मर रहा पाकिस्तानी सिनेमा…! पड़ोसी देश में बंद होते जा रहे हैं मूवी थिएटर? क्या है वजह?

जहां टीवी ड्रामा के मामले में पाकिस्तान सबकी वाहवाही बटोर रहा है तो वहीं सिनेमा और पिक्चर्स के मामले में वहां काफी कमी देखने को मिल रही हैं. खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान में बहुत तेजी से थिएटर्स पर ताले लगते जा रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

Mar 20, 2025 - 18:48
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मर रहा पाकिस्तानी सिनेमा…! पड़ोसी देश में बंद होते जा रहे हैं मूवी थिएटर? क्या है वजह?
मर रहा पाकिस्तानी सिनेमा…! पड़ोसी देश में बंद होते जा रहे हैं मूवी थिएटर? क्या है वजह?

क्या पाकिस्तानी सिनेमा बर्बादी की तरफ बढ़ता जा रहा है? ये एक ऐसा सवाल है जो इन दिनों तेजी से सामने आ रहा है. भारत के साथ खराब रिश्तों की वजह से पाकिस्तान को काफी नुकसान होता आ रहा है और इसमें सबसे बड़ा सांस्कृतिक नुकसान सिनेमा से हुआ है. पाकिस्तानी सिनेमा खत्म हो रहा है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान में 2018 से अब तक करीब 40 फीसदी स्क्रीन बंद हो चुकी हैं.

जहां टीवी ड्रामा के मामले में पाकिस्तान सबकी वाहवाही बटोर रहा है तो वहीं सिनेमा और पिक्चर्स के मामले में वहां काफी कमी देखने को मिल रही हैं. खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान में बहुत तेजी से थिएटर्स पर ताले लगते जा रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, आइए जानते हैं.

58 स्क्रीन्स हो चुके हैं बंद

द प्रिंट की एक खबर के मुताबिक, फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर नदीम मांडवीवाला ने बातचीत में बताया कि अब तक पाकिस्तान में लगभग 36 सिनेमाघरों के 58 स्क्रीन्स को बंद किया जा चुका है. वहीं 9 स्क्रीन्स को टेंपरेरी क्लोज किया गया है. इसके पीछे के कारणों की बात करें तो अच्छे कॉन्टेंट की कमी, बजट का ना होना और लोगों की बदलती प्रिफ्रेंसिस एक बड़ी वजह हैं. एक बड़ा कारण ये भी है कि पाकिस्तानी सिनेमा के लिए मार्केट बचा ही नहीं है.

पाकिस्तान फिल्म फेडरेशन के हेड शहजाद रफीक ने इस मामले पर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि सिनेमा को रेलिवेंट रहने के लिए जरूरी है कि अच्छा कॉन्टेंट बनता रहे.आर्थिक तंगी और अच्छी स्कृिप्ट की कमी की वजह से ना तो फिल्में बन रही हैं और ना ही लोग उसे देखने जा रहे हैं. जो कॉन्टेंट बनाया जा रहा है वो मिडिल क्लास से रिलेटिड नहीं है और एलीट क्लास को मेकर्स रिझा नहीं पा रहे. ऐसे में लोग फिल्में देखने नहीं जा रहे.

कभी बनती थीं खूब सारी फिल्में

अल जजीरा की खबरों की मानें तो, लॉलीवुड के नाम से मशहूर पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री को 1980 में तानाशाही के दौरान लगभग खत्म कर दिया गया था. कई नए सेंसरशिप कानूनों लाए गए जिसकी वजह से सिनेमा पर बैन की स्तिथी बन गई. कभी एक बार में सालाना 80 से ज्यादा फिल्में बनाने वाली इस इंडस्ट्री ने सदी के अंत में उर्दू फिल्में रिलीज करना बंद कर दिया. लेकिन 2003 में एक रेवोल्यूशन शुरू हुआ, जब कराची में यंग फिल्म मेकर्स सामने आए. उन्होंने नए तरह के एक्सपेरिमेंट्स करने शुरू किए, और धीरे-धीरे फिर से गाड़ी पटरी पर आने लगी.

हालांकि, साल 2006 में बॉलीवुड की फिल्मों से पाकिस्तान में बैन हटा. फिर आया साल 2015 और पाकिस्तान में रिलीज हुई फिल्म बजरंगी भाईजान. इस फिल्म ने पाकिस्तान में बवाल काट दिया. इस फिल्म की अपील और दोनों देशों के बीच में प्यार के संदेश ने पाकिस्तान के लोगों का दिल जीत लिया. सलमान खान और बाकी बॉलीवुड सिलेब्रिटीज की फैन फॉलोइंग वहां बढ़ने लगी और धीरे-धीरे सरहद पार भी बॉलीवुड के दीवाने मिलने लगे. इसके बाद संजू, गली बॉय, काबिल और सिम्बा जैसी फिल्मों ने कामयाबी के नए झंडे गाड़ दिए. इसके बाद भी बैन और रिलीज का सिलसिला चलता रहा लेकिन इंडियन फिल्मों ने पाकिस्तान में लोगों का दिल जीतने का सिलसिला जारी रखा.

आखिरी बार आई थी ये फिल्म

साल 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में फिल्में रिलीज करने से मना कर दिया, इससे लोगों ने थिएटर जाना ही बंद कर दिया. 2019 तक पाकिस्तानी फिल्मों का देश में 50% बाजार पर कब्जा था और धीरे-धीरे इसके बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन 2019 के बाद ये उम्मीद भी बंद हो गई.

2019 तक पाकिस्तानी फिल्मों का देश में 50% बाजार पर कब्जा था और धीरे-धीरे इसके बढ़ने की उम्मीद थी. पाकिस्तानी फिल्मों की बात करें तो आखिरी बार यानी साल 2022 में थिएटर में फवाद खान की फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ आई और ये एक गेम चेंजर रही. फिल्म ने खूब तगड़ी कमाई की थी. लेकिन तीन साल बाद भी अभी तक ऐसी कोई फिल्म नहीं आ पाई है जो इस सूखे को खत्म कर सके.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,