बिहार में वोटर लिस्ट पर सियासी बवाल, EC से मिले तेजस्वी यादव, बोले- फैसले तो दिल्ली से लिए जा रहे हैं

बिहार में मतदाता सूची की जांच को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है. विपक्षी दल, विशेष रूप से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेजों को लेकर आपत्ति जता रहे हैं. उनका मानना है कि इससे लाखों मतदाता वोट देने से वंचित रह सकते हैं. तेजस्वी यादव ने आधार कार्ड और मनरेगा कार्ड को मान्य दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने की मांग की है.

Jul 4, 2025 - 20:14
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बिहार में वोटर लिस्ट पर सियासी बवाल, EC से मिले तेजस्वी यादव, बोले- फैसले तो दिल्ली से लिए जा रहे हैं
बिहार में वोटर लिस्ट पर सियासी बवाल, EC से मिले तेजस्वी यादव, बोले- फैसले तो दिल्ली से लिए जा रहे हैं

बिहार में वोटर लिस्ट जांच का मामला पूरी तरह से सियासी रूप ले लिया है. राज्य के विपक्षी दल चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट की जांच को गलत ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि वोटर लिस्ट जांच के लिए जिस तरह के कागजात मांगे जा रहे हैं उसके हिसाब से हजारों की संख्या में लोग मतदान देने से वंचित रह सकते हैं. अब इस मुद्दे को लेकर आरजेडी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार चुनाव आयोग से मिले.

महागठबंधन के नेताओं के साथ राज्य चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराने के बाद तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने आयोग से मिलकर आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड को वैलिड डॉक्यूमेंट मानने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग के अधिकारी तो डाकिया हैं असली अधिकारी तो दिल्ली में बैठे हैं और वो किसी और ही जगह से संचालित होते हैं.

बाहर रहने वाले बिहारियों के लिए क्या करेगा EC? तेजस्वी ने पूछा

तेजस्वी ने कहा कि हमें संदेह है कि वोटरों के नाम पहले वोटर लिस्ट से, फिर राशन लिस्ट और फिर पेंशन लिस्ट हटाए जाएंगे. हमने चुनाव आयोग के सामने कई सवाल उठाए हैं. अभी बारिश हो रही है, कई जगहों पर जलभराव है, मानसून है. हमने टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए हैं कि आखिर 25 दिनों में ये संभव नहीं है. बाहर रहने वाले 4-5 करोड़ बिहारियों के लिए आप क्या करेंगे?

उन्होंने कहा कि हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि दस्तावेजों को और सरल बनाए जाए. आधार कार्ड, जॉब कार्ड, मनरेगा कार्ड को शामिल किया जाए. जो दस्तावेज मांगे गए हैं वो बिहारियों के पास नहीं है. इस बार उन्होंने दस्तावेज से आधार कार्ड हटा दिया है. हमने मांग की है कि इसे शामिल किया जाए. बिहार के चुनाव को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली वालों को है और हम सब जानते हैं कि उनके निर्णय कौन ले रहा है.

पत्नी का नाम वोटर लिस्ट से कटने की सता रही चिंता

तेजस्वी यादव को, हाल ही में बिहार की वोटर बनी अपनी पत्नी का नाम वोटर लिस्ट से कटने की चिंता सता रही है. उनकी पत्नी हाल ही में बिहार का वोटर बनीं हैं. अब चुनाव आयोग उनसे भी कागज मांगेगा, लेकिन उनके पास जन्म स्थान से संबंधित कोई कागजात नहीं है. पूर्व सीएम ने भी कहा कि उनकी पत्नी अब बिहार की वोटर बन गई हैं, लेकिन उनके पास जन्म स्थान से संबंधित कोई कागजात नहीं है.

प्रशांत किशोर ने भी जताई आपत्ति

दूसरी ओर जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी चुनाव आयोग के कदम को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ हैं. हमने इसे लेकर चिंता जाहिर की है और हमने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है. बिहार में एक बहुत बड़ा वर्ग जो दिवाली, छठ पर बाहर से आता है, उनके लिए दिवाली, छठ से पहले आना और चुनाव आयोग की डिमांड के अनुसार दस्तावेज पेश करना संभव नहीं है. यही हाल रहा तो बिहार के 30-40 लाख लोग जो दिवाली, छठ पर आएंगे, उनमें से कोई भी वोट नहीं दे पाएगा.

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