भारत में कहां है रेयर अर्थ एलिमेंट का खजाना, चीन के पास इसका सबसे बड़ा भंडार कैसे?

Rare Earth Elements treasure in India: दुनियाभर में रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) की चर्चा है. वो एलिमेंट जिससे बिना आज इंसान का जीवन अधूरा है. चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) और रेयर अर्थ मैगनेट्स के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है. दुनिया के कई देशों के पास रेयर अर्थ एलिमेंट का बड़ा खजाना है, भारत भी इसमें शामिल है. जानिए क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट और रेयर अर्थ मैगनेट्स, ये कितने जरूरी और भारत में कहां-कहां इसका खजाना है.

Jul 12, 2025 - 06:26
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भारत में कहां है रेयर अर्थ एलिमेंट का खजाना, चीन के पास इसका सबसे बड़ा भंडार कैसे?
भारत में कहां है रेयर अर्थ एलिमेंट का खजाना, चीन के पास इसका सबसे बड़ा भंडार कैसे?

चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) और रेयर अर्थ मैगनेट्स के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है. चीन की यह घोषणा दुनिया को चौंकाने वाली है. चौंकाने वाली बात इसलिए है क्योंकि दुनियाभर में सबसे बड़ा रेयर अर्थ एलिमेंट का रिजर्व चीन के पास है और यह आधुनिक तकनीक की सबसे बड़ी जरूरत है. इसका इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, कैमरा, इलेक्ट्रिक वाहन, विंड टरबाइन, MRI मशीन समेत कई ऐसी चीजों में किया जाता है जिनका सीधा कनेक्शन इंसान की जरूरत से है.

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि चीन के इस कदम से दुनियाभर में ये चीजे बननी रुक जाएंगी, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड पर असर जरूर पड़ेगा. दुनिया के कई देशों के पास रेयर अर्थ एलिमेंट का बड़ा खजाना है, भारत भी इसमें शामिल है. जानिए क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट और रेयर अर्थ मैगनेट्स, ये कितने जरूरी और भारत में कहां-कहां इसका खजाना है.

क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट और रेयर अर्थ मैगनेट्स?

रेयर अर्थ एलिमेंट 17 रासायनिक तत्वों का ग्रुप है. ये तत्व इतने दुर्लभ नहीं हैं. इन्हें यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये पृथ्वी की अंदरूनी लेयर में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन इन्हें निकालकर रिफाइन करना बहुत महंगा है. इसमें तकनीक और अधिक श्रम की जरूरत होती है.दुनिया के कई देशों में इसका भंडार है, लेकिन वो इस पूरी प्रक्रिया से बचते हैं. हालांकि, चीन ने इसमें बादशाहत हासिल कर ली है.

वहीं, रेयर अर्थ मैगनेट्स ऐसे शक्तिशाली मैग्नेट को कहा जाता है जो रेयर अर्थ एलिमेंट जैसे- Neodymium, Samarium, Dysprosium की मदद से बनाए जाते हैं. ये भले ही आकार में छोटे होते हैं लेकिन काफी ताकतवर होते हैं.

Top Country Who Has Rare Earth Element Ree Treasure

कब हुई खोज, पहली बार कैसे हुआ इस्तेमाल?

1788 में खोज के बाद से रेयर अर्थ एलिमेंट धीरे-धीरे मानव जीवन का हिस्सा बन गए हैं. इनका पहला व्यावसायिक उपयोग लैंप मैंटल में किया गया था, जो 99% थोरियम ऑक्साइड और 1% सेरियम ऑक्साइड से बना था. इनका पहला सफल तकनीकी उपयोग सनग्लासेस (नियोफ़ान) में किया गया. इसके बाद से ये तत्व तकनीक बहुत अहम हिस्सा बन गए हैं.

पिछले तीन दशकों में, तकनीकी में प्रोग्रेस के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में REE के इस्तेमाल में तेज़ी आई है. इन्हें ‘आधुनिक तकनीक के बीज’ कहा जा रहा है. स्मार्टफोन, कंप्यूटर स्क्रीन और टेलीविज़न जैसे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर एक्स-रे मशीन, एमआरआई और कैंसर ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट में किया जा रहा है.

Rare Earth Element Ree Usage

भारत में कहां हैं रेयर अर्थ एलिमेंट का खजाना?

वर्ल्ड पाॅपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, भारत के पास रेयर अर्थ एलिमेंट का पांचवा सबसे बड़ा भंडार है. देश में कई हिस्से ऐसे हैं जहां रेयर अर्थ एलिमेंट का भंडार है. इसमें आंध्र प्रदेश (श्रीकाकुलम और विशाखापत्तनम), तमिलनाडु ( कन्याकुमारी और मनावलाकुरिची),ओडिशा (गंजम) और केरल (चवरा और अलप्पुझा) शामिल हैं. यहां की मोनाज़ाइट रेत विशेष रूप से REE से समृद्ध है. भारत में अनुमानित मोनाज़ाइट 12.73 मिलियन टन से भी अधिक है. वहीं, आंध्र प्रदेश में इसका 3.78 मिलियन टन से अधिक का भंडार है.

भारत में उपलब्ध अधिकांश REE हल्के हैं ,जैसे लैंथेनम, सेरियम, सैमरियम, जिनकी पहले से ही बड़े पैमाने पर उपलब्धता है. हालांकि, डिस्प्रोसियम, टर्बियम जैसे भारी REE की आपूर्ति में बाधाएं हैं.

कैसे होती है कमाई?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स से कमाई होने की भी एक लम्बी प्रक्रिया है. सबसे पहले इनका खनन किया जाता है. इसके बाद खनन की रॉयल्टी और रॉ मैटेरियल को बचा जाता है. इसके बाद इनकी प्रॉसेसिंग की जाती है. REE जितना ज्यादा शुद्ध होगा, उसकी कीमत उतही ज्यादा होगी. इससे प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं और उससे मिलने वाली कमाई उस देश की अर्भव्यवस्था को रफ्तार देती है, जहां-जहां इसके भंडार हैं. यही वजह है कि चीन इसके कंट्रोल करके अपनी अर्थव्यवस्था को और रफ्तार देना चाहता है.

चीन को जवाब देने के लिए भारत क्या कर रहा?

चीन के कदम के बाद अब भारत ने सरकारी खनन कंपनी आईआरईएल से जापान रेयर अर्थ एलिमेंट के निर्यात पर 13 साल पुराने समझौते को निलंबित करने और अपनी जरूरतों के लिए आपूर्ति को सुरक्षित रखने को कहा है. यह दावा रॉयटर्स की रिपोर्ट में किया गया है. इसका उद्देश्य चीन पर भारत की निर्भरता को कम करना है.

रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू प्रसंस्करण क्षमता की कमी के कारण आईआरईएल इनका निर्यात कर रहा है, लेकिन हाल ही में चीन द्वारा इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगाए जाने के कारण भारत अबREE को देश में ही रखना चाहता है. इसके साथ ही इनके खनन और रिफानिंग को को विस्तार देना चाहता है.

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