बस्तर – कांकेर में 13 महिला नक्सलियों सहित 21 नक्सलियों ने डाले हथियार

रायपुर, छत्तीसगढ़। बस्तर के जंगलों में नक्सली आतंक की पकड़ लगातार ढीली पड़ रही है। नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में अब कांकेर में 21 नक्सलियों ने 18 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। इसके बाद अब सिर्फ हिड़मा की टोली जंगलों में बची है, जो […] The post बस्तर – कांकेर में 13 महिला नक्सलियों सहित 21 नक्सलियों ने डाले हथियार appeared first on VSK Bharat.

Oct 28, 2025 - 09:07
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रायपुर, छत्तीसगढ़।

बस्तर के जंगलों में नक्सली आतंक की पकड़ लगातार ढीली पड़ रही है। नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में अब कांकेर में 21 नक्सलियों ने 18 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। इसके बाद अब सिर्फ हिड़मा की टोली जंगलों में बची है, जो आखिरी सांसें गिन रही है।

26 अक्तूबर को कांकेर जिले में 21 नक्सलियों ने AK-47, इंसास और SLR जैसे 18 ऑटोमैटिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही माओवादी संगठन के कई गुट लगभग खाली हो गए हैं, जबकि जो बचे हैं, वे अब अपनी हार छिपाने के लिए निर्दोषों को निशाना बना रहे हैं।

सरकार की सख्त नीति और बढ़ती कार्रवाई से नॉर्थ सब जोनल ब्यूरो के माओवादी अब घुटने टेकने लगे हैं। सरेंडर करने वाले नक्सली केशकाल डिवीजन के कुएमारी और किसकोडो एरिया कमेटी से जुड़े थे। इनमें डिवीजन कमेटी सचिव मुकेश सहित 8 पुरुष और 13 महिला कैडर शामिल हैं।

इन 21 नक्सलियों ने 3 AK-47, 4 SLR, 2 इंसास, 6 नग .303, 2 सिंगल शॉट राइफल और एक बीजीएल हथियार जमा किया।

गत दिनों 17 अक्तूबर को ही 200 से अधिक ने जगदलपुर में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। इनमें सीसीएम रूपेश भी शामिल था। इसके बाद भी कुछ नक्सली जंगलों में छिपे रहे, जिन्होंने अब कांकेर में हथियार डाल दिए हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बचे हुए माओवादी अब दहशत फैलाने और ग्रामीणों को डराने की कोशिश कर रहे हैं।

मुख्य रूप से माड़ डिवीजन, इंद्रावती एरिया कमेटी और उत्तर बस्तर डिवीजन के नक्सलियों का सफाया हो चुका है। अब जंगलों में सिर्फ कुछ दर्जन माओवादी बचे हैं, जो आत्मसमर्पण के बजाय मौत का रास्ता चुन रहे हैं।

माओवादी माड़वी हिड़मा अब बस्तर में माओवादियों का आखिरी बड़ा चेहरा बचा है। हिड़मा का बस्तर के जंगलों और भूगोल पर मजबूत पकड़ है। उसने यहां के जनजातीय युवाओं को झूठे वादों में फंसाकर हथियार पकड़ाए और खुद को सुरक्षा कवच बनाकर रखा।

पुलिस के अनुसार, तेलंगाना से आए नक्सली बस्तर के आदिवासियों को ढाल बनाकर इस्तेमाल करते हैं। पिछले डेढ़ साल में पुलिस ने 400 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें ज्यादातर बस्तर के आदिवासी थे। तेलुगु कैडर के नक्सली सुरक्षित निकल जाते हैं, जबकि स्थानीय युवाओं को लड़ाई में झोंक दिया जाता है।

हिड़मा मारा गया या गिरफ्तार हुआ, तो बस्तर से नक्सलवाद का सफाया होना तय है। हिड़मा ही संगठन और हिंसा के बीच आखिरी कड़ी है।

बस्तर अब नई सुबह की ओर बढ़ रहा है। जंगलों में अब गोली की नहीं, विकास की गूंज है। नक्सलियों को यह समझना होगा कि यह उनकी हिंसक सोच का अंत है।

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