन्न विचारशील वर्गों में था।
निष्कर्ष:
अटल बिहारी वाजपेयी जी के बारे में जितना व्याख्यान करें उतना ही कम है। उनके जीवन की उपलब्धियों के बारे में बताना हमारे लिए असंभव सा प्रतीत लगता है। उन्होंने अपने जीवन में पत्रकार, राजनेता, कवि, लेखक न जाने कितने दायित्व का कर्मठता के साथ देश के लिए कुछ करने का जनून उन पर सवार था। जो कि उन्होंने अपने जीवन में निपुणता से कर दिखाया।
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