हेट ट्वीट मामलाः बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, केस की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने पुलिस को नोटिस जारी किया है और मामले में आगे की सुनवाई 19 मई को निर्धारित की है.

Mar 19, 2025 - 06:42
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हेट ट्वीट मामलाः बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, केस की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार
हेट ट्वीट मामलाः बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, केस की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान आपत्तिजनक ट्वीट करने को लेकर बीजेपी नेता और दिल्ली के मौजूदा कानून मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस रविंद्र डुडेजा ने सेशन कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली कपिल मिश्रा की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से जारी समन के खिलाफ मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया गया था.

जस्टिस ने कहा, ‘निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है. निचली अदालत को मामले में आगे बढ़ने की छूट है.’ वहीं, हाई कोर्ट ने नोटिस को लेकर पुलिस को 4 सप्ताह का समय दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 19 मई तय की है. इस मामले में निचली अदालत में 20 मार्च को सुनवाई होनी है.

कपिल में मिश्रा ने 23 जनवरी 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव के संबंध में कथित आपत्तिजनक बयान ट्वीट किया था, जिस पर बवाल खड़ा गया हो गया था. इसको लेकर चुनाव अधिकारी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. इसी शिकायत के आधार पर FIR दर्ज हुई थी. सेशन कोर्ट ने सात मार्च के अपने आदेश में कहा था कि वह मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस फैसले से पूरी तरह सहमत है कि चुनाव अधिकारी की ओर से दायर की गई शिकायत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत अपराध का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त है. इस धारा में चुनाव के संबंध में वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना बताया गया है.

कपिल मिश्रा ने कोर्ट में क्या कहा?

दिल्ली हाई कोर्ट में मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील देते हुए कहा कि अधिनियम की धारा 125 एक गैर-संज्ञेय अपराध है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (2) के तहत प्रक्रिया का पालन किए बिना FIR दर्ज नहीं की जा सकती. कथित ट्वीट का उद्देश्य न तो तमाम वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना था और न ही उस दौरान ऐसी कोई स्थिति पैदा की गई थी. मिश्रा ने चुनाव के दौरान ट्वीट करके उन ‘असामाजिक और राष्ट्रविरोधी’ तत्वों की आलोचना की थी, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ आंदोलन की आड़ में माहौल खराब करना चाहते थे.

दिल्ल्ली पुलिस ने क्या दी दलीलें?

महेश जेठमलानी ने दलील देते हुए कहा कि ट्वीट में मिश्रा यह कहना चाहते थे कि अगर कोई देश को बांटने की कोशिश करेगा, तो राष्ट्रवादी लोग उसे रोक देंगे. हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि ट्वीट का मकसद दो धार्मिक समुदायों के बीच नफरत को बढ़ावा देना था. इस मुद्दे पर दो अदालतों के निष्कर्ष एक जैसे हैं और मिश्रा की दलीलों पर आरोप तय करने के दौरान विचार किया जा सकता है.

सेशन कोर्ट ने 7 मार्च को मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनका बयान धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने का एक प्रयास प्रतीत होता है, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से उस देश का उल्लेख किया गया है, जिसका प्रयोग आम बोलचाल में अक्सर एक विशेष धर्म के सदस्यों को दर्शाने के लिए किया जाता है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,