“बसवा राजू भी शांति चाहता था, माओवादी झूठ फैलाकर साथियों को भटका रहे हैं” – रूपेश

रायपुर, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने आखिरी दौर में पहुंच चुका है। पिछले दिनों बस्तर में 200 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। अब सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नेता रूपेश ने ही संगठन की सच्चाई की पोल खोल दी है। 17 अक्तूबर को बस्तर में केंद्रीय कमेटी सदस्य रूपेश सहित […] The post “बसवा राजू भी शांति चाहता था, माओवादी झूठ फैलाकर साथियों को भटका रहे हैं” – रूपेश appeared first on VSK Bharat.

Oct 28, 2025 - 09:07
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“बसवा राजू भी शांति चाहता था, माओवादी झूठ फैलाकर साथियों को भटका रहे हैं” – रूपेश

रायपुर, छत्तीसगढ़।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने आखिरी दौर में पहुंच चुका है। पिछले दिनों बस्तर में 200 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। अब सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नेता रूपेश ने ही संगठन की सच्चाई की पोल खोल दी है।

17 अक्तूबर को बस्तर में केंद्रीय कमेटी सदस्य रूपेश सहित 210 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इससे नक्सली संगठन में बौखलाहट पैदा हो गई है। नक्सली अब अपने ही पूर्व साथियों को गद्दार कहकर बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। संगठन के नाम से जारी एक पर्चे में नक्सली नेता अभय ने सरेंडर करने वाले सभी साथियों को विश्वासघाती बताया।

रूपेश ने एक वीडियो जारी कर स्पष्ट किया कि सरेंडर करना किसी मजबूरी या दबाव का परिणाम नहीं था, बल्कि एक विचारशील निर्णय था, जिसे केंद्रीय नेतृत्व भी समर्थन दे रहा था। “हमारे महासचिव बसवा राजू भी चाहते थे कि संघर्ष समाप्त हो और सरकार से सीधी बातचीत शुरू हो। हमें अपने भविष्य और अपने साथियों के जीवन के बारे में सोचना था।”

रूपेश ने कहा कि अप्रैल में संगठन ने पहली बार शांति वार्ता पर प्रेस नोट जारी किया था। इसके बाद बसवा राजू ने कहा था कि केंद्रीय कमेटी की बैठक बुलाकर संघर्ष विराम पर फैसला लेंगे। उन्होंने सरकार से भी मांग की थी कि वे ऑपरेशन रोके ताकि संगठन की बैठक सुरक्षित माहौल में हो सके। लेकिन इसी बीच बसवा राजू एनकाउंटर में मारे गए, जिससे पूरी रणनीति बदल गई।

रूपेश ने कहा कि अब माओवादी संगठन यह प्रचार कर रहा है कि बसवा राजू ने संघर्ष विराम से पीछे हटने का निर्णय लिया था। “यह पूरी तरह झूठ है। बसवा राजू का आखिरी पत्र अब भी हमारे पास है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा था कि सशस्त्र संघर्ष को रोकने का निर्णय कायम रहेगा।”

बसवा राजू की मौत के बाद उन्होंने सेंट्रल कमेटी के बाकी सदस्यों को वह पत्र दिखाया, जिसे देवजी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी देखा। लेकिन अब वही लोग राजनीतिक फायदे के लिए सच्चाई को छिपा रहे हैं और सरेंडर करने वालों को गद्दार बता रहे हैं।

रूपेश ने कहा, “हमने पार्टी को बचाने और जनता के लिए लड़ाई को नया रास्ता देने के लिए सरेंडर किया। यह निर्णय बस मेरे नहीं, पूरी कोर टीम के विचारों से लिया गया था। हमने किसी साथी पर दबाव नहीं डाला। जो भी हथियार डालने आया, उसने अपनी मर्जी से सरेंडर किया।”

सरेंडर से पहले स्पेशल जोनल कमेटी ने भी समीक्षा बैठक की थी। बैठक में चर्चा हुई कि हिंसा से अब कुछ हासिल नहीं हो सकता। “हम चाहते हैं कि जो साथी अब भी जंगलों में हैं, वे भी सही रास्ते पर लौट आएं।”

रूपेश ने संगठन पर आरोप लगाया कि दंडकारण्य की बैठक में उन्हें यह तक नहीं बताया गया कि उत्तर बस्तर के साथी क्या सोच रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा पत्र उत्तर बस्तर के साथियों से छिपाया गया। अब वही संगठन हमें झूठा बता रहा है। यह संगठन की साजिश है, ताकि बाकी नक्सली सच्चाई न जान सकें।”

“जब हमारे 28 साथी एक मुठभेड़ में मारे गए थे, तब पुलिस ने 27 बताया था, लेकिन हमने खुद सच्चाई बताई थी। आज वही संगठन झूठ फैला रहा है। यह हमारी विचारधारा नहीं थी। अब माओवाद एक राजनीतिक स्वार्थ का औजार बन चुका है।”

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