कोर्ट की अंतरात्मा हिल गई... नोटिस के 24 घंटे के भीतर बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बिना कानूनी प्रक्रिया के घर तोड़ने पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने प्रयागराज में वकील, प्रोफेसर और अन्य के घरों को पुनर्निर्माण की अनुमति दी है, जिनके घर बुलडोजर से तोड़े गए थे। कोर्ट ने कहा कि उचित समय देकर अपील का मौका देना चाहिए था।

Mar 24, 2025 - 17:27
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कोर्ट की अंतरात्मा हिल गई... नोटिस के 24 घंटे के भीतर बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली: ने यूपी सरकार को के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कार्रवाई करने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि वह प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगा। इन घरों को उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए तोड़ दिया था। कोर्ट ने यह फैसला इसलिए दिया क्योंकि घरों को नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही तोड़ दिया गया था। मालिकों को अपील करने का समय भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि वह पीड़ितों को अपने खर्च पर घर बनाने की अनुमति देगा, लेकिन उन्हें कुछ शर्तें माननी होंगी। उन्हें एक हलफनामा देना होगा कि वे समय पर अपील करेंगे, जमीन पर कोई दावा नहीं करेंगे और किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं करेंगे। अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है, तो उन्हें अपने खर्च पर घरों को फिर से तोड़ना होगा। कोर्ट ने मामले को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया ताकि याचिकाकर्ता हलफनामा दाखिल कर सकें।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला वकील ज़ुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाओं और एक अन्य व्यक्ति से जुड़ा है। इन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका आरोप है कि अधिकारियों ने शनिवार की रात ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी किए और अगले ही दिन उनके घर तोड़ दिए। इससे उन्हें कार्रवाई को चुनौती देने का कोई मौका नहीं मिला। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने उनकी जमीन को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से गलत तरीके से जोड़ा था, जिसकी 2023 में हत्या कर दी गई थी।इस मामले में भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने ध्वस्तीकरणों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि 8 दिसंबर 2020 को पहला नोटिस दिया गया था। इसके बाद जनवरी 2021 और मार्च 2021 में भी नोटिस दिए गए। एजी ने कहा, "इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पट्टे की अवधि समाप्त होने या फ्रीहोल्ड के आवेदनों को अस्वीकार किए जाने के बाद भी बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे किए गए हैं।

'अपील दायर करने के लिए देना चाहिए था समय'

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राज्य को उचित समय देकर निष्पक्षता से काम करना चाहिए ताकि लोग अपील कर सकें। जस्टिस ओका ने कहा, संरचनाओं को तोड़ने से पहले उन्हें अपील दायर करने के लिए उचित समय देना चाहिए। 6 मार्च को नोटिस दिया गया और 7 मार्च को ध्वस्तीकरण कर दिया गया। अब हम उन्हें पुनर्निर्माण करने की अनुमति देंगे। एडी ने चेतावनी दी कि इस तरह के आदेश का फायदा बड़ी संख्या में अवैध कब्जा करने वाले उठा सकते हैं।

'कोर्ट ने जताई हैरानी'

जस्टिस ओका ने कहा, 'नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर जिस तरह से ध्वस्तीकरण किया गया, उससे कोर्ट की अंतरात्मा हिल गई है। जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि नोटिस चिपका कर दिए गए थे, जो कानून द्वारा स्वीकृत तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल अंतिम नोटिस ही कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त तरीके से, यानी रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए से दिया गया था।

'इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता'

जस्टिस ओका ने कहा कि इसलिए हम इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही आदेश पारित करने जा रहे हैं। जिस तरह से पूरी प्रक्रिया का संचालन किया गया, वह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं, तो यह जारी रहेगा। उन्होंने कहा, "हम आदेश पारित करेंगे कि वे अपने खर्च पर पुनर्निर्माण कर सकते हैं और अगर अपील विफल हो जाती है तो उन्हें अपने खर्च पर ध्वस्तीकरण करना होगा। राज्य को इस मामले में जो हुआ है, उसका समर्थन नहीं करना चाहिए।'जब एजी ने कहा कि यह मामला बेघर लोगों का नहीं है और उनके पास वैकल्पिक आवास है, तो जस्टिस ओका ने कहा, 'राज्य यह नहीं कह सकता कि इन लोगों के पास पहले से ही एक और घर है, इसलिए हम कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे और उन्हें ध्वस्तीकरण के खिलाफ अपील दायर करने के लिए उचित समय भी नहीं देंगे!'

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,