पृथ्वीराज चौहान एक अनुकरणीय शासक

राजपूत एक क्षत्रिय वर्ग है। संस्कृत भाषा में राजपूत का अर्थ है ‘राजपुत्र’ अर्थात् राजा का पुत्र। राजपूत भारत के अधिकांश क्षेत्रों में सक्रिय थे तथा विभिन्न कुलों में विभाजित थे। इनकी निष्ठा अलग-अलग कुलों के लिए थी न कि राजाओं के लिए।

May 16, 2024 - 11:45
May 16, 2024 - 12:04
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पृथ्वीराज चौहान एक अनुकरणीय शासक

छठी शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक इस कालखंड को मध्यकालीन युग माना जाता है। इस काल में कई राजवंशों ने भारत पर शासन किया। इस युग में अनेक युद्ध हुए, जिनमें नए हथियारों तथा नई रणनीतियों का प्रयोग किया गया। इस अध्याय में हम दिल्ली सल्तनत के उदय 1206 ई.पू. पर अपना ध्यान केंन्द्रित करेंगे। जो 1857 में अंग्रेजों द्वारा आखिरी मुगल शासक बादशाह शाह जफर को उखाड़ फेंकने तक था और जिसके बाद भारत में औपनिवेशिक शासन का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस काल में युद्ध का मुख्य उद्देश्य दुश्मन को हराकर विजय प्राप्त करना था।

राजपूत एक क्षत्रिय वर्ग है। संस्कृत भाषा में राजपूत का अर्थ है ‘राजपुत्र’ अर्थात् राजा का पुत्र। राजपूत भारत के  अधिकांश क्षेत्रों में सक्रिय थे तथा विभिन्न कुलों में विभाजित थे। इनकी निष्ठा अलग-अलग कुलों के लिए थी न कि राजाओं के लिए।

अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान

इतनी प्रसिद्ध हस्ती होने के बावजूद पृथ्वीराज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उनके बारे में जानकारी केवल कुछ ही समकालीन शिलालेखों में उपलब्ध हैं। पृथ्वीराज चौहान को राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता था। पृथ्वीराज चौहान (चाहमान) वंश के राजा थे। उन्होंने सपदलक्ष क्षेत्र पर शासन किया और उनकी राजधानी अजमेर थी।

1166 में पृथ्वीराज का जन्म हुआ था। 1177 ईस्वी में नाबालिग रहते हुए ही उन्हें राजगद्दी मिल गई थी। पृथ्वीराज को जो राज्य विरासत में मिला, वह उत्तर में थानेसर से दक्षिण में जहाजपुर (मेवाड़) तक फैला था। इसके चलते ही उन्होंने विस्तारवादी नीति अपनाई। साथ ही पड़ोसी राज्यों के खिलाफ सैन्य कार्रवाईयों विशेष रूप से चंदेलों को हराकर अपने राज्य का विस्तार किया।

पृथ्वीराज ने आसपास के राजपूत वंश के राजाओं को एकजुट किया और 1191 ईस्वी में तराइन के पहले युद्ध में मोहम्मद गोरी को हराया था। माना जाता है कि युद्ध में बुरी तरह घायल होने के बाद मोहम्मद गोरी भाग गया था। वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, पृथ्वीराज ने युद्ध जीतने के बावजूद गोरी को जिंदा छोड़ दिया था।


पृथ्वीराज चौहान एक अनुकरणीय शासक और सैन्य रणनीतिकार थे। ऐसा कहा जाता है कि ध्वनि के बल पर ही लक्ष्य भेदने की कला उनमें थी। भारतीय इतिहास में पृथ्वीराज चौहान एंव चंद्रगुप्त मौर्य ही एक ऐसे शासक थे जो केवल ध्वनि के बल पर ही लक्ष्य भेदने की कला जानते थे उसने कई राज्यों जैसे चंदेल, गढ़वाल आदि को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। गढ़वाल शासक जयचंद्र ने पृथ्वी राज चौहान की महत्वकांक्षा पर अंकुश लगाने की कोशिश की। ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी राज चौहान ने जयचंद्र की बेटी संयोगिता का अपहरण कर लिया था, जब उन्हें ‘स्वयंवर’ के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। इस घटना को चांद बरदाई ने अपने महाकाव्य पृथ्वी राज रासो में लिखा है।

पृथ्वी राज चौहान प्रमुख सैन्य उपलब्धि वर्ष 1191 में तराइन की पहली लड़ाई में सफलता थी। उसने मुहम्मद गोरी की सेना को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि उसने राजपूत सम्मान और परंपरा की रक्षा के लिए पीछे हटने वाली सेना पर हमला नहीं किया। अगले वर्ष, 1192 में मुहम्मद गोरी ने फिर से हमला किया और इस बार पृथ्वीराज चौहान की हार हुई। बहुत से शासक पृथ्वी राज चौहान के विरूद्ध हो गए थे और तराइन के दूसरे युद्ध में उसकी सहायता नहीं की। पृथ्वी राज चौहान की हार ने भारत में तुर्की शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया जो लगभग 300 वर्षों तक जारी रहा।

आक्रमणों का प्रभाव
इन आक्रमणों का प्रभाव यह हुआ कि इन्होंने न केवल मुस्लिम शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि खैबर दर्रा एक ऐसा मार्ग बन गया जिसकेमाध्यम से बाद में विदेशी आक्रमण संभव हो गए। जैसा कि हम बाद में देखेंगे कि बाबर का आक्रमण भी इसी मार्ग से हुआ था जिसके कारण मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई।

अभिषेक चौहान, लेखक

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।