भारत-विभाजन की कटनी harvest of partition of india

भारतीय सकट को वात छड दी 1 उन्होने कहा कि वेवल ततो सेनाए हटाने की योजना से अधिक कुछ भी नही कर पाए 1 इसपर सरकार उन राजनेतिक विचारधाराओ से बहुत ही ज्यादा असतुष्ट है,

Apr 10, 2024 - 08:01
Apr 10, 2024 - 08:16
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भारत-विभाजन की कटनी harvest of partition of india

भारत-विभाजन की कटनी 

harvest of partition of india

नये वाइसराय की नियुक्ति

लदन, बुहृस्पत्तिवार, १९ दिसम्बर १९४६

मै सबेरेही चेस्टरस्छीटमे माउटबेटन के घर पहुचा । नदते का समयथा। साडटवेटन ने म॒ञ्े आदेग दिया कि मे जाऊ ओर परिचिमी-पर्वीं एङिया की कमान-सबवी आदेशो के बरे मे उनसे मिल्‌ । प्रवान सेनापति को हैसियत से उन्होने जो मण किया था, उस सारे जमणमे मे उनकी युद्ध की डायरी लिता ओर -रखता था, इस नाते उन अदेश मे पदेन-सदस्य के तौर पर मेरी रुचि थी) इस काममे कुछ भारी कठिनादइया भी थी जौर सबसे बडी कठिनाई उनके व्यस्त कायं करम के साथ दस कामका मेल बिठानाथा! हम रोगो का काम पूरानही हु था ओर समय की कमो थी, इसलिए अगे कायेक्रम के लिए उनके साथ जानेके सिवा ओर कोई चारान रहा । अगला कायेक्रम था अपना सरकारी चित्र बनवाने के लिए आस्वाल्ड वलं चित्रकार के यहा जाना । जब हम कारमे वेठ गए तो माउट्वेटन ने सव खिंडकिया बद कर दी, एकदम गृप्तं र्खनं की मञ्च सौगध दिखाई ओौर धीरे से कहा, “जो बात मे आपसे कहने जा रहा ह॒, वह्‌ मेरे निजी परिवार के बाहर किपीःको भी सादूम नही 1 उन्होनं बतायाकिमि एट्ली ने सुक्ल कल शाम बुखाया था ओर लां वेवल कौ जगह भारत का वाद्सराय बलनः को आमत्रण दिया । यद्यपि मे उनकी अचरज-भरी वातोमे चामिलहोनेकाञदीदहो गथा हू, तयापि जौ रहस्य उन्होने प्रकट किया उसकी मुज्ञ बिल्कुल जाशा न थी । अपन जीवन कौ चिरकालीन असफरू अक्षा को पूराकरनेके किए वहुफिरनौसेनामे जानवाले थे ओर वड जोरोसे उनका अभ्यासं िः चरु रहा था । उन्हु प्रथम करजर्‌ स्क्वेडन की कमान के लिए रियर एडमिरल बनना था । इसके अरावा, भारतीय नताओ, काडं वेव ओर त्रिटिश्च सरकार के नीच अभी-अभी लदन मे जो बातचीत हुई थी, उसमे सहज आशा की कोई ञ्च रुक न होते हुए मी, गता था कि मत्रिमडल-यिशन योजना अभी जीवित है । किन अव जो मनं सुना, उसके जान पडा कि प्रवानमवी भारत ओर माउटबेटन दोनो के भविष्यके बारेमे कुर.जओौरही सोच रहैहि। मि एष्लीने

Looking back at the horror of Partition through Sarna's prism of humanity |  Latest News India - Hindustan Times

८ - भारत-विभाजन कौ कहानी

माउटवेटन से जौ मृत््रकात्त की थी उसकी दयुरुखात यहं पृते हृए की थी कि क्या दरम उनका दिर नौसेना मे जाने को करता है ? उन्होने जवाव दिया कि निरेचय ही यह्‌ वात सही है 1

एटली ने इसके बाद भारतीय सकट को वात छड दी 1 उन्होने कहा कि वेवल ततो सेनाए हटाने की योजना से अधिक कुछ भी नही कर पाए 1 इसपर सरकार उन राजनेतिक विचारधाराओ से बहुत ही ज्यादा असतुष्ट है, जो काग्रस ओर मूस्लिमि खीग दोनो पर असर कर रही है । अगर हम सावधानन रहेतोहम भारत्‌ कौ न केवर घरेट्‌ य्‌ मे हौ, वेल्कि तानागाही राजनं तिक दलो के हाथो मे सौपनं को लाचार हौ जायगे । प्रस्तुत गतिरोध का अतत करने के लिए तत्काल कारवाई करने कौ जरूरत है, ओर मत्रिमउल कै प्रमुख सदस्य इस निष्कर्षं पर पहुचे टै कि नये सिरे से व्यक्तिगत सपकं से ही सभवत आ्चाजनक परिणाम निकल सकता है। इस काम को परा करनं के किए एक उपयुक्त आदमी की तलान मे उन्होने चारो भौर नजर दौडाईजौर सवंसम्मति से इस नतीजे पर पहुचे किं एसा व्यक्तित्व ओर आवर्यक योग्यता केवल माखउटकेटन मे ही थी ।

Seventy-five Years After Indian Partition, Who Owns the Narrative? | The  New Yorker

कदल, बुधवार, १५ जनवरी १९४७

आखिर माउटवेटन ने वादसराय पद समालम की स्वीकृति देही दी । प्रचनिसत्री के साथ उनकी पहले की वातचीत्त अपुणं रही थी । सरकारी नीति मे समयअवि के सिद्धान्त को मान लिया गया, लेकिन विल्कुल निल्चित तारीख अभीः तय नही हो पाई। १९४८ की बाद की छमाही की तजवीज की गई थौ, ठेकिन माउटवेटने का दृढ मत था कि राजनेतिक सफलता इस वात पर निभेरदहैकि सरकार अग्रेजो के भारत छोडनं के छिए निकट्तम तारीख मजूर करने को तैयार है या नही, ओर तुरत ही उन्होने सृञ्लाव दिया कि छमाही का अथं दिसवर नही, जून होना चाहिए । वड दिन के सप्ताह के निकट हौनं के कारण आखिरी निणेय स्थगित कर दिये गए ओर -माउटवेटन थोडे दिन की दृटुटी मनाने कै लिए अपने परिवार को खेकर उबोस चे गए । वहा गये अभी अडतारीस घंटे ही हुए होगे कि कदन से उनके लिए जरूरी वृावा आ गया जौर एक खास हवाई जहाज उन्द छाने को भेजा गया । इस घटना से जखवारो मे वडे-वडं अनुमान खगाय जानं लगे, लेकिन असली मतल्व कोई नही समक्न पाया । मिसाल के तोर पर उरीगेख के सपादक फक सोवन ने मुक्ने अपना निजी अनुमान वताया कि माङ्टवेध्न फिलस्तीन मेजे जा रह है) ध माउ्टवेटन को इस प्रह वापस वुखाने का कारण यह था कि भारत से अनिसमाचार अधिकाविक्‌ गभीर ये} साप्रदायिक गतिरोध भौर हह्साका दो 

जारी था । सरकार जितना जल्दी हौ सके, नई नीति ओर नय वाइसुर्‌एय~ कगे. घोपणा करना चाहती थी । इस घोपणा के मसविदे की गर्तो पर गभी रतोसूवक विचार करनं के वाद माडटवेटन से अतत सिद्धान्त र्पमे उसपद को ग्रहण करना स्वीकार किया । सरकार के साथ उनका जो विचार-विनिमय हृ, उसमे उन्होनं सरकार को उस आदाय का कोई भाव प्रकट करने के खतरे से सावघान कर दिया क्रि उनकी निय्‌चिति वाडसराय-प्रथा को स्थिर रखने या त्रिटिङ मध्यस्थताराग्‌ करने के चिएकी गईदै। इसीलिए जरू की चर्चा मे उन्होने यह्‌ गतं रखी कि वहु वाडसराय-पद तभी स्वीकार करेगे जव भारतीय दर स्वत अपर्नी अर्तो के साथ उन्हे भारत आने कानिमव्रणदे। जौहो,मि एट्ठीनं विस्तार्के साथ समल्लाया कि यह आखिरी जतं सृनासिव नही है, केकिन इस सिद्धात को पूरो तरह स्वीकार किया कि अगर भारतीय दल एक स विधान ओौर एक्‌ सरकार कं रूप पर्‌ एकमत हौ जाय तो प्षमन्नौते के वावजूद वह्‌ किसी निदिचत तारीख अथवा उससे पहटे भी त्रिटिद राज्य की समाप्ति कर देगं ।

Partition of India and Pakistan 70 years on – share your stories | India |  The Guardian

माउटवेटन को राजौ करनं के लिए सरकार अधिक-से-अधिक सीमा तक वढने को तैयार थी । सर स्टेफडं क्रिप्स ते कहा कि भारतीय नेताओं ओौर नयं वाद्सराय के वीच' वह्‌ पहले से ही आवज्यक सपकं कौ व्यवस्था कर देग, ओौर सरकारी घोपणा मे पूवं ही इस नियूक्ति के वारे मे वह्‌ उनकी सहमति प्राप्त कर लेने की पूरी कोलि करेग । क्रिप्सन तो यहा तक कट्‌ डाला कि वह्‌ माउटवेटन के साथ भारत भी जाने को तंयष्र है) इम सुघ्लाव को दवा देना स्वाभाविक था, क्योकि भारतीय मामलोमे क्रिप्स कौ स्थिति ओर अन्‌भवोसे माउयव्वेटन की स्थिति विगड जाती ओर नये वाइमराय के लिए आवज्यक अधिकार या प्रतिष्ठा के साथ वातचीत करना प्राय अमभेव हौ जाता ।

कदन, सोमवार, १७ फरवर १९४७.

माडटवटन ने आह किया कि उन्हे वाडमराय के सामान्य क्मचारी-मडन्प मेवृद्धिकःरनं की अनुमति दौ जाय । उनका कट्ना था कि उनको पूवं वाडनरायो चन दिवि जानवे चावारईमे मी कम समयम अनूतपूरवं राजननिकं जर्‌ संनिक महत्व वैः निणय टेन का भार मापा गया हु! साट वेव कै सामान्य सिपि समविन स्याफ दै लोग रालाकिः वहने प्रतिमानान्टी भौर अनमवी थ, किर भो उनसे चिरा समयन के काम परावर जाने को उम्मीद करना अमत था । मि एलन ने चरन्तं वादा किया कि माउटवेटन जिन कर्मचारियो करी निधुक्िनं चाहं नगरकार उयै प्रया क्रेगौ |

माउटवयव्य चार्‌ नयं पदो का निर्मापि करर्हेषे, जो वाडमराय-मवन कै


-१० भारत-विभाजन कौ कहानी

इतिहास मे नयं थे । वादसराय के नीचे एक चीफ आव स्टाफ, एक प्रमृख सेक्रेटयै एक कान्फेस सेक्रेटरी ओर एक प्रस अटची । इनके अलावा उनका व्यक्तिगत मत्राल्य भी होगा, जिसके प्रमुख हग दो वयस्क नौसेना अधिकारी अपनी पटाने की योग्यता के बर पर, जो माउटवेटन के व्यक्तित्व की एक खाश्चियत्त है, उन्होने अपन दो पुरान मित्रो को, अपन कामो को छोड कर, उनके दर को अपने महान्‌ अनुभव का लाभ देने के किए राजी कर छया ।

यही कारण है किं लाडंइस्मे न अपनी समाधिभग करना स्वीकार कर लिया था ओौर वह चीफ अव स्टाफ का पद सभाल रहैथे। सर एरिक भिएविल नगरमे महत्वपूणं व्यावसायिक उत्तरदायित्व को छोड कर प्रमृख सेक्रेटरी बने थे ।

माउटवेटन के विलेप दल के अन्य सदस्य केष्टेन रोनाल्ड ब्रोकमेन (दाही नौमेना), कमाडर जाजं निकोल्स (शाही नौसेना), लेपिटिनेट कनैर वरनोन असकिन कम (स्काटस गाडंस) ओौर मे--हम सव लोग कट्टी-त-कटही पहले भी माउटकेटन के नीचे काम कर चुके थे।

महुस्वपुणं बहस भौर सलाहू-मक्षविरे । चंदन, बुधवार, २६ फरवरी १९४७

लडंसभामे गतदोदिनसे सरकारकी २० फरवरी वाटी घोपणापरजो सनसनीपूणं वहस चल रही थी, वह खाडं ठ म्पछवुड के अपन निदा-प्रस्ताव को वापस लेन के साथ समाप्त हौ गई । यह एक एसा मौका था, जव बहुत से लोगो का यह्‌ मानना गकत नही था कि लखाडं सभा के मत कामन्त सभा कौ अपेक्षा अधिक राजने तिक वजन वे है । पहली वातत तो यह्‌ किं राड सभा वाले नई परिस्थिति पर कामन्स सभा से पूवं ही से विचार कर रहे थे। इसलिए यह्‌ खयाल किया जता -था कि अन्‌दार विरोधी दर का अन्तिम रुख सभवत छो द्वारा अपनाये गए स्वर पर ही निर्भर करेगा ! इसके अलावा, ये वयोवृद्ध राजनीतिनौ ओर विद्येपल्ौ के रूप मे अपनी वशगत भमता के आधार पर वहस नही कर रहे थे । भारतीय गासन के इतिहास मे जिनके नाम चौयाई सदी से मी अधिक समय तक चमक चुके थे, एसे वहत सै लोगो ने छाडटेम्पटवुड कै कंडे मत पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि समय-अवधि का निर्चय वचन-भग है, जिससे भारत नकी शाति ओौर समृद्धि खतरे मे पड जायगी ।

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