अनुराग कश्यप का बड़ा बयान: पैन इंडिया फिल्मों को बताया 'घोटाला', फिल्मी कहानियों में गिरावट के लिए ठहराया जिम्मेदार

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अनुराग कश्यप का बड़ा बयान: पैन इंडिया फिल्मों को बताया 'घोटाला', फिल्मी कहानियों में गिरावट के लिए ठहराया जिम्मेदार
अनुराग कश्यप का बड़ा बयान

अनुराग कश्यप का बड़ा बयान: पैन इंडिया फिल्मों को बताया 'घोटाला', फिल्मी कहानियों में गिरावट के लिए ठहराया जिम्मेदार

मुख्य बातें:

  • अनुराग कश्यप ने पैन इंडिया फिल्मों को बताया ‘एक बड़ा घोटाला’

  • कहा, फिल्म का पैसा कहानी और कलाकारों के बजाय सेट पर खर्च होता है

  • बाहुबली, उरी जैसी फिल्मों की सफलता के बाद ट्रेंड को किया गया फॉलो

  • डायरेक्टर ने कहा – यही कारण है कि फिल्मी कहानियों में गिरावट रही है


फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप हमेशा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। इस बार उन्होंने पैन इंडिया फिल्मों को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है और बहस का विषय बन चुका है। ‘हिंदू’ को दिए इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने साफ शब्दों में कहा कि पैन इंडिया एक बड़ा घोटाला है।”

उन्होंने कहा कि कोई भी फिल्म तब पैन इंडिया बनती है जब वह पूरे देश में अच्छा प्रदर्शन करती है। लेकिन आजकल यह शब्द फिल्म की रिलीज से पहले ही इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह गलत है। फिल्में तीन-चार साल के लंबे प्रोडक्शन में बनती हैं, जिसमें कई लोगों की जिंदगी जुड़ी होती है, और ऐसे में सारा पैसा फिल्म के भव्य सेट और अनावश्यक दिखावे पर खर्च हो जाता है — कि कहानी या कलाकारों की मेहनत पर।

क्यों गिर रहा है फिल्मी कहानियों का स्तर?

कश्यप ने फिल्म निर्माण की वर्तमान प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि महज 1 प्रतिशत फिल्में ही वास्तव में अच्छा प्रदर्शन करती हैं। जब एक फिल्म चल जाती है, तो उसी तरह की फिल्में बनाने का ट्रेंड शुरू हो जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा –

  • उरी की सफलता के बाद सभी ने राष्ट्रवादी फिल्में बनानी शुरू कर दीं।

  • स्त्री के बाद हॉरर-कॉमेडी की बाढ़ गई।

  • बाहुबली के बाद सभी ने प्रभास के साथ बड़े बजट की फिल्में बनाना शुरू कर दिया।

कश्यप के मुताबिक, यह ट्रेंड ही आज की फिल्मों की कमजोर स्क्रिप्ट का सबसे बड़ा कारण है। निर्माता सिर्फ सेट्स और स्टार पावर पर ध्यान देते हैं, जबकि कहानी पीछे छूट जाती है।

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

यह पहली बार नहीं है जब अनुराग कश्यप ने इस तरह का बयान दिया है। इससे पहले वह ‘फुले’ फिल्म की रिलीज टलने के बाद ब्राह्मण समाज को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर चुके हैं, जिसके लिए उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी। उनके आलोचक मानते हैं कि वे बेबाक बोलते हैं, लेकिन कई बार उनकी बातें बेवजह विवादों को जन्म देती हैं।

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ गई है। कुछ लोग उनके तर्कों से सहमत हैं कि बॉलीवुड अब केवल चमक-दमक पर जोर दे रहा है, जबकि कुछ का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव के लिए हर तरह की फिल्में जरूरी हैं।

अनुराग कश्यप का यह बयान फिल्म इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या सच में पैन इंडिया फिल्मों के पीछे का मकसद सिर्फ पैसा कमाना और ट्रेंड फॉलो करना है? क्या इस वजह से हमारी कहानियां पीछे रह जाती हैं? फिल्म प्रेमियों और फिल्मकारों के लिए यह सोचने का समय है कि सिनेमा को वापस उसकी मूल आत्मा — कहानी और कलाकार — की ओर कैसे लौटाया जाए।