रूस की तरह भारत में 8.8 तीव्रता का भूकंप आता तो कितनी तबाही मचाता? एक्सपर्ट से समझें

Earthquake Risk In India: रूस में 8.8 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचाई. भूकंप के बाद रूस और जापान में आई सुनामी ने हालात और बिगाड़े. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में अगर 8.8 तीव्रता का भूकंप आता है तो कितनी तबाही मचेगी, देश का कौनसा हिस्सा सबसे ज्यादा रिस्क जोन में और कितनी तीव्रता के भूकंप से कितना नुकसान होता है?

रूस की तरह भारत में 8.8 तीव्रता का भूकंप आता तो कितनी तबाही मचाता? एक्सपर्ट से समझें
रूस की तरह भारत में 8.8 तीव्रता का भूकंप आता तो कितनी तबाही मचाता? एक्सपर्ट से समझें

रूस में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने देश के कई हिस्सों को हिलाकर रख दिया है. इमारतें गिर गईं. पहाड़ के हिस्से खिसकते हुए समुद्र में गिरे. भूकंप बाद आई सुनामी ने हालात और बिगाड़ दिए. सिर्फ रूस ही नहीं, जापान में आई सुनामी के कारण 20 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया. भारत में पिछले कुछ सालों से भूकंप आने के मामले बढ़े हैं. अब सवाल है कि अगर रूस की तरह 8.8 तीव्रता का भूकंप भारत में आता है तो कितनी तबाही मचेगी? इसे एक्सपर्ट से समझते हैं.

रिक्टर स्केल पर 8 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप कितनी तबाही मचाता है, इस पर नेशनल डिजास्टर डेवलपमेंट अथॉरिटी (NDMA) के पूर्व उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी कहते हैं, भारत में कम तीव्रता के भूकंप कई तरह के भूकंप देखे जा चुके हैं, लेकिन भारत को प्राकृतिक आपदा के लिए तैयार करना होगा क्योंकि सटीक तौर पर यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि भूकंप कब आएगा?

भारत में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया तो कितनी मौते होंगी?

NDMA के पूर्व उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी कहते हैं, अगर जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भूकंपीय रूप से सक्रिय हिमालयी राज्यों में रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता का भूकंप आता है तो आठ लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो सकती है. मैं दहशत नहीं फैलाना चाहता, लेकिन लोगों को सतर्क करना चाहता हूं.

1950 के बाद से हिमालयी क्षेत्र में ऐसा भूकंप नहीं आया है. अध्ययनों से संकेत मिलता है कि हिमालयी क्षेत्र में 8 या उससे बड़े तीव्रता के भूकंप पैदा करने के लिए पर्याप्त दबाव बन गया है.

हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अधिक सक्रिय है. 1897 से 1950 के बीच 53 सालों में, इस क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर 8 से अधिक तीव्रता वाले चार बड़े भूकंप आए जिससे भारी तबाही हुई. इसमें शिलांग (1897), कांगड़ा (1905) , बिहार-नेपाल (1934) और असम (1950) का भूकंप शामिल रहा.

Earthquake Prone City In India

भारत के भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है.

कितनी तबाही मचाएगा भूकंप?

उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम, अरुणाचल जैसे हिमालयन बेल्ट के क्षेत्र सीसमिक जोन-V में आते हैं. यहां 8.8 तीव्रता का भूकंप आता है जो जमीन खिसकना, भूस्खलन और नदियों पर बने अस्थायी बांध टूट सकते हैं. देहरादून, गुवाहाटी, शिलांग, इटानगर जैसे शहरों को भारी नुकसान होने की आशंका है.

उत्तर भारत या दिल्ली‑NCR में ऐसे हालात बनते हैं तो बड़ी इमारतें और पुल गिर सकते हैं. इसके साथ ही मेट्रो रेल, फ्लाईओवर और पुरानी इमारतों को नुकसान पहुंचने के साथ लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं. हजारों मौते हो सकती हैं.

तटीय क्षेत्राें में इतनी तीव्रता का भूकंप आने पर सुनामी का खतरा बढ़ेगा. भारत में खासतौर पर अंडमान‑निकोबार, चेन्नई, विशाखापट्टनम, मुंबई और गुजरात तट को भारी नुकसान पहुंच सकता है. 2004 की तरह ही सुनामी लाखों लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है.

बिजली, पानी और कम्युनिकेशन सिस्टम का नेटवर्क ध्वस्त हो सकता है. अरबों का नुकसान हो सकता है और लाखों लोगों को विस्थापन संभव है.

Earthquake Seismic Zone Of India

भारत का कौनसा हिस्सा खतरे के किस जाने में?

भारत के भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है, जो भूकंप के खतरे के आधार पर निर्धारित किए गए हैं. इन्हें इस प्रकार समझा जा सकता है:

  • जोन-V (अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र):इसमें पूर्वोत्तर भारत का अधिकांश हिस्सा शामिल है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तर बिहार के कुछ क्षेत्र और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते हैं. यह देश का वह इलाका है जहां भूकंप आने की संभावना सबसे अधिक होती है।
  • जोन-IV (अत्यधिक जोखिम वाला क्षेत्र):इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के शेष क्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से आते हैं.गुजरात और महाराष्ट्र के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों के छोटे हिस्से तथा राजस्थान के कुछ क्षेत्र भी इसी जोन में हैं. जोन-V के बाद भूकंप का सबसे बड़ा खतरा इसी जोन में रहता है. खासकर दिल्ली-एनसीआर में यमुना नदी के आस-पास का इलाका अधिक संवेदनशील माना गया है.
  • जोन-III (मध्यम जोखिम वाला क्षेत्र):देश के सबसे अधिक राज्य इसी जोन में आते हैं. इसमें केरल, गोवा, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से, पंजाब और राजस्थान के कुछ क्षेत्र, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं. इसे भूकंप के औसत खतरे वाला क्षेत्र माना जाता है.
  • जोन-II (न्यूनतम जोखिम वाला क्षेत्र): देश के बाकी सभी हिस्से इस जोन में आते हैं. यहां भूकंप का खतरा सबसे कम होता है.

देश में सबसे ज्यादा कहां भूकंप का खतरा?

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की तरफ से साल 2021 में भारत के उन शहरों की सूची जारी की गई थी जो भूकंपीय क्षेत्र के जोन-IVऔर V में आते हैं.

शहर राज्य जोन शहर राज्य जोन
अल्मोड़ा उत्तराखंड IV जोरहट असम V
अम्बाला हरियाणा IV जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल IV
अमृतसर पंजाब IV कूूचबिहार पश्चिम बंगाल IV
बहराइच उत्तर प्रदेश IV कोहिमा नागालैंड V
बरौनी बिहार IV कोलकाता पश्चिम बंगाल IV
भुज गुजरात V लुधियाना पंजाब IV
बुलंदशहर उत्तर प्रदेश IV मंडी हिमाचल प्रदेश V
चंडीगढ़ चंडीगढ़ IV मुंगेर बिहार IV
दरभंगा बिहार V मुरादाबाद उत्तर प्रदेश IV
दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल IV नैनिताल उत्तराखंड IV
देहरादून उत्तराखंड IV पटना बिहार IV
देवरिया उत्तर प्रदेश IV परगना पश्चिम बंगाल IV
दिल्ली दिल्ली IV पीलीभीीत उत्तर प्रदेश IV
दिनाजपुर पश्चिम बंगाल IV पोर्ट ब्लेयर अंडमान-निकोबार V
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश IV रुढ़की उत्तराखंड IV
गंगटोक सिक्किम IV सादिया असम V
गुवाहाटी असम V शिमला हिमाचल प्रदेश IV
गोरखपुर उत्तर प्रदेश IV श्रीनगर जम्मू-कश्मीर V
इम्फाल मणिपुर V तेजपुर असम V

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