धारदार हथियार, हत्या और वो वीडियो, कैसे हुई थी कन्हैयालाल की हत्या? जिस पर बनी उदयपुर फाइल्स पर लगी रोक

Kanhaiya Lal Murder Case: कन्हैयालाल हत्याकांड पर बनी फिल्म उदयपुर फाइल्स पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. फिल्म आज यानी 11 जुलाई को रिलीज होनी थी. राजस्थान के उदयपुर में हुई इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. आइए अदालत के आदेश के बहाने इस हत्याकांड की पूरी कहानी जानते हैं? कैसे इसकी शुरुआत हुई और अब तक क्या-क्या हुआ?

Jul 12, 2025 - 06:26
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धारदार हथियार, हत्या और वो वीडियो, कैसे हुई थी कन्हैयालाल की हत्या? जिस पर बनी उदयपुर फाइल्स पर लगी रोक
धारदार हथियार, हत्या और वो वीडियो, कैसे हुई थी कन्हैयालाल की हत्या? जिस पर बनी उदयपुर फाइल्स पर लगी रोक

उदयपुर का बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में है. इस दुस्साहसिक वारदात पर उदयपुर फाइल्स नाम से फ़िल्म बनी है और फ़िल्म की रिलीज को दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है. भारत में समय-समय पर ऐसी घटनाएं घटती रही हैं, जो समाज को झकझोर देती हैं और देश भर में बहस का विषय बन जाती हैं. इसी तरह की वारदात साल 2022 में राजस्थान के उदयपुर शहर में हुई थी, जिसे ‘कन्हैयालाल हत्याकांड’ के नाम से जाना जाता है.

इस घटना ने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था. आइए अदालत के आदेश के बहाने इस हत्याकांड की पूरी कहानी जानते हैं. कैसे इसकी शुरुआत हुई और अब तक क्या-क्या हुआ.

आखिर कौन थे कन्हैयालाल?

कन्हैयालाल उदयपुर के धनमंडी इलाके में दर्जी की दुकान चलाते थे. वे एक साधारण नागरिक थे, जिनका राजनीति या किसी विवाद से कोई सीधा संबंध नहीं था. उनका परिवार, दुकान और रोजमर्रा की जिंदगी में ही उलझा रहता था. लेकिन एक सोशल मीडिया पोस्ट ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी. उन्होंने भाजपा नेता रहीं नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट कर दी थी.

कैसे हुई शुरुआत?

कन्हैयालाल ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर पैगंबर मोहम्मद साहब पर केंद्रित एक विवादित पोस्ट शेयर कर दी थी. इस पोस्ट को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई और पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई. पुलिस ने कन्हैयालाल को गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद भी उन्हें धमकियां मिलती रहीं, जिसके चलते उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी.

यूं दिया हत्या को अंजाम

28 जून 2022 को दो युवक रियाज अख्तर और गौस मोहम्मद, कन्हैयालाल की दुकान पर ग्राहक बनकर आए. उन्होंने कपड़े सिलवाने के बहाने कन्हैयालाल को बुलाया और फिर धारदार हथियार से उनकी निर्मम हत्या कर दी. इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया, जिसे बाद में सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया. वीडियो में आरोपी हत्या के बाद खुद को इस्लाम का सच्चा अनुयायी बताते हुए हत्या की जिम्मेदारी लेते नजर आए.

इस घटना के बाद उदयपुर समेत पूरे राजस्थान में तनाव फैल गया. जगह-जगह कर्फ्यू लगा दिया गया, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और पुलिस-प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया. देशभर में इस घटना की निंदा हुई और इसे धार्मिक कट्टरता का उदाहरण बताया गया. कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग भी की.

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी तनाव बना रहा

घटना के तुरंत बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई. जांच में सामने आया कि आरोपियों के अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से भी संबंध थे. NIA ने इस मामले में कई धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की. यह मामला अभी जयपुर की अदालत में लंबित है.

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म और विवाद

इस हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ बनाई गई, जिसमें घटना के विभिन्न पहलुओं को दिखाने का दावा किया गया है. फिल्म के ट्रेलर और प्रचार के दौरान यह कहा गया कि यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से बनाई गई है. लेकिन फिल्म की रिलीज से पहले ही कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने आपत्ति जताई कि इससे समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट की रोक

इन आपत्तियों के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म की रिलीज पर अस्थायी रोक लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि फिल्म से समाज में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, तब तक इसकी रिलीज नहीं हो सकती. कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं से जवाब भी मांगा है.

कन्हैयालाल हत्याकांड ने देश में धार्मिक असहिष्णुता, सोशल मीडिया के दुरुपयोग और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर किया था. इस घटना ने यह भी दिखाया कि किस तरह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट से समाज में तनाव फैल सकता है. साथ ही, यह मामला पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है कि समय रहते सुरक्षा क्यों नहीं दी गई?

फ़िल्म का प्रसारण कब तक?

कन्हैयालाल हत्याकांड न केवल एक जघन्य अपराध था, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि धार्मिक कट्टरता और सोशल मीडिया के दुरुपयोग से किस तरह निर्दोष लोग शिकार हो सकते हैं. ‘उदयपुर फाइल्स’ जैसी फिल्मों के माध्यम से इन घटनाओं को समाज के सामने लाना जरूरी है, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इससे समाज में और तनाव न फैले. दिल्ली हाईकोर्ट की रोक इसी संतुलन को बनाए रखने की कोशिश है. अब देखना रोचक होगा कि इस फ़िल्म का प्रसारण कब तक होगा? होगा भी या नहीं? विचारणीय प्रश्न यह भी है.

किसने बनाई है फ़िल्म?

उदयपुर फाइल्स 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी. फ़िल्म के निर्माता अमित जानी हैं. वे खुद भी विवादों में रहे हैं. साल 2012 में उन्होंने लखनऊ में पूर्व सीएम मायावती की मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की थी. मेरठ के रहने वाले अमित ने उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के बैनर तले धमकी दी थी. इनके खिलाफ मेरठ में शिवसेना कार्यालय में तोड़फोड़, डॉक्टर को धमकी देने जैसे कई मुकदमे दर्ज हैं. साल 2012 में अमित जानी ने अजित चौधरी और राहुल गांधी को काले झंडे भी दिखाए थे. अमित कन्हैया कुमार और उमर खालिद को धमकी देने के आरोप में भी गिरफ्तार किए गए थे.

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